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एमएसएमई इनोवेटिव स्कीम

  • 11 Mar 2022
  • 5 min read

हाल ही में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने एमएसएमई आइडिया हैकथॉन 2022 के साथ एमएसएमई इनोवेटिव स्कीम (इनक्यूबेशन, डिज़ाइन और IPR) लॉन्च की है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • यह एमएसएमई के लिये इनक्यूबेशन, डिज़ाइन और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के आसपास मौजूदा उप-योजनाओं का संयोजन है।
      • सरकार ने तीनों उप-योजनाओं में विचारों, डिज़ाइनों और पेटेंट के व्यावसायीकरण के लिये 1 करोड़ रुपए तक की इक्विटी सहायता की भी घोषणा की और एमएसएमई को बाद में धन जुटाने में मदद करने का आश्वासन दिया।
      • इसके लिये फंड मैनेजर के रूप में सिडबी (स्मॉल इंडस्ट्रीज़ डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया) द्वारा एक अलग कोष बनाकर प्रबंधित किया जाएगा।
      • भारतीय संसद के एक अधिनियम के तहत 2 अप्रैल, 1990 को स्थापित सिडबी, एमएसएमई क्षेत्र के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास के साथ-साथ समान गतिविधियों में लगे संस्थानों के कार्यों के समन्वय के लिये प्रमुख वित्तीय संस्थान के रूप में कार्य करता है।
    • नई योजना एमएसएमई को आगे बढ़ाने के लिये मार्गदर्शन, वित्तीय सहायता, तकनीकी सहायता और अन्य माध्यम से समर्थन सुनिश्चित करेगी।
    • इस इनोवेशन से जुड़ी गतिविधियों के लिये यह एक हब के रूप में कार्य करेगा, यह ऐसे बिज़नेस आइडिया के विकास में मार्गदर्शन भी करेगा जो समाज को सीधे तौर पर लाभान्वित कर सके तथा जिन्हें सफलतापूर्वक पूरा किया जा जा सके।
  • घटक:
    • ऊष्मायन: योजना का प्राथमिक उद्देश्य अप्रयुक्त रचनात्मकता को बढ़ावा देना और उसकी मदद करना है। साथ ही प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट स्तर पर अपने आइडिया की वैलिडेशन के लिये एमएसएमई में नवीनतम तकनीकों को बढ़ावा देना है। 
      • इस योजना के हिस्से के रूप में सरकार ने मेज़बान संस्थानों के माध्यम से एमएसएमई, नवप्रवर्तनकर्त्ताओं और छात्रों से विचारों को आमंत्रित करने के लिये एक एमएसएमई आइडिया हैकथॉन शुरू करने की घोषणा की है।
      • प्रति आइडिया 15 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता और संबंधित संयंत्र तथा मशीनों के लिये एक करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे।
    • डिजाइन: इस कंपोनेंट का उद्देश्य भारतीय मैन्युफेक्चरिंग क्षेत्र और डिज़ाइन विशेषज्ञता/डिज़ाइन को एक साझा मंच पर लाना है।
      • इसका उद्देश्य नए उत्पाद विकास, इसके निरंतर सुधार और मौज़ूदा एवं नए उत्पादों में मूल्यवर्द्धन के लिये डिज़ाइन समस्याओं पर रियल टाइम विशेषज्ञ सलाह तथा लागत प्रभावी समाधान प्रदान करना है। 
    • आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार): इस योजना का उद्देश्य MSMEs के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों (Intellectual Property Rights-IPR) के बारे में जागरूकता बढ़ाने और भारतीय अर्थव्यवस्था में रचनात्मक बौद्धिक प्रयास को प्रोत्साहित करने हेतु भारत में आईपी संस्कृति में सुधार करना है। 
      • इसका उद्देश्य MSMEs द्वारा उनके व्यावसायीकरण और आईपी सुविधा केंद्र के माध्यम से आईपीआर उपकरणों के प्रभावी उपयोग के लिये विकसित विचारों, तकनीकी इनोवेशन और ज्ञान-संचालित व्यापार रणनीतियों की सुरक्षा हेतु उपयुक्त उपाय करना है। 
      • इसमें विदेशी पेटेंट के लिये 5 लाख रुपए, घरेलू पेटेंट पर 1 लाख रुपए, जीआई पंजीकरण हेतु 2 लाख रुपए, डिज़ाइन पंजीकरण के लिये 15,000 रुपए, प्रतिपूर्ति के रूप में ट्रेडमार्क हेतु 10,000 रुपए तक की वित्तीय सहायता का प्रावधान है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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