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सामाजिक न्याय

ट्रांसजेंडर को तत्काल निर्वाह सहायता

  • 22 May 2021
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ट्रांसजेंडर व्यक्ति को 1,500 रुपए की एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।

प्रमुख बिंदु

सहायता के बारे में:

  • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को तत्काल निर्वाह सहायता प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer- DBT) के माध्यम से दी जाएगी, जिसके लिये लाभार्थी राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (National Institute of Social Defence) में पंजीकरण करा सकते हैं।

राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (NISD):

  • NISD एक स्वायत्त निकाय है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Territory- NCT) दिल्ली सरकार के साथ 1860 के सोसायटी अधिनियम XXI (Societies Act XXI of 1860) के तहत पंजीकृत है।
  • यह सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के लिए एक केंद्रीय सलाहकार निकाय है।
  • यह सामाजिक रक्षा के क्षेत्र में नोडल प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान है।
  • यह वर्तमान में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण, भिक्षावृत्ति रोकथाम, ट्रांसजेंडर और अन्य सामाजिक रक्षा मुद्दों के क्षेत्रों में मानव संसाधन विकास पर केंद्रित है।

ट्रांसजेंडर से संबंधित प्रमुख पहल:

  • सर्वोच्च न्यायालय के फैसले:
    • राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority- NALSA) बनाम भारत संघ, 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर लोगों को 'थर्ड जेंडर' घोषित किया था।
    • भारतीय दंड संहिता (2018) की धारा 377 के प्रावधानों में सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया।
  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019:
    • एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह होता है जिसका लिंग जन्म के समय निर्धारित लिंग से मेल नहीं खाता है। इसमें ट्रांसमेन और ट्रांस-महिला (Transmen and Trans-Women), इंटरसेक्स भिन्नता वाले व्यक्ति, लिंग-क्वीर (Gender-Queers) और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान वाले व्यक्ति जैसे- किन्नर और हिजड़ा शामिल हैं।
    • यह अधिनियम ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये एक राष्ट्रीय परिषद (National Council for Transgender persons- NCT) की स्थापना का प्रावधान करता है।
    • यह अधिनियम ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान प्रमाण पत्र प्राप्त करने का अधिकार देता है।
    • माता-पिता और परिवार के सदस्यों के साथ निवास का अधिकार प्रदान करता है।
    • शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य सेवा आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति के खिलाफ भेदभाव को रोकता है।
    • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ अपराध करने पर जुर्माना के अलावा, छह महीने से दो वर्ष तक का कारावास की सज़ा हो सकती है।
  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय पोर्टल और 'ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आश्रय गृह' की योजना है।

स्रोत: द हिंदू

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