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जैव विविधता और पर्यावरण

प्रवाल भित्तियाँ और मुंबई तटीय सड़क परियोजना

  • 31 Oct 2020
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये

मुंबई तटीय सड़क परियोजना, प्रवाल, प्रवाल भित्तियाँ

मेन्स के लिये

प्रवाल भित्तियों का महत्त्व और ‘कोरल ब्लीचिंग’ का खतरा

चर्चा में क्यों?

बृहन्मुंबई नगर निगम (Brihanmumbai Municipal Corporation-BMC) को 12,700 करोड़ रुपए की मुंबई तटीय सड़क परियोजना के लिये प्रवाल (Corals) को एक स्थान से दूसरे स्थान पर हस्तांतरित करने के लिये नागपुर के प्रधान महा वनसंरक्षक (वन्यजीव) से मंज़ूरी मिल गई है।

प्रमुख बिंदु

  • बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC), मरीन ड्राइव और मरीन लाइन को जोड़ने वाले राजकुमारी स्ट्रीट फ्लाईओवर से दक्षिण मुंबई के वर्ली तक 10.58 किलोमीटर की परियोजना को कार्यान्वित करने पर विचार कर रही है।
  • बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) का लक्ष्य आगामी माह में कुल 18 प्रवाल कॉलोनियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर हस्तांतरित करना है।

क्या होती है प्रवाल?

प्रवाल (Corals) समुद्री पौधों की विशेषताओं को प्रदर्शित करने वाला जेलिफिश और एनीमोन से संबंधित एक अकशेरुकी समुद्री (Invertebrate Animals) जीव होता है। 

  • यह एक सूक्ष्म जीव होता है, जो कि समूह में रहता है। चूना पत्थर (कैल्शियम कार्बोनेट) से निर्मित इसका निचला हिस्सा (जिसे कैलिकल्स भी कहते हैं) काफी कठोर होता है, जो कि प्रवाल भित्तियों की संरचना का निर्माण करता है।
  • प्रवाल भित्तियों का निर्माण तब शुरू होता है जब प्रवाल पॉलिप्स स्वयं को समुद्रतल पर मौजूद चट्टानों से जोड़ते हैं, फिर हज़ारों की संख्या में विभाजित हो जाते हैं। 
  • धीरे-धीरे कई सारे प्रवाल पॉलिप्स के कैलिकल्स एक दूसरे से जुड़ते हैं, एक कॉलोनी बनाते हैं। फिर जैसे-जैसे प्रवाल पॉलिप्स की ये कॉलोनियाँ अन्य कॉलोनियों के साथ जुड़ती हैं प्रवाल भित्तियों (Coral Reefs) का रूप ले लेती हैं।
    • एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान की कुछ प्रवाल भित्तियों के निर्माण की शुरुआत तकरीबन 50 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुई थी।
  • कुछ ऐसे प्रवाल भी होते हैं जो कॉलोनियों और भित्तियों में शामिल नहीं होते हैं, इन्हें ‘सॉफ्ट प्रवाल’ के रूप में जाना जाता है और ये समुद्र के नीचे झाड़ियों, घास और वृक्षों जैसे दिखाई देते हैं।

प्रवाल भित्तियों का महत्त्व

  • प्रवाल भित्तियाँ समुद्र के नीचे एक प्रकार का शहर होता है, जो कि समुद्री जीवन की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण होता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, प्रवाल भित्तियाँ, विश्व के आधे से अधिक मिलियन लोगों के लिये प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिये महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
  • प्रवाल भित्तियों को विश्व के सबसे अधिक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक माना जाता है। यह न केवल अनेक प्रकार के जीवों एवं वनस्पतियों का आश्रय स्थल होता है, बल्कि इनका इस्तेमाल औषधियों में भी होता है। 
    • कैंसर, गठिया, बैक्टीरियल संक्रमण, वायरस और अन्य बीमारियों के संभावित इलाज के रूप में अब प्रवाल भित्तियों का भी परीक्षण किया जा रहा है।

प्रवाल भित्तियों के लिये खतरा

  • वर्तमान में जलवायु परिवर्तन प्रवाल पॉलिप्स और प्रवाल भित्तियों के लिये सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। विश्व भर में इस खतरे को ‘कोरल ब्लीचिंग’ (Coral Bleaching) अथवा प्रवाल विरंजन के रूप में देखा जा सकता है।
  • कोरल ब्लीचिंग’ के तहत जब तापमान, प्रकाश या पोषण में किसी भी परिवर्तन के कारण प्रवालों पर तनाव बढ़ता है तो वे अपने ऊतकों में निवास करने वाले सहजीवी शैवाल को निष्कासित कर देते हैं जिस कारण प्रवाल सफेद रंग में परिवर्तित हो जाते हैं, क्योंकि प्रवाल भित्तियों को अपना विशिष्ट रंग इन्हीं शैवालों से मिलता है।
  • ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर स्थित ‘ग्रेट बैरियर रीफ’, जहाँ विश्व की सबसे अधिक प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं, को तापमान में वृद्धि के कारण कुल छः बार ‘कोरल ब्लीचिंग’ की घटनाओं का सामना करना पड़ा है।

मुंबई में प्रवाल और प्रवाल भित्तियाँ

  • मुंबई में प्रवाल समुद्री जीवों की एक विशाल आबादी मौजूद है, मुंबई तट के किनारे पाए जाने वाले अधिकांश प्रवाल तेज़ी से विकसित होने वाले ‘सॉफ्ट प्रवाल’ हैं। 
  • वहीं प्रवालों की कुछ छोटी कॉलोनियों को मरीन ड्राइव, गीता नगर (कोलाबा), हाजी अली और वर्ली में पाया गया है।
  • बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की मुंबई तटीय सड़क परियोजना क्षेत्र में समुद्री जैव विविधता का अध्ययन करने के लिये नियुक्त किये गए राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (National Institute Of Oceanography-NIO) ने वर्ली और हाजीपुर में छह प्रवाल प्रजातियों की पहचान की थी, साथ ही वर्ली में 0.251 वर्गमीटर और हाजी अली में 0.11 वर्गमीटर में फैली 18 प्रवाल कॉलोनियाँ भी पाई गई थीं।

कैसे होगा प्रवाल का स्थानांतरण?

  • प्रस्तावित योजना के अनुसार, हाजी अली की प्रवाल कॉलोनियों को मरीन लाइन्स के पास स्थानांतरित किया जाएगा, जबकि वर्ली में मौजूद प्रवाल कॉलोनियों को मुंबई तटीय सड़क परियोजना के निर्माण स्थल से कुछ दूरी पर स्थानांतरित किया जाएगा।
  • ध्यातव्य है कि हस्तांतरण के बाद जीवन दर और हस्तांतरण के तरीके आदि का अध्ययन करने के लिये लक्षद्वीप, कच्छ और तमिलनाडु के समुद्री तटों पर पायलट प्रोजेक्ट किये जा रहे हैं।
  • इससे पूर्व महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग ज़िले में तीन वर्षीय परियोजना के अंतर्गत प्रवाल के हिस्सों को नायलॉन के धागे की मदद से कंक्रीट फ्रेम से जोड़ा गया था और फिर समुद्रतल में उनकी वृद्धि के लिये उपयुक्त गहराई पर छोड़ दिया गया था।
  • अमेरिकी वैज्ञानिक एजेंसी, नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के अनुसार, प्रवाल की वृद्धि दर उनकी प्रजातियों पर निर्भर करती है। अध्ययन के अनुसार, प्रवाल की कुल प्रजातियाँ 10 सेंटीमीटर की दर से बढ़ती है, जबकि कुछ प्रवाल प्रजातियाँ 0.3 सेंटीमीटर से 2 सेंटीमीटर प्रति वर्ष की दर से बढ़ती हैं।

स्थानांतरण के दौरान जीवन दर

  • कुछ विशेषज्ञों का मत है कि प्रवाल कॉलोनियों के हस्तांतरण के दौरान उच्च जीवन दर प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक होता है कि उन प्रवाल कॉलोनियों को उसी तरह की पर्यावरणीय विशेषताओं में ले जाया जाए जहाँ वे पहले थीं, इस संबंध में समुद्र की गहराई, जल का प्रवाह और प्रकाश की मात्रा आदि काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं।
  • कई जानकारों ने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) को हाजी अली और वर्ली में मौजूद प्रवाल कॉलोनियों को मानसून के बाद किसी अन्य स्थान पर भेजने का सुझाव दिया है, जब प्रवाल अपेक्षाकृत अधिक स्वास्थ्य होंगे।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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