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भारतीय अर्थव्यवस्था

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2023-24

  • 08 Jan 2025
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, सकल घरेलू उत्पाद, उपभोग असमानता, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि 

मेन्स के लिये:

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण, उपभोग और विकास नीतियाँ

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Household Consumption Expenditure Survey- HCES) 2023-24 की फैक्टशीट जारी की है, जो भारत में उपभोग पैटर्न और आर्थिक कल्याण के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। 

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण क्या है?

HCES 2023-24 के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • खपत में वृद्धि: ग्रामीण उपभोग व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, औसत मासिक प्रति व्यक्ति व्यय (Monthly Per Capita Expenditure- MPCE) बढ़कर 4,122 रुपए हो गया है (वर्ष 2022-23 के 3,773 रुपए से 9.3% अधिक)। 
    • शहरी क्षेत्रों का MPCE 6,996 रुपए है (वर्ष 2022-23 के 6,459 रुपए से 8.3% अधिक)।
    • ग्रामीण और शहरी खपत के बीच का अंतर वर्ष 2011-12 के 83.9% से घटकर वर्ष 2023-24 में 69.7% हो गया, जो दर्शाता है कि शहरी खपत की तुलना में ग्रामीण खपत तेज़ी से बढ़ रही है।
    • कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से निशुल्क लाभ (जैसे, खाद्यान्न, स्कूल यूनिफॉर्म) के लिये निर्धारित मूल्यों ने MPCE अनुमानों में मामूली वृद्धि की।
      • ग्रामीण MPCE 4,247 रुपए (निर्धारण सहित) और शहरी 7,078 रुपए (निर्धारण सहित)।
  • क्षेत्रीय असमानताएँ: सिक्किम में MPCE सबसे अधिक रही (ग्रामीण 9,377 रुपए और शहरी 13,927 रुपए), जबकि छत्तीसगढ़ (ग्रामीण 2,739 रुपए और शहरी 4,927 रुपए) में सबसे कम MPCE दर्ज किया गया।
    • महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल में प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय औसत से अधिक रहा।
    • पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में व्यय राष्ट्रीय औसत से कम था।
    • केंद्रशासित प्रदेशों में, MPCE चंडीगढ़ में सबसे अधिक है (ग्रामीण 8,857 रुपए और शहरी 13,425 रुपए), जबकि दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव (4,311 रुपए) और जम्मू और कश्मीर (6,327 रुपए) में क्रमशः ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में MPCE सबसे कम है।
  • उपभोग असमानता: गिनी गुणांक द्वारा मापी गई उपभोग असमानता ग्रामीण और शहरी दोनों स्तर पर कम हुई है।
    • ग्रामीण क्षेत्रों के लिये गिनी गुणांक वर्ष 2022-23 के 0.266 से घटकर वर्ष 2023-24 में 0.237 हो गया है तथा शहरी क्षेत्रों के लिये 0.314 से घटकर 0.284 हो गया है।
  • खाद्य व्यय: 2023-24 में खाद्य पर खर्च में वृद्धि ग्रामीण (47.04%) और शहरी (39.68%), जिससे दोनों स्तरों पर पिछली गिरावट का रुख पलट गया।
    • भोजन पर सबसे अधिक व्यय पेय पदार्थों, जलपान और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर हुआ, इसके बाद दुग्ध, दुग्ध से निर्मित उत्पाद तथा सब्जियों पर अधिक व्यय हुआ।
  • गैर-खाद्य व्यय: गैर-खाद्य व्यय का हिस्सा भी उच्च रहा, यह ग्रामीण क्षेत्रों में 52.96% तथा शहरी क्षेत्रों में 60.32% रहा।
    • ग्रामीण परिवारों ने परिवहन (7.59%), चिकित्सा (6.83%) और कपड़े तथा बिस्तर (6.63%) पर अधिक खर्च किया, जबकि शहरी परिवारों ने परिवहन (8.46%), विविध वस्तुओं (6.92%) और किराए (6.58%) पर अधिक खर्च किया।
  • अस्थिर उपभोग पैटर्न: 2023-24 में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की शीर्ष 5% आबादी के उपभोग व्यय में 2022-23 की तुलना में कमी दर्ज की गई है।
  • इसके विपरीत, निचले 5% वर्ग के उपभोग व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जहाँ ग्रामीण व्यय में 22% तथा शहरी व्यय में 19% की वृद्धि हुई।
    • यह निम्न आय वर्ग के उपभोग में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है, जो आर्थिक सुधार का संकेत है।

महत्त्वपूर्ण शब्दावली 

  • मासिक प्रति व्यक्ति व्यय (MPCE): भोजन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, परिवहन और अन्य मूलभूत आवश्यकताओं पर प्रति व्यक्ति औसत मासिक व्यय।
  • उपभोग असमानता: इसका तात्पर्य किसी अर्थव्यवस्था में व्यक्तियों या परिवारों के बीच उपभोग व्यय या वस्तुओं तथा सेवाओं के असमान वितरण से है। 
    • गिनी गुणांक उपभोग असमानता को मापता है, जहाँ 0 पूर्ण समानता को जबकि और 100 पूर्ण असमानता को दर्शाता है। यह परिवारों या व्यक्तियों के बीच उपभोग में असमानता को मापता है।

नीति निर्माण पर HCES निष्कर्षों के क्या निहितार्थ हैं?

  • ग्रामीण विकास: ग्रामीण-शहरी अंतराल में कमी ग्रामीण आय में सुधार का संकेत देती है, जो संभवतः प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) जैसी योजनाओं से प्रभावित है। इस प्रगति को बनाए रखने के लिये आगे नीतिगत समर्थन आवश्यक है।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन पर अपेक्षाकृत अधिक खर्च बेहतर ग्रामीण परिवहन बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता को दर्शाता है, ताकि लागत को कम किया जा सके।
    • ग्रामीण गैर-खाद्य क्षेत्रों, जैसे परिवहन और टिकाऊ वस्तुओं, में निवेश को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • विभिन्न क्षेत्रकों में परिवर्तन: सेवाओं (जैसे, परिवहन, मनोरंजन) पर बढ़ता व्यय सेवा-संचालित अर्थव्यवस्था की ओर विस्थापन का संकेत देता है।
    • नीतियों निर्माण के दौरान इन उभरते क्षेत्रों में कौशल और रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
    • ग्रामीण उपभोग में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, नीतियों का उद्देश्य कौशल विकास और ग्रामीण औद्योगिकीकरण के माध्यम से इस प्रगति को स्थिर बनाए रखना होना चाहिये।
  • शहरी नियोजन और आवास: किराये और परिवहन पर उच्च शहरी व्यय किफायती आवास नीतियों तथा बेहतर सार्वजनिक परिवहन बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता को उजागर करता है।
    • समान विकास सुनिश्चित करने के लिये शहरी नीतियों को आय वृद्धि में अस्थिरता को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा, विशेष रूप से मध्यम वर्ग के लिये।
  • क्षेत्रीय असमानताएँ: बिहार जैसे औसत से कम खपत वाले राज्यों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और रोज़गार पर केंद्रित हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
  • उपभोक्ता संरक्षण: नीति निर्माताओं को गुणवत्ता मानकों और उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये प्रसंस्कृत खाद्य उद्योगों को विनियमित करना चाहिये।

और पढ़ें: भारत में निर्धनता में कमी-SBI

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: HCES 2023-24 के अनुसार ग्रामीण-शहरी उपभोग अंतराल को कम करने में योगदान देने वाले कारकों तथा ग्रामीण विकास नीतियों के लिये इसके निहितार्थों का विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:  

प्रिलिम्स

प्रश्न. एन.एस.एस.ओ. के 70वें चक्र द्वारा संचालित ‘‘कृषक-कुटुम्बों की स्थिति आकलन सर्वेक्षण’’ के अनुसार निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. राजस्थान में ग्रामीण कुटुम्बाें में कृषि कुटुम्बों का प्रतिशत सर्वाधिक है
  2. देश के कुल कृषि कुटुम्बों में 60% से कुछ अधिक ओ.बी.सी. के हैं।
  3.  केरल में 60% से कुछ अधिक कृषि कुटुम्बों ने यह सूचना दी कि उन्होंने अधिकतम आय गै़र कृषि स्रोतों से प्राप्त की है।

उपर्युत्त कथनाें में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 2 औ 3   
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3   
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

प्रश्न. किसी दिये गए वर्ष में भारत में कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर हैं, क्योंकि (2019)

(a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है
(b) कीमत-स्तर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है
(c) सकल राज्य उत्पाद अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है
(d) सार्वजनिक वितरण की गुणता अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है

उत्तर: (b)

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