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भारतीय अर्थव्यवस्था

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में उच्च घर्षण दर

  • 28 Aug 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक, गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ, डिजिटल बैंकिंग, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, एक ज़िला एक उत्पाद 

मेन्स के लिये:

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में चुनौतियाँ, ग्रामीण विकास, बैंकिंग क्षेत्र और सुधार

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) में उच्च कर्मचारी-हितैषी नीतियों को अपनाने का आग्रह करते हुए इन संस्थानों में कर्मचारियों की उच्च-घर्षण दरों पर चर्चा की।

  • इसमें कर्मचारी संतुष्टि बढ़ाने, ग्राहक सेवा में सुधार लाने तथा अंततः क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिये सुधारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।

नोट: घर्षण दर एक माप है जो उस दर को मापता है, जिस पर कर्मचारी स्वेच्छा से या अनैच्छिक रूप से किसी संगठन को छोड़ते हैं।

RRB को उच्च घर्षण दर का सामना क्यों करना पड़ रहा है?

  • कर्मचारी लाभों का अभाव: RRB कर्मचारी अक्सर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) में बेहतर अवसरों के कारण नौकरी छोड़ देते हैं, जो समान वेतनमान के बावजूद बेहतर सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
    • राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अनुसार, 43 RRB में कर्मचारियों की कुल संख्या वित्त वर्ष 2022 में 95,833 से घटकर वित्त वर्ष 2023 में 91,664 हो गई, जबकि शाखाओं की संख्या वित्त वर्ष 2022 में 21,892 से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 21,995 हो गई।
  • चुनौतीपूर्ण कार्य वातावरण: अन्य राज्यों से RRB में कार्य करने के लिये आने वाले कर्मचारियों को ग्रामीण जीवन के अनुकूल होने में कठिनाई होती है, जिसके कारण उन्हें अन्य अवसरों की तलाश करनी पड़ती है।
  • धीमी कॅरियर वृद्धि: SCB की तुलना में RRB धीमी पदोन्नति और कम प्रोत्साहन प्रदान करते हैं, जिससे कर्मचारियों में असंतोष उत्पन्न होता है।

RRB कर्मचारी प्रतिधारण में कैसे सुधार कर सकते हैं?

  • स्थानीय पोस्टिंग को प्राथमिकता देना: कर्मचारियों को उनके गृह क्षेत्रों में कार्य करने के लिये नियुक्त करना, उन्हें अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को बेहतर ढंग से संतुलित करने में मदद कर सकता है, जिससे अन्य अवसरों के लिये नौकरी छोड़ने की इच्छा कम हो सकती है।
  • कर्मचारी लाभ बढ़ाना: RRB को ऐसे लाभ और सुविधाएँ प्रदान करने का प्रयास करना चाहिये जो SCB द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के साथ प्रतिस्पर्धी हों, जैसे कि बेहतर आवास, स्वास्थ्य सेवा तथा सेवानिवृत्ति योजनाएँ।
  • कॅरियर विकास में तेज़ी लाना: तेज़ी से पदोन्नति ट्रैक और अधिक लगातार कॅरियर उन्नति के अवसरों को लागू करना कर्मचारियों को संगठन के भीतर रहने एवं आगे बढ़ने के लिये प्रेरित कर सकता है।
  • सहायक कार्य वातावरण: RRB को नौकरी की संतुष्टि बढ़ाने के लिये लचीली कार्य स्थितियों, नियमित प्रशिक्षण और पेशेवर विकास कार्यक्रम प्रस्तुत करके अधिक कर्मचारी-अनुकूल संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिये।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों को बेहतर आवास विकल्प और सामुदायिक सहभागिता गतिविधियों जैसी अतिरिक्त सहायता प्रदान करने से उन्हें अपनी भूमिकाओं को निभाने तथा आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है।
  • डिजिटल क्षमताओं का विस्तार: मोबाइल बैंकिंग जैसी डिजिटल बैंकिंग सेवाओं को बढ़ाने से RRB को अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने और तकनीक-प्रेमी कर्मचारियों को आकर्षित करने में मदद मिल सकती है, जो नवाचार तथा सुविधा को महत्व देते हैं।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक क्या हैं?

  • परिचय: ग्रामीण ऋण पर नरसिम्हम समिति (1975) ने RRB की स्थापना की सिफारिश की थी।
    • RRB अधिनियम, 1976 के तहत वर्ष 1975 में RRB की स्थापना की गई थी, जिसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों, कृषि मजदूरों, कारीगरों एवं छोटे उद्यमियों को ऋण तथा अन्य सुविधाएँ प्रदान करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को विकसित करना था, जिससे ग्रामीण व अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में कृषि, व्यापार, वाणिज्य एवं उद्योग को समर्थन मिला।
      • RRB सरकार द्वारा अधिसूचित क्षेत्रों में काम करते हैं, जो एक राज्य में एक या अधिक ज़िलों को कवर करते हैं।
        • इनका उद्देश्य सहकारी समितियों के स्थानीय लोगों को वाणिज्यिक बैंकों की व्यावसायिकता के साथ जोड़ना था।
      • मार्च, 2023 तक, 12 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा प्रायोजित 43 RRB थे, जो 26 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में संचालित हो रहे थे।
        • पहला RRB प्रथम बैंक था, जिसका मुख्यालय उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में था।
      • RRB का स्वामित्व केंद्र सरकार, संबंधित राज्य सरकार और प्रायोजक बैंक के पास 50:15:35 के अनुपात में होता है (प्रत्येक RRB किसी विशेष बैंक द्वारा प्रायोजित होता है)।
      • भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली की देखरेख करता है, जबकि NABARD बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत RRB सहित ग्रामीण वित्तीय संस्थानों की देखरेख करता है।
  • वित्तीय प्रदर्शन: पिछले तीन वर्षों में RRB ने उल्लेखनीय सुधार प्रदर्शित किया है। वित्त वर्ष 23 के दौरान RRB का कुल कारोबार 10 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया, जो साल-दर-साल 10.1% की दर से बढ़ रहा है।
    • मार्च, 2023 तक सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPA) 7.28% पर थीं, जो सात वर्षों में सबसे कम थी, जबकि निवल NPA लगभग 3.2% था। 
    • RRB ने वित्त वर्ष 22-23 में 4,974 करोड़ रुपए का अब तक का सबसे अधिक समेकित शुद्ध लाभ दर्ज किया। वित्त वर्ष 23-24 में तीसरी तिमाही तक शुद्ध लाभ 5,236 करोड़ रुपए था।
  • चुनौतियाँ:
    • परिसंपत्ति गुणवत्ता अनुरक्षण: RRB के लिये परिसंपत्ति गुणवत्ता बनाए रखना एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है, विशेषकर जब वे ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में ऋण का विस्तार करने तथा अपने पोर्टफोलियो को बढ़ाने के लिये काम करते हैं।
    • सीमित डिजिटल अवसंरचना: क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को अक्सर डिजिटल बैंकिंग सेवाओं को उन्नत करने और बनाए रखने में कठिनाई होती है, विशेष रूप से खराब कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में, जो बड़े बैंकों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने की उनकी क्षमता में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
    • कॉर्पोरेट प्रशासन के मुद्दे: मज़बूत कॉर्पोरेट प्रशासन सुनिश्चित करना एक सतत् चुनौती है, जिसमें RRB को विश्वसनीयता और दक्षता बनाए रखने के लिये अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं तथा अनुपालन में सुधार करने की आवश्यकता है।
    • ऋण पहुँच बढ़ाने का दबाव: क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर कृषि ऋण संवितरण और अन्य प्राथमिकता क्षेत्र ऋण में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का दबाव है, जिसके लिये संसाधनों तथा जोखिमों के बीच सावधानीपूर्वक संतुलन की आवश्यकता है।
    • बढ़ी हुई प्रतिस्पर्द्धा: निजी क्षेत्र के बैंकों की बढ़ती उपस्थिति ने प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ा दिया है, क्योंकि ये बैंक बेहतर प्रौद्योगिकी, अधिक व्यापक सेवाएँ और अधिक सुव्यवस्थित ग्राहक अनुभव प्रदान करते हैं।
      • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को निजी बैंकों के उन्नत संसाधनों और बुनियादी ढाँचे के साथ प्रतिस्पर्धा करने में संघर्ष करना पड़ता है।
      • लघु वित्त बैंकों ने विशेष सेवाएँ और उन्नत प्रौद्योगिकी की पेशकश करके प्रतिस्पर्द्धा बढ़ा दी है, जिससे RRB की ग्राहकों को आकर्षित करने तथा बनाए रखने की क्षमता को और चुनौती मिल रही है
    • गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ: NPA के भारी बोझ ने RRB के वित्तीय स्वास्थ्य को प्रभावित किया है, जिसके कारण उन्हें अपनी सेवाओं का विस्तार करने के बजाय इन समस्याग्रस्त ऋणों को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना पड़ रहा है।

RRB के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के अवसर:

  • परिचालन मॉडल की समीक्षा करना: दक्षता बढ़ाने के लिये क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को उनके प्रायोजक बैंकों के साथ विलय करने के संभावित लाभों और चुनौतियों पर विचार करना।
    • कोई भी निर्णय लेने से पहले सेवा वितरण और ग्रामीण फोकस पर समेकन के प्रभाव का आकलन करना।
  • MSME क्लस्टरों के साथ RRB का मानचित्रण: ऋण वितरण को बढ़ाने और स्थानीय व्यवसायों को समर्थन देने के लिये सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small, and Medium Enterprises- MSME) के साथ आरआरबी परिचालन को संरेखित करना।
    • अनुरूप वित्तीय उत्पादों के क्षेत्रों की पहचान करने के लिये MSME क्लस्टरों का उपयोग कीजिये।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में MSME को लक्षित वित्तीय उत्पाद और सेवाएँ प्रदान करना, उद्यमशीलता तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
  • वित्तीय समावेशन प्रयासों का विस्तार करना: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और PM विश्वकर्मा जैसी सरकारी योजनाओं के लिये पहुँच तथा समर्थन बढ़ाना तथा अविकसित क्षेत्रों में इन कार्यक्रमों की पहुँच में सुधार करना।
  • ऋण वृद्धि के लिये CASA अनुपात का लाभ उठाना: स्वस्थ चालू खाता बचत खाता (Current Account Savings Account- CASA) अनुपात का उपयोग, विशेष रूप से MSME और कृषि जैसे वंचित क्षेत्रों को अधिक ऋण प्रदान करने के लिये किया जाना चाहिये।
  • ग्राहक सहभागिता में वृद्धि: प्रदर्शन और ग्राहक संतुष्टि को बढ़ावा देने के लिये बेहतर स्थानीय संपर्क तथा व्यक्तिगत सेवाओं के माध्यम से ग्राहक संबंधों में सुधार करना।
  • प्रायोजक बैंकों के साथ सहयोग: तकनीकी सहायता प्राप्त करने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और विकास एवं स्थिरता के लिये आवश्यक संसाधनों तक पहुँच हेतु प्रायोजक बैंकों के साथ मिलकर कार्य करना।
  • परिसंपत्ति गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना: प्रभावी जोखिम प्रबंधन प्रथाओं को लागू करके और ऋण पोर्टफोलियो की नियमित समीक्षा करके परिसंपत्ति गुणवत्ता को बनाए रखना व सुधार करना।

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक

  • ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत ऋण की आवश्यकता को पूरा करने के लिये RBI ने वर्ष 1979 में कृषि और ग्रामीण विकास के लिये संस्थागत ऋण की व्यवस्था की समीक्षा हेतु समिति (CRAFICARD) का गठन किया था।
    • समिति की सिफारिशों के परिणामस्वरूप NABARD का निर्माण हुआ, जिसकी स्थापना वर्ष 1982 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक से कृषि ऋण कार्यों तथा कृषि पुनर्वित्त एवं विकास निगम (ARDC) से पुनर्वित्त कार्यों को स्थानांतरित करके की गई थी।
  • NABARD स्वयं को "ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्र का विकास बैंक" के रूप में देखता है, जो ग्रामीण आजीविका और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ: 
    • स्वयं सहायता समूह बैंक-लिंकेज कार्यक्रम (Self Help Group-Bank Linkage Programme-SHG-BLP): वर्ष 1992 में शुरू की गई यह पहल विश्व की सबसे बड़ी माइक्रोफाइनेंस परियोजना के रूप में विकसित हो गई है, जिसने वित्तीय समावेशन को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है।
    • किसान क्रेडिट कार्ड: NABARD द्वारा डिज़ाइन किया गया यह कार्ड लाखों किसानों के लिये एक आवश्यक वित्तीय साधन बन गया है।
    • ग्रामीण अवसंरचना: NABARD ने भारत की कुल ग्रामीण अवसंरचना के लगभग पाँचवें हिस्से को वित्तपोषित किया है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. ग्रामीण भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के सामने आने वाली चुनौतियों की जाँच कीजिये। उनकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से संस्थान अनुदान/प्रत्यक्ष ऋण सहायता प्रदान करता/करते है/हैं? (2013)

  1. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
  2.  राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
  3.  भूमि विकास बैंक

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

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