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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में 75 नई डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ

  • 17 Oct 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डिजिटल बैंक, वित्तीय समावेशन

मेन्स के लिये:

डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ, डिजिटल बैंकिंग इकाइयों के लाभ और सेवाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने 75 ज़िलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ (DBU) राष्ट्र को समर्पित की हैं।

  • वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट भाषण के हिस्से के रूप में वित्त मंत्री ने हमारे देश की आज़ादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 75 ज़िलों में 75 DBU स्थापित करने की घोषणा की।

डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ (DBU)

  • परिचय:
    • डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा स्थापित एक विशिष्ट फिक्स्ड पॉइंट बिजनेस यूनिट या हब है, जो डिजिटल बैंकिंग उत्पादों और सेवाओं को वितरित करने के साथ-साथ मौजूदा वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को किसी भी समय डिजिटल रूप से स्वयं-सेवा मोड में सेवा देने के लिये कुछ न्यूनतम डिजिटल बुनियादी ढाँचे को स्थापित करता है।
    • DBU की स्थापना इस उद्देश्य से की जा रही है कि डिजिटल बैंकिंग का लाभ देश के कोने-कोने तक पहुँचे और यह सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करेगा।
  • लाभ:
    • DBU उन लोगों को सक्षम बनाएगा जिनके पास सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) बुनियादी ढाँचा नहीं है, वे बैंकिंग सेवाओं को डिजिटल रूप से एक्सेस कर सकते हैं।
    • वे उन लोगों की भी सहायता करेंगे जो डिजिटल बैंकिंग अपनाने के लिये तकनीकी रूप से सक्षम नहीं हैं।
  • DBU सेवाएँ:
    • इन डिजिटल बैंकिंग इकाइयों में ग्राहकों को अपना बचत खाता खोलने, खाते में शेष राशि पता करने, पासबुक प्रिंट कराने, पैसे भेजने, सावधि जमा निवेश के अलावा क्रेडिट-डेबिट कार्ड और कर्ज के लिये आवेदन जैसे काम करने के साथ ही कर व बिलों के भुगतान की पूरी सुविधा होगी।
    • DBU जन समर्थ पोर्टल के माध्यम से सरकारी क्रेडिट लिंक योजनाओं और एमएसएमई / खुदरा ऋणों के एंड-टू-एंड डिजिटल प्रसंस्करण की सुविधा भी प्रदान करेंगे।
  • DBU और पारंपरिक बैंकों के बीच अंतर:
    • DBU 24 x 7 नकद ज़मा और निकासी सहित बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करेगा।
    • DBU की सेवाएँ डिजिटल रूप से प्रदान की जाएँगी।
    • जिन लोगों के पास कनेक्टिविटी या कंप्यूटिंग डिवाइस नहीं हैं, वे DBU से पेपरलेस मोड में बैंकिंग लेनदेन कर सकते हैं।
    • बैंक कर्मचारी सहायता प्राप्त मोड में बैंकिंग लेनदेन के लिये उपयोगकर्त्ताओं की सहायता और मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध रहेंगे।
    • DBU डिजिटल वित्तीय साक्षरता प्रदान करने और डिजिटल बैंकिंग अपनाने के लिये जागरूकता पैदा करने में मदद करेगा।
  • डिजिटल बैंकों और DBU के बीच अंतर:
    • बैलेंस शीट/कानूनी मान्यता:
      • DBU के पास कानूनी मान्यता नहीं है और उन्हें बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत लाइसेंस नहीं दिया गया है।
        • कानूनी रूप से वे "बैंकिंग आउटलेट" अर्थात्, शाखाओं के समकक्ष हैं।
      • डिजिटल बैंकों, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत विधिवत लाइसेंस प्राप्त एक बैंक है, जिनके पास एक बैलेंस शीट और कानूनी अस्तित्व है।
    • नवाचार/प्रतिस्पर्द्धा का स्तर:
      • DBU डिजिटल चैनलों को नियामक मान्यता प्रदान करके मौजूदा चैनल बैंकिंग व्यवस्था में सुधार करते हैं। हालाँकि, वे प्रतिस्पर्द्धा पर चुप्पी साधे हुए हैं।
      • DBU दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से बताते हैं कि केवल मौज़ूदा वाणिज्यिक बैंक DBU स्थापित कर सकते हैं।
      • इसके विपरीत यहाँ प्रस्तावित डिजिटल बैंकों के लिये लाइसेंसिंग और नियामक ढाँचा प्रतिस्पर्द्धा/नवाचार आयामों के साथ अधिक सक्षम है।

वित्तीय समावेशन से संबंधित अन्य पहलें:

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. बैंक खाते से वंचित लोगों को संस्थागत वित्त के दायरे में लाने के लिये प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) आवश्यक है। क्या आप भारतीय समाज के गरीब वर्ग के वित्तीय समावेशन के लिये इससे सहमत हैं? अपने मत की पुष्टि के लिये उचित तर्क दीजिये। (2016)

स्रोत: पी.आई.बी.

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