सामाजिक न्याय
समर्थ (SAMARTH) पहल
- 08 Mar 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:समर्थ पहल, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, MSME, NSIC, संयुक्त राष्ट्र, मूल अधिकार, मौलिक कर्तव्य, महिलाओं से संबंधित विश्व सम्मेलन। मेन्स के लिये:लिंग, विकास से संबंधित मुद्दे, महिलाओं से संबंधित मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, सामाजिक सशक्तिरण। |
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के अवसर पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्री ने महिलाओं के लिये एक विशेष उद्यमिता प्रोत्साहन अभियान - "समर्थ" (SAMARTH) की शुरुआत की।
‘समर्थ’ पहल के बारे में:
- मंत्रालय की समर्थ पहल के अंतर्गत इच्छुक और मौजूदा महिला उद्यमियों को निम्नलिखित लाभ उपलब्ध होंगे:
- मंत्रालय की कौशल विकास योजनाओं के अंतर्गत आयोजित निशुल्क कौशल विकास कार्यक्रमों में 20 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिये आवंटित की जाएंगी।
- मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित विपणन सहायता के लिये योजनाओं के अंतर्गत घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भेजे जाने वाले MSME व्यापार प्रतिनिधिमंडल का 20 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं के स्वामित्व वाले MSME को समर्पित होगा।
- राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (National Small Industries Corporation-NSIC) की वाणिज्यिक योजनाओं के वार्षिक प्रसंस्करण शुल्क पर 20 प्रतिशत की छूट।
- NSIC, सूक्षम, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के तहत भारत सरकार का एक उद्यम है।
- उद्यम पंजीकरण (Udyam Registration) के अंतर्गत महिलाओं के स्वामित्व वाले MSMEs के पंजीकरण के लिये विशेष अभियान।
- इस पहल के माध्यम से MSME मंत्रालय महिलाओं को कौशल विकास और बाज़ार विकास सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- ग्रामीण और उप-शहरी क्षेत्रों की 7500 से अधिक महिला उम्मीदवारों को वित्त वर्ष 2022-23 में प्रशिक्षित किया जाएगा।
- इसके अलावा हज़ारों महिलाओं को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने व उनके विपणन के अवसर मिलेंगे।
- साथ ही सार्वजनिक खरीद में महिला उद्यमियों की भागीदारी बढ़ाने के लिये वर्ष 2022-23 के दौरान NSIC की निम्नलिखित वाणिज्यिक योजनाओं पर वार्षिक प्रसंस्करण शुल्क पर 20 प्रतिशत की विशेष छूट की पेशकश की जाएगी:
- एकल बिंदु पंजीकरण योजना
- कच्चे माल की सहायता और बिल में छूट
- निविदा विपणन
- B2B पोर्टल एमएसएमईमार्ट.कॉम
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस:
- परिचय:
- यह प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। इसमें शामिल हैं:
- महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव मनाना,
- महिलाओं की समानता के बारे में जागरूकता बढ़ाना,
- त्वरित लैंगिक समानता का समर्थन करना,
- महिला-केंद्रित दान आदि के लिये धन एकत्रित करना।
- यह प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। इसमें शामिल हैं:
- संक्षिप्त इतिहास:
- महिला दिवस पहली बार वर्ष 1911 में क्लारा ज़ेटकिन द्वारा मनाया गया था, जो कि जर्मन महिला थीं। इस उत्सव की जड़ें मज़दूर आंदोलन में निहित थीं।
- वर्ष 1913 में इस दिवस को 8 मार्च को मनाने का निर्णय लिया गया था और तब से यह इसी दिन मनाया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पहली बार वर्ष 1975 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया गया।
- दिसंबर 1977 में महासभा ने एक संकल्प को अपनाया जिसमें महिला अधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिये संयुक्त राष्ट्र दिवस की घोषणा की गई तथा जिसे सदस्य देशों द्वारा अपनी ऐतिहासिक व राष्ट्रीय परंपराओं के अनुसार वर्ष के किसी भी दिन मनाया जाएगा।
- वर्ष 2022 की थीम:
- “एक स्थायी कल के लिये आज लैंगिक समानता” (Gender equality today for a sustainable tomorrow)।
- संबंधित डेटा:
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, कानूनी प्रतिबंधों ने 2.7 बिलियन महिलाओं को पुरुषों के समान नौकरियों तक पहुँच से वंचित रखा है।
- वर्ष 2019 तक संसद में महिलाओं की भागीदारी 25% से कम थी।
- प्रत्येक तीन में से एक महिला लिंग आधारित हिंसा का अनुभव करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2019 में कोविड महामारी से पहले, भारत में महिला श्रम बल की भागीदारी 20.5% थी, जबकि तुलनात्मक रूप से महिलाओं के लिये यह अनुमान 76% था।
- विश्व आर्थिक मंच (WEF) के वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक/ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स (जो लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति को मापता है) के अंतर्गत भारत दक्षिण एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में से एक है, वर्ष 2021 में यह 156 देशों में 140वें स्थान पर रहा।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5 के अनुसार, वर्ष 2015-16 के 53% की तुलना में वर्ष 2019-21 में 15-49 आयु वर्ग की 57% महिलाएँ रक्ताल्पता से पीड़ित थीं।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, कानूनी प्रतिबंधों ने 2.7 बिलियन महिलाओं को पुरुषों के समान नौकरियों तक पहुँच से वंचित रखा है।
भारत में महिलाओं के लिये सुरक्षात्मक उपाय:
- संवैधानिक सुरक्षा उपाय:
- मूल अधिकार: यह सभी भारतीयों को समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14), लिंग के आधार पर राज्य द्वारा किसी प्रकार का विभेद नहीं [अनुच्छेद 15(1)] किये जाने और महिलाओं के पक्ष में राज्य द्वारा किये जाने वाले विशेष प्रावधानों की गारंटी देता है [अनुच्छेद 15 (3)]।
- मौलिक कर्तव्य: संविधान अनुच्छेद 51 (A)(e) के माध्यम से महिलाओं की गरिमा के लिये अपमानजनक प्रथाओं को त्यागने हेतु प्रत्येक नागरिक हेतु मौलिक कर्तव्य का प्रावधान करता है।
- विधिक उपाय:
- घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005: यह घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को अभियोजन के माध्यम से व्यावहारिक उपचार के साधन प्रदान करता है।
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961: यह दहेज के अनुरोध, भुगतान या स्वीकृति को प्रतिबंधित करता है।
- कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013: यह विधायी अधिनियम कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने का प्रयास करता है।
- संबंधित योजनाएँ: महिला ई-हाट, महिला प्रौद्योगिकी पार्क, ‘जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस’ (Gender Advancement for Transforming Institutions- GATI) इत्यादि।
महिलाओं से संबंधित वैश्विक सम्मेलन:
- संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं पर 4 विश्व सम्मेलन आयोजित किये हैं:
- मेक्सिको सिटी, 1975
- कोपेनहेगन, 1980
- नैरोबी, 1985
- बीजिंग, 1995
- बीजिंग में आयोजित महिलाओं पर चौथा विश्व सम्मेलन (WCW), संयुक्त राष्ट्र की अब तक की सबसे बड़ी सभाओं में से एक था और लैंगिक समानता एवं महिलाओं के सशक्तीकरण पर विश्व का ध्यान आकर्षित करने के संदर्भ में यह एक महत्त्वपूर्ण मोड़ था।
- बीजिंग घोषणापत्र महिला सशक्तीकरण का एक एजेंडा है और इसे लैंगिक समानता पर प्रमुख वैश्विक नीति दस्तावेज़ माना जाता है।
- यह महिलाओं की उन्नति, स्वास्थ्य तथा सत्ता में स्थापित एवं निर्णय लेने वाली महिलाओं, बालिकाओं व पर्यावरण जैसी चिंताओ के 12 महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में लैंगिक समानता की उपलब्धि के लिये रणनीतिक उद्देश्यों और कार्यों को निर्धारित करता है।
- हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने विकासशील देशों में गरीब महिलाओं के लिये एक ‘अस्थायी मूल आय’ (TBI) का प्रस्ताव किया है, ताकि उन्हें कोरोना महामारी के प्रभावों से निपटने में मदद मिल सके और प्रतिदिन उनके सामने आने वाले आर्थिक दबाव को कम किया जा सके।
विगत वर्षों के प्रश्नप्रश्न: 'बीजिंग डिक्लेरेशन एंड प्लेटफॉर्म एक्शन', जो अक्सर खबरों में देखा जाता है, है- (a) शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के परिणामस्वरूप क्षेत्रीय आतंकवाद से निपटने की रणनीति। उत्तर: (c) |