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प्रश्न :
भारत सरकार किरोसीन (Kerosene) के लिये ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ (DBT) योजना प्रारंभ कर रही है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में अनेक व्यावहारिक चुनौतियाँ हैं। चर्चा करें।
23 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
केंद्र सरकार ने रसोई गैस (LPG) के लिये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना के बाद किरोसीन (Kerosene) के लिये भी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रारंभ करने के लिये झारखंड के चार जिलों में एक पायलट प्रोजेक्ट प्रारंभ किया है। इसके अंतर्गत किरोसीन गैर-सब्सिडी युक्त मूल्य पर बेचा जा रहा है एवं स्वीकृत सब्सिडी को उपभोक्ताओं के बैंक खातों में प्रत्यक्षः अंतरित किया जा रहा है।
सरकार की इस पहल का उद्देश्य सब्सिडी को तर्कसंगत बनाना, लीकेज को रोकना तथा प्रशासनिक लागतों को कम करना है। लेकिन किरोसीन में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के समक्ष अनेक चुनौतियाँ भी हैं-
- किरोसीन के मामले में उपभोक्ताओं का सुव्यवस्थित एवं एकीकृत डाटाबेस का अभाव है अतः लाभार्थियों के निर्धारण में अनेक समस्याएँ आ सकती हैं। रसोई गैस में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण लागू करना इसलिये आसान था क्योंकि उपभोक्ताओं का डाटाबेस सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों के पास था।
- लाभार्थियों का निर्धारण एवं सब्सिडी की मात्रा का निर्धारण राज्यों द्वारा किया जाता है एवं राज्य सरकारों के लिये एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा है। अतः केंन्द्र इस विषय पर एक तरफा निर्णय नहीं ले सकता।
- डीजल एवं सब्सिडी-रहित किरोसीन के बीच मूल्य का अंतर अब भी इतना ज्यादा है किरोसीन को डीजल के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है।
- किरोसीन का प्रयोग सामान्यतः ग्रामीण क्षेत्रों एवं दूर-दराज के इलाकों में ईंधन के रूप में किया जाता है जहाँ बैंक शाखाओं की उपलब्धता अत्यल्प होने के कारण बैंक से धन आहरण की न केवल लागत बढ़ जाती है बल्कि काफी समय की बर्बाद होता है।
किरोसीन सब्सिडी के प्रत्यक्ष अंतरण के समक्ष आने वाली चुनौतियों को देखते हुए सरकार केा इसके वैकल्पिक उपायों को लागू करने की गति को बढ़ाना चाहिए। जैसे- भोजन पकाने के लिये LPG को बढ़ावा देना तथा प्रकाश उत्पन्न करने लिये सौर ऊर्जा एवं ग्रामीण विद्युतीकरण को बढ़ावा देना चाहिये। जहाँ एक तरफ अनेक राज्यों ने किरोसीन मुक्त राज्य घोषित किया है वहीं प्रत्यक्ष सब्सिडी प्रदान कर इसके उपयोग को बढ़ावा देना तर्कसंगत नहीं होगा।
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