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भारतीय अर्थव्यवस्था

आर्थिक विकास के लिये AI और नई ऊर्जा का उपयोग

  • 26 Jul 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), नैतिक AI, मशीन लर्निंग, लार्ज लैंग्वेज मॉडल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता मिशन

मेन्स के लिये:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), विकसित भारत 2047, AI स्टैक, डेटा कॉलोनाइज़ेशन, डेटा संप्रभुता, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI), उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI), FAME इंडिया योजना

स्रोत: लाइव मिंट

चर्चा में क्यों?

पिछले दशक में भारत का सकल घरेलू उत्पाद लगभग दोगुना होकर 3.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जो विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में इसकी स्थिति को दर्शाता है।

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और नई ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को प्राथमिकता देना, जिनमें संपूर्ण अर्थव्यवस्था में क्रांति लाने की क्षमता है, विकास तथा प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

भारत की आर्थिक वृद्धि हेतु प्रमुख उभरते क्षेत्र कौन-से हैं?

  • भारत का अपना AI स्टैक बनाना: भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्याप्त डिजिटलीकरण के बावजूद कंप्यूटिंग की पहुँच कम बनी हुई है। सूचना प्रौद्योगिकी (IT) सेवाओं में भारी सफलता के बावजूद वे 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के वैश्विक प्रौद्योगिकी उद्योग का केवल 1% हिस्सा हैं।
    • चीन जैसे वैश्विक प्रतिस्पर्धियों ने अनुसंधान, बुनियादी ढाँचे और प्रतिभा में सैकड़ों अरबों डॉलर लगाते हुए अपने AI में निवेश को तेज़ी से बढ़ाया है।
    • भारत की AI रणनीति को डेटा, कंप्यूटिंग और एल्गोरिदम में अपनी बुनियादी क्षमताओं का उपयोग करना चाहिये।
  • डेटा कॉलोनाइज़ेशन: यह विदेशी संस्थाओं द्वारा डेटा संसाधनों के नियंत्रण और उपयोग को संदर्भित करता है जो डेटा संप्रभुता तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करता है। भारत विश्व का 20% डेटा उत्पन्न करता है, फिर भी 80% डेटा को विदेशों में संग्रहीत किया जाता है, AI में संसाधित किया जाता है और उसे अधिक डॉलर में वापस आयात किया जाता है।
  • कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर: कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर के संदर्भ में भारत में वर्तमान में केवल 1GW डेटा सेंटर क्षमता है, जबकि वैश्विक क्षमता 50GW है।
    • अनुमानों से पता चलता है कि वर्ष 2030 तक अमेरिका 70GW तक पहुँच जाएगा, यदि चीन और भारत अपने वर्तमान पथ पर चलते रहे तो वे क्रमशः 30GW एवं 5GW तक पहुँच जाएँगे।
    • AI नेतृत्व हासिल करने के लिये भारत को AI को तेज़ी से अपनाने, डेटा स्थानीयकरण मानदंडों, वैश्विक कंप्यूटिंग कंपनियों के लिये प्रोत्साहन और डेटा केंद्रों हेतु उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI) की आवश्यकता है। वर्ष 2030 तक 50GW की तैनाती के लिये  200 बिलियन अमेरिकी डॉलर की पूंजी की आवश्यकता होगी जो एक महत्त्वाकांक्षी लेकिन प्राप्त करने योग्य लक्ष्य है।
    • भारत, सिलिकॉन विकास और डिज़ाइन प्रतिभा हेतु विश्व का सबसे बड़ा केंद्र है, फिर भी इसमें भारतीय-डिज़ाइन किये गए चिप्स की कमी है। इसे उद्योग-नेतृत्व वाली चिप डिज़ाइन परियोजनाओं और अनुसंधान से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से सरकारी प्रोत्साहन की आवश्यकता है।
  • चूँकि AI अनुसंधान अधिक प्रतिबंधित और स्वामित्वपूर्ण होता जा रहा है, इसलिये भारत के पास AI अनुसंधान और विकास (R&D) में खुले नवाचार में वैश्विक अभिकर्त्ता बनने का एक अनूठा अवसर है।
    • भारत विश्व स्तर की प्रतिभाओं और वैज्ञानिकों को देश में कार्य करने के लिये आकर्षित करके, औद्योगिक पैमाने पर अनुसंधान संसाधन उपलब्ध कराकर और AI अनुसंधान एवं विकास हेतु  सरकारी प्रोत्साहन प्रदान करके इस लक्ष्य को हासिल कर सकता है।
    • AI के लिये विश्व स्तर पर अग्रणी खुला नवाचार मंच बनाकर भारत स्वयं को AI उन्नति के क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर रख सकता है, साथ ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि इसके मूल्य और दृष्टिकोण इस परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार देंगे।
  • नई ऊर्जा आपूर्ति शृंखलाएँ: नई ऊर्जा प्रतिमान जीवाश्म ईंधन के खनन और शोधन से उन्नत सामग्री विज्ञान की ओर स्थानांतरित हो रही है, विशेष रूप से लिथियम जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये। यह परिवर्तन वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य को नया आकार दे रहा है और भारत को इस क्रांति में सबसे आगे रहना चाहिये।

नई ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र के तीन स्तंभ क्या हैं?

  • नई ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र तीन स्तंभों पर टिका है:
    • नवीकरणीय ऊर्जा (RE) उत्पादन: भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वर्ष 2014 में 72GW से बढ़कर वर्ष 2023 में 175GW से भी अधिक हो गई है, जबकि सौर ऊर्जा क्षमता 3.8GW से बढ़कर 88GW से अधिक हुई है।
      • हालाँकि, भारत अभी भी वैश्विक अग्रणी राष्ट्रों से पीछे है। वर्ष 2023 में, चीन ने 215 GW सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की, जबकि भारत ने केवल 8 GW स्थापित किया। वर्ष 2030 तक अपने 500 GW लक्ष्य को पूरा करने के लिये भारत को नवीकरणीय ऊर्जा परिनियोजन पर केंद्रित होने की आवश्यकता है।
    • बैटरी स्टोरेज: नवीकरणीय ऊर्जा को वास्तव में प्रभावी बनाने के लिये भारत को इसे एक सुदृढ़ बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के साथ जोड़ना होगा। वर्तमान में, इसकी बैटरी स्टोरेज उत्पादन क्षमता केवल 2GWh है, जबकि चीन की 1,700GWh है। 
      • नवीकरणीय ऊर्जा ग्रिड को शक्ति प्रदान करने और 100% EV अपनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये भारत को 1,000GWh क्षमता का लक्ष्य रखना होगा। बैटरी भंडारण में यह महत्त्वपूर्ण वृद्धि न केवल इसके नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करेगी, बल्कि लागत में कमी में भी सहायक सिद्ध होगी जिससे देश भर में ऊर्जा की पहुँच में सुधार होगी।
    • EV क्षेत्र: EV क्षेत्र में, भारत की वर्तमान स्थिति प्रति 1,000 लोगों पर 200 वाहनों से कम है, वहीं चीन के 30 मिलियन की तुलना में वार्षिक रूप से  2 मिलियन EV बेचे जाते हैं।
      • वर्ष 2030 तक, भारत को संभावित रूप से 50 मिलियन EV का उत्पादन करते हुए विश्व का सबसे बड़ा EV बाज़ार बनने का लक्ष्य रखना चाहिये।
      • इस बदलाव से एक स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित होगा, उपभोक्ताओं के लिये परिवहन लागत कम होगा और अर्थव्यवस्था के समग्र रसद खर्च भी कम होंगे।
      • वर्तमान में, नई ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र का 90% हिस्सा— जिसमें सौर उत्पादन, लिथियम सेल निर्माण, मिडस्ट्रीम प्रसंस्करण और EV उत्पादन शामिल है— चीन में केंद्रित है।
      • अपनी स्वयं की प्रौद्योगिकियों और आपूर्ति शृंखलाओं का निर्माण करके, भारत अपनी अर्थव्यवस्था को अधिक ऊर्जा-कुशल बना सकता है तथा भविष्य के लिये तैयार लाखों नौकरियों का सृजन कर सकता है।
      • यह परिवर्तन इसकी ऊर्जा स्वतंत्रता को सुरक्षित करेगा और इसे जलवायु परिवर्तन के नियंत्रण हेतु वैश्विक प्रयास में एक प्रमुख देश के रूप में स्थापित करेगा। वैश्विक नेतृत्व के लिये भारत का मार्ग भविष्य की इन प्रौद्योगिकियों में महारत प्राप्त करने में निहित है।

उभरते क्षेत्रों से संबंधित भारत की पहल

इन उभरते क्षेत्रों में चुनौतियाँ और इसके संभावित समाधान क्या हैं?

चुनौतियाँ

आगे की राह

बुनियादी ढाँचे की कमी

  • कंप्यूटिंग बुनियादी ढाँचे, विशेष रूप से डेटा केंद्रों को उन्नत करने के लिये महत्त्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता है। AI हार्डवेयर के लिये स्वदेशी चिप तकनीक का विकास महत्त्वपूर्ण है।

प्रतिभा अधिग्रहण और प्रतिधारणा

  • ऐसा माहौल बनाना जो घरेलू स्तर पर AI टैलेंट को पोषित करे और विदेशों से उनकी वापसी को प्रोत्साहित करे। कुशल पेशेवरों के लिये वैश्विक तकनीकी दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करना।

डेटा गोपनीयता और सुरक्षा

  • सुदृढ़ डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क की स्थापना करना और उत्पन्न डेटा की विशाल मात्रा का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिये नागरिकों में विश्वास का निर्माण करना।

वित्तीय बाधाएँ

  • AI स्टैक बनाने और नई ऊर्जा अर्थव्यवस्था में संक्रमण के उद्देश्य से बड़े पैमाने की परियोजनाओं के लिये सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के संसाधनों को जुटाना

आपूर्ति शृंखला की कमज़ोरियाँ

  • वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं पर निर्भरता कम करने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिये सेमीकंडक्टर और बैटरी सामग्री जैसे महत्त्वपूर्ण घटकों के लिये एक लचीली घरेलू आपूर्ति शृंखला का निर्माण करना।

नीति और विनियामक वातावरण

  • AI और नए ऊर्जा क्षेत्रों के लिये एक अनुकूल नीति तथा विनियामक वातावरण बनाना जो नवाचार को सुरक्षा, सुरक्षा एवं नैतिक विचारों के साथ संतुलित करता है।

तकनीकी जटिलता

  • तेज़ी से हो रही तकनीकी प्रगति के साथ अपडेट रहने और AI एवं नए ऊर्जा क्षेत्रों में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने हेतु अनुसंधान व  विकास में निरंतर निवेश।

निष्कर्ष

चूँकि भारत वर्ष 1947 में प्राप्त अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता का उत्सव मना रहा है, इसलिये वर्ष 2047 का लक्ष्य तकनीकी स्वतंत्रता प्राप्त करना होना चाहिये। भारत को तकनीकी उन्नति के लिये एक अनूठी कार्यपुस्तिका विकसित करनी चाहिये, अपनी विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करना चाहिये और अपनी शक्तियों का लाभ उठाना चाहिये, न केवल आर्थिक विकास हेतु बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिये भी प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: ‘भारत कई प्रमुख क्षेत्रों में अपनी तकनीकी और अवसंरचनात्मक क्षमताओं को बढ़ाने के लिये सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।’ टिप्पणी कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना  
  2. सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना  
  3. रोगों का निदान  
  4. टेक्स्ट-से-स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन  
  5. विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. भारत के प्रमुख शहरों में आईटी उद्योगों के विकास से उत्पन्न होने वाले मुख्य सामाजिक-आर्थिक प्रभाव क्या हैं? (2022)

प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेन्स को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है"। विवेचन कीजिये। (2020)

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