जैव विविधता और पर्यावरण
भारत के कोयला क्षेत्र की हरित पहल
- 31 Aug 2022
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:शुद्ध शून्य उत्सर्जन, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC), पेरिस समझौता, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहन योजना, वाहन स्क्रैपिंग नीति, वैश्विक EV30@30 अभियान, UNFCCC COP26, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन, प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (PAT)। मेन्स के लिये:भारत के कोयला क्षेत्र की हरित पहल, भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) को प्राप्त करने के लिये भारत द्वारा उठाए गए आवश्यक कदम। |
चर्चा में क्यों?
कोयला मंत्रालय ने कोयला कंपनियों के लिये वर्ष 2022-23 के दौरान कोयला क्षेत्रों में और इसके आसपास के क्षेत्रों में 2400 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को हरित आवरण (ग्रीन कवर) के तहत लाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
- वर्ष 2022-23 में 50 लाख से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
हरित पहल
- चिह्नित क्षेत्र:
- चिह्नित क्षेत्रों में कोयला कंपनियों के पुनः प्राप्त खनन क्षेत्र और राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराये गये पट्टेदार से बाहर के क्षेत्र शामिल हैं।
- उपलब्धि:
- अब तक कोयला खनन क्षेत्रों में हरित अभियान व्यापक है और 15 अगस्त, 2022 तक लगभग 1000 हेक्टेयर भूमि को ब्लॉक पौधरोपण, एवेन्यू पौधरोपण, घास के मैदान निर्माण, बाँस वृक्षारोपण और उच्च तकनीक खेती के माध्यम से कवर किया जा चुका है।
- उदाहरण: तमिलनाडु में NLCIL के खदान-1 भूमि-सुधार क्षेत्र में धान के खेत और नारियल का बागान एवं मध्य प्रदेश के सिंगरौली में NCL के निगाही क्षेत्र में बायो-रिक्लेमेशन (निम्नीकृत मृदा को उत्पादक भूमि में परिवर्तित करना)।
- महत्त्व:
- वनरोपण मानवजनित गतिविधियों से क्षतिग्रस्त भूमि को फिर से उपयुक्त बनाने का एक प्रामाणिक तरीका है और यह खनन कार्य समाप्त हो चुके क्षेत्र के संतोषजनक पुनर्वास को प्राप्त करने के लिये आवश्यक है।
- कोयला क्षेत्र की हरित पहल वर्ष 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्ष आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बराबर अतिरिक्त कार्बन संचय करने के लिये भारत की राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) की प्रतिबद्धता का समर्थन करती है।
- भारत ने हाल ही में अपने NDCs में संशोधन किया है।
- हरित पहल कोयला खनन के असर को कम करने में मदद करता है, मृदा के कटाव को रोकता है, जलवायु को स्थिर करता है, वन्य जीवन को संरक्षित करता है और वायु एवं जल की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
- वैश्विक स्तर पर, यह कार्बन की मात्रा में कमी लाने के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की गति को कम करता है और इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र का आर्थिक विकास भी होता है।
- भारतीय कोयला उद्योग का लक्ष्य अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की मांग को पूरा करने के लिये कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करना और पर्यावरण पर खनन के प्रभाव को कम करते हुए स्थानीय निवासियों के लिये जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
भारत के संशोधित NDC
- परिचय:
- उत्सर्जन तीव्रता:
- भारत अब वर्ष 2005 के स्तर से सकल घरेलू उत्पाद (GDP की प्रति इकाई उत्सर्जन) की उत्सर्जन तीव्रता में कम-से-कम 45% की कमी करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- मौजूदा लक्ष्य के तहत 33% – 35% की कमी करना था।
- विद्युत उत्पादन:
- भारत यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास कर रहा है कि वर्ष 2030 में स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का कम से कम 50% गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों पर आधारित हो।
- यह वर्तमान के 40% लक्ष्य से अधिक है।
- भारत यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास कर रहा है कि वर्ष 2030 में स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का कम से कम 50% गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों पर आधारित हो।
- उत्सर्जन तीव्रता:
- अन्य NDC:
- वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाना।
- वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को 1 बिलियन टन तक कम करना।
- वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करना।
जलवायु परिवर्तन की दिशा में भारत की पहल:
- परिवहन क्षेत्र में सुधार:
- भारत तीव्र अनुकूलन और हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहन योजना के निर्माण के साथ अपने ई-मोबिलिटी संक्रमण में तीव्रता ला रहा है।
- पुराने और अनुपयुक्त वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिये स्वैच्छिक वाहन स्क्रैपिंग नीति मौजूदा योजनाओं की पूरक है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास हेतु भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
- भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है जो वैश्विक ‘EV30@30 अभियान' का समर्थन करता है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक नए वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी को कम-से-कम 30% करना है।
- ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (United Nations Climate Change Framework Convention-UNFCCC) CoP26 में जलवायु परिवर्तन से उपाय के लिये पाँच तत्त्वों "पंचामृत" की अवधारणा को प्रस्तुत करना भारत के लिये इन्हीं कदमों में से एक है।
- सरकारी योजनाओं की भूमिका:
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना द्वारा 88 मिलियन परिवारों को कोयला आधारित खाना पकाने के ईंधन से एलपीजी कनेक्शन में स्थानांतरित किया गया है।
- निम्न-कार्बन संक्रमण में उद्योगों की भूमिका:
- भारत में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र पहले से ही जलवायु चुनौती को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, ग्राहकों और निवेशकों की बढ़ती जागरूकता के साथ-साथ नियामक और प्रकटीकरण आवश्यकताओं को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।
- हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन:
- हरित ऊर्जा संसाधनों के माध्यम से हाइड्रोजन के उत्पादन पर ध्यान देना।
- प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (Perform, Achieve and Trade-PAT):
- PAT ऊर्जा गहन उद्योगों की ऊर्जा दक्षता में सुधार हेतु लागत प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये एक बाज़ार आधारित तंत्र है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 3 उत्तर: b व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। |