12 नए औद्योगिक स्मार्ट शहरों को मंज़ूरी | 05 Sep 2024
प्रिलिम्स के लिये:औद्योगिक स्मार्ट शहर, स्मार्ट सिटी मिशन, केंद्र प्रायोजित योजना, सतत् विकास, विशेष प्रयोजन वाहन (SPV), सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP), कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT), प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) मेन्स के लिये:औद्योगिक स्मार्ट शहरों के विकास से जुड़ी चुनौतियाँ और आगे की राह |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 10 राज्यों में 6 प्रमुख औद्योगिक गलियारों में 12 औद्योगिक स्मार्ट शहरों की स्थापना को मंज़ूरी दी।
- औद्योगिक परियोजनाओं के लिये चुने गए शहर उत्तराखंड, पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में हैं।
औद्योगिक स्मार्ट सिटी क्या है?
- परिचय:
- औद्योगिक स्मार्ट सिटी एक शहरी क्षेत्र है, जो औद्योगिक परिचालन की दक्षता बढ़ाने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिये उन्नत प्रौद्योगिकियों तथा डेटा विश्लेषण को एकीकृत करता है।
- इन स्मार्ट औद्योगिक शहरों का उद्देश्य विदेशी निवेश आकर्षित करना, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और रोज़गार को बढ़ावा देना है।
- उद्देश्य:
- भारत में नए औद्योगिक शहरों के विकास का उद्देश्य निवेशकों को आवंटन हेतु तैयार भूमि उपलब्ध कराकर वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में देश की स्थिति को सुदृढ़ करना है।
- इसका उद्देश्य 'प्लग-एंड-प्ले' और 'वॉक-टू-वर्क' जैसी उन्नत शहरी अवधारणाओं को एकीकृत करना है।
- प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक पार्क उपयोग के लिये तैयार बुनियादी ढाँचा प्रदान करते हैं, जिससे व्यवसायों को तुरंत परिचालन शुरू करने में सहायता मिलती है।
- "वॉक-टू-वर्क" एक शहरी नियोजन रणनीति है, जो लोगों को अपने कार्यस्थलों के पास रहने के लिये प्रोत्साहित करती है, कार के उपयोग को कम कर, पैदल चलने को बढ़ावा देती है।
- विकास का रोडमैप:
- इन शहरों का विकास राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (National Industrial Corridor Development Programme- NICDP) के तहत किया जाएगा।
- NICDP का लक्ष्य उन्नत औद्योगिक शहरों का विकास करना है, जो विश्व के शीर्ष विनिर्माण और निवेश स्थलों के साथ प्रतिस्पर्द्धा कर सकें।
- इसे बड़े प्रमुख उद्योगों तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small, and Medium Enterprises- MSME) दोनों से निवेश की सुविधा प्रदान करके, एक जीवंत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिये अभिकल्पित किया गया है।
- पहला औद्योगिक गलियारा दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा, 2007 में स्वीकृत किया गया था।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास एवं कार्यान्वयन ट्रस्ट (National Industrial Corridor Development and Implementation Trust- NICDIT) और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम लिमिटेड (National Industrial Corridor Development Corporation Limited- NICDC) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
- ये औद्योगिक ग्रंथियाँ (nodes) आवासीय और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को एकीकृत करेंगे तथा आत्मनिर्भर शहरी वातावरण के रूप में कार्य करेंगे।
- सरकार इन परियोजनाओं के विपणन के लिये इन्वेस्ट इंडिया (भारत की राष्ट्रीय निवेश संवर्धन एवं सुविधा एजेंसी) के साथ साझेदारी करने की योजना बना रही है।
- पार्कों के क्रियान्वयन के लिये एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle- SPV) भी स्थापित किया जाएगा, जिसकी पूर्णता अवधि 3 वर्ष होगी, जो राज्य के सहयोग पर निर्भर करेगा।
- इन शहरों का विकास राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (National Industrial Corridor Development Programme- NICDP) के तहत किया जाएगा।
स्वीकृत औद्योगिक स्मार्ट शहरों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- राष्ट्रीय आर्थिक लक्ष्यों और PM गति-शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप:
- इन स्मार्ट शहरों का विकास सरकार के वर्ष 2030 तक 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात लक्ष्य के अनुरूप है।
- परियोजनाओं को प्रधानमंत्री के गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप बनाया जाएगा, जिसमें लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवागमन को सक्षम करने के लिये मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी बुनियादी ढाँचे को शामिल किया जाएगा।
- यह बुनियादी ढाँचा देश भर में रसद दक्षता (logistics efficiency) में सुधार और आपूर्ति शृंखला को सुव्यवस्थित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- ये शहर स्वर्णिम चतुर्भुज के साथ-साथ ‘औद्योगिक शहरों के समूह’ का हिस्सा होंगे, जिससे कनेक्टिविटी और औद्योगिक विकास में वृद्धि होगी।
- महत्त्व:
- ये परियोजनाएँ सिंगापुर और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) आकर्षित करने के लिये तैयार की गई हैं।
- इन शहरों में लगभग 10 लाख प्रत्यक्ष रोज़गार और 30 लाख तक अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है तथा इनमें 1.5 लाख करोड़ रुपए की निवेश क्षमता है।
- NICDP के तहत विकसित शहर पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिये ICT-सक्षम उपयोगिताओं और हरित प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके स्थिरता को बढ़ावा देंगे, साथ ही घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने हेतु आवंटन के लिये तैयार भूमि पार्सल प्रदान करेंगे, जिसका उद्देश्य वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करना है।
औद्योगिक स्मार्ट शहरों के विकास से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?
- तकनीकी एकीकरण और अवसंरचना: IoT उपकरणों, हाई-स्पीड इंटरनेट और डेटा केंद्रों का समर्थन करने के लिये पुराने शहरी औद्योगिक अवसंरचना को उन्नत करने हेतु महत्त्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होती है और विशेष रूप से पुराने शहरों में यह तार्किक चुनौतियाँ भी उत्पन्न करता है।
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: स्मार्ट उपकरणों से एकत्रित विशाल डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मज़बूत सुरक्षा प्रोटोकॉल और निरंतर निगरानी की आवश्यकता होती है।
- वित्तपोषण और निवेश: सार्वजनिक या निजी स्रोतों से पर्याप्त वित्तीय निवेश प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण है, जिसके लिये हितधारकों को दीर्घकालिक लाभ और निवेश पर प्रतिफल (Return on Investment- ROI) के बारे में आश्वस्त करना आवश्यक है।
- सार्वजनिक स्वीकृति और जागरूकता: प्रभावी संचार तथा शिक्षा के माध्यम से गोपनीयता, स्वचालन के कारण नौकरी की हानि एवं जीवनशैली में बदलाव के बारे में नागरिकों की चिंताओं को संबोधित करना औद्योगिक स्मार्ट सिटी परियोजनाओं की सफलता के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- शासन और नीतिगत मुद्दे: नगरपालिका के कानूनों, नियमों और नीतियों में परिवर्तन करने में समय लगता है और ये राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे हैं, जिससे स्मार्ट सिटी कार्यक्रमों को लागू करना अधिक कठिन हो जाता है।
आगे की राह
- नियामक सुधार: प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल और डिजिटल बनाना, सरकारी स्तरों पर विनियमनों में सामंजस्य स्थापित करना तथा कार्यकुशलता में सुधार, व्यावसायिक बोझ को कम करने एवं निवेशकों का विश्वास बनाने के लिये निर्णय लेने में पारदर्शिता बढ़ाना।
- कुशल भूमि अधिग्रहण: अधिग्रहण को सुव्यवस्थित करने के लिये भूमि बैंक बनाने, विवादों को कम करने के लिये उचित मुआवजा सुनिश्चित करने और प्रक्रिया में तेज़ी लाने हेतु भूमि पूलिंग जैसे नवीन तरीकों का उपयोग करने की आवश्यकता है।
- सतत् विकास: इन प्रयासों को समर्थन देने के लिये गहन पर्यावरणीय आकलन करना, टिकाऊ व्यावसायिक क्रियाओं को बढ़ावा देना और आवश्यक बुनियादी ढाँचे में निवेश करना जरूरी है।
- कौशल विकास और कार्यबल प्रशिक्षण: औद्योगिक पार्कों में कौशल की कमी को दूर करने के लिये व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करना, अनुरूप प्रशिक्षण कार्यक्रमों हेतु उद्योगों के साथ सहयोग करना तथा कर्मचारियों के विकास में निवेश करने के लिये व्यवसायों को प्रोत्साहित करने हेतु प्रोत्साहन प्रदान करना महत्त्वपूर्ण है।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी: औद्योगिक स्मार्ट शहरों के विकास के लाभों को अधिकतम करने के लिये, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है, जो जोखिम और लाभ को समान रूप से साझा करना तथा शासन में पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: औद्योगिक स्मार्ट शहर क्या हैं? भारत के शहरी विकास में उनकी प्रासंगिकता की जाँच कीजिये और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को सूचीबद्ध कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्स:प्रश्न. भारत में नगरीय जीवन की गुणता की संक्षिप्त पृष्ठभूमि के साथ, ‘स्मार्ट नगर कार्यक्रम’ के उद्देश्य और रणनीति बताइये। (2016) |