वैश्विक व्यापार परिदृश्य और सांख्यिकी 2025 | 18 Apr 2025

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

विश्व व्यापार संगठन (WTO) की वैश्विक व्यापार परिदृश्य और सांख्यिकी 2025 के अनुसार वर्ष 2025 में वैश्विक वाणिज्य-वस्तु व्यापार में 0.2% की गिरावट आने का अनुमान है। यह विशेष रूप से अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ तनाव और व्यापक व्यापार नीति अनिश्चितता को दर्शाता है।

वर्ष 2025-26 का वैश्विक व्यापार परिदृश्य क्या है?

  • वाणिज्य-वस्तु व्यापार में अनुमानित गिरावट: वैश्विक वाणिज्य-वस्तु व्यापार के लिये विश्व व्यापार संगठन के पुनरीक्षित पूर्वानुमान में वर्ष 2025 में 0.2% की गिरावट दर्शाई गई है।
    • यदि व्यापार तनाव और बढ़ता है, विशेष रूप से नई टैरिफ दरों के साथ, तो गिरावट 1.5% तक हो सकती है। यह वर्ष 2024 में हुई 2.9% की वृद्धि के पूर्ण रूप से विपरीत है।
  • टैरिफ का प्रभाव: अमेरिकी पारस्परिक टैरिफ (एक देश द्वारा अधिरोपित प्रशुल्क के प्रत्युत्तर में अन्य देश द्वारा प्रशुल्क बढ़ाना) के पुनः सक्रिय होने से वैश्विक व्यापार वृद्धि में 0.6% की कमी आ सकती है, जबकि वर्ष 2025 में जारी अमेरिकी-चीन टैरिफ वृद्धि से व्यापार में अतिरिक्त 0.8% की कमी आ सकती है।
  • सेवा व्यापार में नगण्य वृद्धि: वाणिज्य-वस्तु व्यापार में चुनौतियों के बावजूद, वैश्विक सेवा व्यापार में वर्ष 2025 में 4.0% की वृद्धि होने का अनुमान है, जो टैरिफ-प्रेरित व्यवधानों के कारण अपेक्षा से कम है। 
    • माल व्यापार में गिरावट से परिवहन और यात्रा जैसी सेवाएँ प्रभावित होती हैं, जबकि व्यापक अनिश्चितता से निवेश संबंधी सेवाएँ प्रभावित होती हैं।
  • क्षेत्रीय प्रभाव: उत्तरी अमेरिका के निर्यात में 12.6% की आकस्मिक गिरावट आने की आशंका है, जिससे वैश्विक व्यापार पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
    • एशिया और यूरोप के व्यापार में नगण्य वृद्धि होने का अनुमान है जिसमें एशिया के निर्यात में 1.6% की वृद्धि तथा यूरोप के निर्यात में 1.0% की वृद्धि के अनुमान हैं।
  • सुभेद्य अर्थव्यवस्थाएँ: अल्प विकसित देश (LDC), जो निर्यात की एक सीमित सीमा पर अत्यधिक निर्भर हैं, वैश्विक व्यापार में मंदी के प्रति विशेष रूप से सुभेद्य हैं।
  • व्यापार विचलन: अमेरिका-चीन व्यापार व्यवधान से व्यापक व्यापार विचलन हो सकता है, तथा उत्तरी अमेरिका के बाह्य क्षेत्रों में चीनी निर्यात में 4% से 9% की वृद्धि होने का अनुमान है।
    • इस बीच, चीन से अमेरिकी आयात में गिरावट आने की उम्मीद है, जिससे LDC सहित अन्य आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये इस दौरान अवसर सृजित होंगे।
  • आर्थिक मंदी का जोखिम: व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) के अनुमान अनुसार वर्ष 2025 में वैश्विक विकास दर धीमी होकर 2.3% हो जाएगी, जो मंदी की ओर संभावित बदलाव का संकेत है, जिसमें विकासशील देश विशेष रूप से सुभेद्य होंगे।
    • चूँकि आर्थिक विखंडन और भू-आर्थिक टकराव का जोखिम बढ़ रहा है, इसलिये UNCTAD वैश्विक आर्थिक लचीलेपन का सुदृढ़ीकरण करने के लिये क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीति समन्वय बढ़ाने का आग्रह करता है।
  • भारत की व्यापार स्थिति: वर्ष 2024 में, अग्रणी वस्तु निर्यातकों (अंतर-यूरोपीय संघ व्यापार को छोड़कर) में भारत की रैंक गिरकर 14 वें स्थान पर आ गई, जबकि वैश्विक वस्तु व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 2.2% पर स्थिर रही। 
    • इसी प्रकार, प्रमुख वस्तु आयातकों (अंतर-यूरोपीय संघ व्यापार को छोड़कर) में भारत की रैंक गिरकर 7 वें स्थान पर आ गई, तथा इसकी हिस्सेदारी 3.4% पर अपरिवर्तित रही।
    • वाणिज्यिक सेवाओं (अंतर-यूरोपीय संघ व्यापार को छोड़कर) के मामले में निर्यातक के रूप में भारत की रैंक 5.4% से 5.3% तक मामूली गिरावट के साथ 6 वें स्थान पर आ गई। आयात के मामले में भारत का स्थान 6वाँ रहा, हालाँकि इसका हिस्सा 4.2% से थोड़ा कम होकर 4.1% हो गया।

वैश्विक व्यापार व आयात वृद्धि दर (प्रतिशत वार्षिक परिवर्तन)

वर्ष

वैश्विक पण्य व्यापार मात्रा में वृद्धि (पहले)

वैश्विक पण्य व्यापार मात्रा में वृद्धि (अब)

उत्तरी अमेरिका में आयात वृद्धि

यूरोप आयात वृद्धि

अफ्रीका में आयात वृद्धि

मध्य पूर्व में आयात वृद्धि

एशिया में आयात वृद्धि

2024

2.9%

2.9%

-

-

-

-

-

2025

2.7%

-0.2%

-9.6%

1.9%

6.5%

6.3%

1.6%

2026

2.9%

2.5%

-0.8%

2.7%

5.3%

6.7%

3.8%

(स्रोत: WTO, सभी आँकड़े अनुमानित हैं)

विश्व व्यापार संगठन

  • परिचय: विश्व व्यापार संगठन एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जिसकी स्थापना वर्ष 1995 में देशों के बीच वैश्विक व्यापार को विनियमित करने के लिये की गई थी। इसे टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) के उरुग्वे दौर की वार्ता (1986-94) के बाद 123 देशों द्वारा हस्ताक्षरित मारकेश समझौते, 1994 के तहत बनाया गया था।
    • WTO ने GATT का स्थान लिया, जो वर्ष 1948 से विश्व व्यापार को नियंत्रित करता था। जबकि GATT मुख्य रूप से वस्तुओं पर केंद्रित था, WTO ने अपने दायरे का विस्तार करते हुए वस्तुओं, सेवाओं और बौद्धिक संपदा के व्यापार को भी इसमें शामिल कर लिया, जिसमें सृजन, डिजाइन और आविष्कार शामिल थे।
  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड। 
  • सदस्य: 166 सदस्य, जो वैश्विक व्यापार का 98% प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत वर्ष 1995 से इसका सदस्य है और वर्ष 1948 से GATT का हिस्सा है।
  • प्रमुख WTO समझौते: TRIMS (व्यापार-संबंधित निवेश उपाय) उन उपायों पर रोक लगाता है जो विदेशी उत्पादों के विरुद्ध भेदभाव करते हैं। TRIPS (बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलू) बौद्धिक संपदा अधिकारों पर विवादों का समाधान करता है। 
    • AoA (कृषि पर समझौता) कृषि व्यापार उदारीकरण को बढ़ावा देता है, तथा बाज़ार पहुँच और घरेलू समर्थन पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • प्रमुख रिपोर्टें: वर्ल्ड ट्रेड रिपोर्ट, ग्लोबल ट्रेड आउटलुक एंड स्टैटिस्टिक्स, एड फॉर ट्रेड इन एक्शन।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: वैश्विक व्यापार, आर्थिक विकास और क्षेत्रीय व्यापार पैटर्न पर टैरिफ वृद्धि के प्रभाव का विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 'एग्रीमेंट ओन एग्रीकल्चर', 'एग्रीमेंट ओन द एप्लीकेशन ऑफ सेनेटरी एंड फाइटोसेनेटरी मेज़र्स और 'पीस क्लाज़' शब्द प्रायः समाचारों में किसके मामलों के संदर्भ में आते हैं; (2015)

(a) खाद्य और कृषि संगठन
(b) जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र का रुपरेखा सम्मेलन
(c) विश्व व्यापार संगठन
(d) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित में से किस संदर्भ में कभी-कभी समाचारों में 'एंबर बॉक्स, ब्लू बॉक्स और ग्रीन बॉक्स' शब्द देखने को मिलते हैं? (2016)

(a) WTO मामला
(b) SAARC मामला
(c) UNFCCC मामला
(d) FTA पर भारत-EU वार्ता

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न 1. यदि 'व्यापार युद्ध' के वर्तमान परिदृश्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू० टी० ओ०) को जिंदा बने रहना है, तो उसके सुधार के कौन-कौन से प्रमुख क्षेत्र हैं, विशेष रूप से भारत के हित को ध्यान में रखते हुए? (2018)

प्रश्न 2. "विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) के अधिक व्यापक लक्ष्य और उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रबंधन और प्रोन्नति करना है। परन्तु (संधि) वार्ताओं की दोहा परिधि मृतोन्मुखी प्रतीत होती है, जिसका कारण विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेद है।" भारतीय परिप्रेक्ष्य में, इस पर चर्चा कीजिये। (2016)