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भारतीय अर्थव्यवस्था

G7 व्यापार मंत्रियों की बैठक

  • 31 Oct 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

G7 व्यापार मंत्रियों की बैठक, आपूर्ति शृंखला लचीलापन, कोविड 19 महामारी, मुक्त व्यापार समझौता (FTA), व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA)

मेन्स के लिये:

G7 व्यापार मंत्रियों की बैठक, भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन संघटन, वृद्धि, विकास और रोज़गार से संबंधित मुद्दे।

स्रोत: पी.आई.बी. 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने जापान के ओसाका में ग्रुप ऑफ सेवन (G7) के व्यापार मंत्रियों के साथ बैठक में भाग लिया।

बैठक के मुख्य तथ्य:

  • आपूर्ति शृंखला लचीलापन:
    • भारत ने वैश्विक स्तर पर आपूर्ति शृंखला लचीलापन बढ़ाने के विषय पर एक महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप किया और इस मुद्दे पर कई सुझाव भी दिये।
    • भारत ने यह भी उल्लेख किया कि कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक घटनाओं ने मौजूदा आपूर्ति शृंखलाओं की कमज़ोरियों को उजागर किया है, जिससे कमोडिटी/वस्तुओं की कीमतों एवं वैश्विक मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है। 
    • भारत ने सदस्य राष्ट्रों से आपूर्ति शृंखलाओं के परिवहन को आसान बनाने और सीमा पार व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिये एक नियामक ढाँचे पर सहयोग करने का आग्रह किया।
  • वैश्विक मूल्य शृंखलाओं के मानचित्रण के लिये सामान्य रूपरेखा:
    • भारत ने सदस्य देशों को जोखिमों की पहचान करने और व्यापार में लचीलापन बढ़ाने में सहायता करने के लिये G20 की नई दिल्ली घोषणा में उल्लिखित वैश्विक मूल्य शृंखलाओं के मानचित्रण के लिये जेनेरिक फ्रेमवर्क का भी संदर्भ दिया।
  • सार्वजनिक निजी साझेदारी को प्रोत्साहन:
    • भारत ने सार्वजनिक-निजी साझेदारी, महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे में निवेश और आपूर्ति शृंखलाओं के नवाचार तथा डिजिटलीकरण की आवश्यकता को भी प्रोत्साहित किया।
  • मुक्त व्यापार समझौता (FTA):
    • बैठक से आलावा भारत और यूनाइटेड किंगडम ने प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की प्रगति की समीक्षा की, जिसके लिये यह चर्चा अंतिम चरण में पहुँच गई है। 
    • इन वार्ताओं का उद्देश्य रूल्स ऑफ ओरिजिन और सेवा क्षेत्र जैसे मुद्दों पर मतभेदों को दूर करना है।
      • रूल्स ऑफ ओरिजिन किसी उत्पाद का राष्ट्रीय स्रोत निर्धारित करते हैं। उनका महत्त्व इस तथ्य से मिलता है कि कई मामलों में शुल्क और प्रतिबंध आयात के स्रोत पर निर्भर करते हैं।
      • यूनाइटेड किंगडम स्कॉच व्हिस्की, ऑटोमोबाइल, मेमने का माँस, चॉकलेट और कुछ कन्फेक्शनरी वस्तुओं पर आयात शुल्क में उल्लेखनीय कमी करना चाहता है। वह भारतीय बाज़ारों में विशेष रूप से दूरसंचार, कानूनी और वित्तीय सेवाओं में यूनाइटेड किंगडम सेवाओं के लिये अधिक अवसर चाहता है।
  • व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता:

ग्रुप ऑफ सेवन (G7):

  • परिचय:
    • यह एक वैश्विक अंतरसरकारी संगठन है जिसका गठन वर्ष 1975 में किया गया था।
    • वैश्विक आर्थिक प्रशासन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिये G7 देशों की वार्षिक बैठक होती है।
  • सदस्य देश:
    • G7 देश यूके, कनाडा, फ्राँस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका हैं।
      • सभी G7 देश और भारत G20 का हिस्सा हैं।
  • औपचारिक चार्टर/सचिवालय:
    • G7 के पास कोई औपचारिक चार्टर या सचिवालय नहीं है। एजेंडा स्थापित करने का कार्य अध्यक्ष करता है, यह अध्यक्ष पद सदस्य देशों के बीच प्रत्येक वर्ष स्थानांतरित होता रहता है।
      • शेरपा, मंत्री और दूत शिखर सम्मेलन से पहले नीतिगत पहलों की रूपरेखा तैयार करते हैं।
  • वैश्विक आर्थिक रुझान:
    • G7 देश वैश्विक व्यापार में महत्त्वपूर्ण प्रतिभागी हैं, विशेष रूप से अमेरिका और जर्मनी निर्यातक देशों में प्रमुख हैं। दोनों ने वर्ष 2021 में विदेशों में एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया।  
    • वर्ष 2022 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में G7 देशों का योगदान 30% था। वर्ष 2027 में यह आँकड़ा घटकर 28% रहने का अनुमान है।
      • G7 देशों के अतिरिक्त G20 देशों की GDP वर्ष 2027 में कुल वैश्विक GDP का लगभग 44.5% होने का अनुमान है, जिसमें वर्ष 2022 से लगभग दो प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

मुक्त व्यापार समझौता: 

  • यह दो अथवा दो से अधिक देशों के बीच आयात और निर्यात की बाधाओं को कम करने हेतु एक समझौता है।
  • मुक्त व्यापार नीति के तहत, अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार बहुत कम अथवा बिना किसी सरकारी सीमा शुल्क, कोटा, सब्सिडी अथवा विनिमय प्रतिबंध से मुक्त वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदा और बेचा जा सकता है।
  • मुक्त व्यापार की अवधारणा व्यापार संरक्षणवाद अथवा आर्थिक अलगाववाद (Economic Isolationism) के विपरीत है।
  • FTA को तरजीही व्यापार समझौते (SAPTA):, व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते, व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

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