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डेली न्यूज़


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ संबंधी नियम

  • 19 Sep 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये

रूल्स ऑफ ओरिजिन, आसियान, मुक्त व्यापार समझौता

मेन्स के लिये

रूल्स ऑफ ओरिजिन संबंधी नए नियम और इन नियमों का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

वित्त मंत्रालय के निर्देशानुसार, 21 सितंबर, 2020 से देश भर के आयातकों को किसी भी वस्तु का आयात करने से पूर्व अपेक्षित सतर्कता बरतते हुए आयातित वस्तुओं पर ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ (Rules Of Origin) से संबंधित नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि 21 अगस्त, 2020 को राजस्व विभाग द्वारा अधिसूचित किया गया सीमा शुल्क (व्यापार समझौतों के लिये उत्पत्ति नियमों के प्रशासन) नियम 21 सितंबर से लागू हो जाएगा। 
  • वित्त मंत्रालय ने आयातकों और अन्य हितधारकों को नए प्रावधानों से परिचित कराने और अपनी कार्यप्रणाली को इसके अनुरूप बनाने के लिये 30-दिन का समय दिया था, जो कि 21 सितंबर, 2020 को समाप्त हो जाएगा।

नए नियम

  • नवीनतम नियमों के अनुसार, आयातकों को अब सीमा शुल्क अधिकारियों को आयातित किये गए माल के लिये उस देश में 35 प्रतिशत मूल्यवर्द्धन का प्रमाण देना होगा, जिसके साथ भारत ने मुक्त व्यापार समझौता (FTA) किया हुआ है और यदि वे यह प्रणाम-पत्र प्रदान करने में विफल रहते हैं तो उन्हें समझौते के तहत उपलब्ध विभिन्न रियायतें प्राप्त नहीं होंगी।
    • सरकार के इस निर्णय का अर्थ होगा कि चीन से उत्पादित और किसी अन्य देश के रास्ते भारत में आने वाली वस्तुओं को मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत सीमा शुल्क रियायतों का लाभ नहीं मिल पाएगा।
  • इसके अलावा आयातकों को वस्तुओं का आयात करते समय प्रविष्ट बिल (Bill of Entry) पर वस्तु के उद्गम स्थान (वस्तु के उत्पादन के स्थान) (Origin) से संबंधित जानकारी भी प्रदान करनी होगी।

उद्देश्य 

  • इस प्रकार की व्यवस्था का प्राथमिक उद्देश्य चीन को भारत के मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) से अनुचित लाभ प्राप्त करने से रोकना है, दरअसल भारत ने आसियान देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया है, जिसका लाभ प्राप्त करते हुए चीन अपने कई उत्पादों को आसियान देशों के माध्यम से भारत में बेचता है, जिसके कारण उसे इन उत्पादों के लिये किसी भी प्रकार के शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ता है।

महत्त्व 

  • इस निर्णय के माध्यम से भारत के घरेलू उद्योगों को मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) के कारण उत्पन्न होने वाली अनुचित प्रतिस्पर्द्धा से बचाया जा सकेगा
  • नए नियमों की मदद से सीमा शुल्क विभाग को मज़बूती मिलेगी और विभिन्न व्यापार समझौतों के तहत सीमा शुल्क में छूट का गलत लाभ लेने की कोशिशों पर लगाम लगेगी।

पृष्ठभूमि

  • ध्यातव्य है कि भारत ने 10 आसियान देशों के साथ वर्ष 2009 में मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किये थे, जिसमें ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल थे।
  • यह मुक्त व्यापार समझौता 10 आसियान देशों की अधिकांश वस्तुओं के शून्य अथवा कुछ रियायती दरों के आधार पर आयात का प्रावधान करता है, हालाँकि भारत में अधिकांश आयात मुख्यतः पाँच सदस्य देशों-  इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर और वियतनाम से ही होता है।
  • नियमों के अनुसार, रियायती सीमा शुल्क दर का लाभ केवल तभी दिया जाता है जब कोई आसियान सदस्य देश से आयात होने वाला माल पर ‘कंट्री ऑफ ओरिजिन’ के सिद्धांत को पूरा करे।
  • ‘कंट्री ऑफ ओरिजिन’ के सिद्धांत का निर्धारण करते समय कुछ निश्चित शर्तों का प्रयोग किया जाता है, पूर्ववर्ती नियमों के मुताबिक यह आवश्यक है कि वस्तुओं के निर्यात मूल्य का कम-से-कम 35 प्रतिशत का मूल्यवर्द्धन आसियान सदस्य देश में ही हुआ हो, हालाँकि पहले यह सिद्ध करने के लिये आसियान देश में अधिसूचित एजेंसी द्वारा जारी किया गया प्रमाण-पत्र ही काफी होता था, किंतु नए नियमों के अनुसार, आयातकों को अधिकारियों के समक्ष आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे।
    • कई बार जाँच में यह पाया गया है कि गैर-आसियान देशों की वस्तुओं में केवल कुछ छोटा-मोटा परिवर्तन करके उन्हें आसियान देशों के माध्यम से भारत भेजा जा रहा था और 35 प्रतिशत के मूल्यवर्द्धन नियम का सही ढंग से पालन नहीं किया जा रहा था।

‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ (Rules of Origin):

  • रूल्स ऑफ ओरिजिन, किसी उत्पाद के राष्ट्रीय स्रोत के निर्धारण के लिये आवश्यक मापदंड है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि कई मामलों में वस्तुओं पर शुल्क और प्रतिबंध का निर्धारण ‘आयात के स्रोत’ पर निर्भर करता है। 
  • इसका प्रयोग ‘एंटी-डंपिंग शुल्क’ (Anti-Dumping Duty) या देश की वाणिज्य नीति के तहत अन्य सुरक्षात्मक कदम उठाने, व्यापार आँकड़े तैयार करने व सरकारी खरीद आदि में किया जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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