भारतीय अर्थव्यवस्था
जी-20 कृषि मंत्रियों का सम्मेलन 2021
- 20 Sep 2021
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये :G-20 लीडर्स समिट, सकल घरेलू उत्पाद, ज़ीरो हंगर, अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष मेन्स के लिये :जी-20 कृषि मंत्रियों के सम्मेलन की विशेषताएँ एवं भारत का दृष्टिकोण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के कृषि मंत्री ने जी-20 कृषि मंत्रियों के सम्मेलन को आभासी (Virtual) रूप से संबोधित किया।
- यह अक्तूबर 2021 में इटली द्वारा आयोजित किये जाने वाले G-20 लीडर्स समिट 2021 के हिस्से के रूप में संपन्न होने वाली मंत्रिस्तरीय बैठकों में से एक है।
G-20
- परिचय :
- यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ 19 देशों और यूरोपीय संघ (EU) का एक अनौपचारिक समूह है।
- इसका कोई स्थायी सचिवालय या मुख्यालय नहीं है।
- सदस्यता के संदर्भ में यह दुनिया की सबसे बड़ी उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं का मिश्रण है, जो दुनिया की आबादी का लगभग दो-तिहाई, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85%, वैश्विक निवेश का 80% और वैश्विक व्यापार का 75% से अधिक का प्रतिनिधित्व करता है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ 19 देशों और यूरोपीय संघ (EU) का एक अनौपचारिक समूह है।
- सदस्य :
- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ।
प्रमुख बिंदु
- सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ :
- "फ्लोरेंस सस्टेनेबिलिटी चार्टर" (Florence Sustainability Charter) नामक एक अंतिम वक्तव्य पर हस्ताक्षर किये गए।
- यह जानकारी साझा करने और स्थानीय ज़रूरतों के अनुकूल आंतरिक उत्पादन क्षमता विकसित करने में मदद हेतु खाद्य एवं कृषि पर जी-20 सदस्यों तथा विकासशील देशों के बीच सहयोग को मज़बूत करेगा, इस प्रकार यह कृषि व ग्रामीण समुदायों के बीच लचीलेपन एवं रिकवरी में योगदान देगा।
- इसने ज़ीरो हंगर के लक्ष्य तक पहुँचने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जो कि कोविड-19 के कारण प्रभावित हुई है।
- स्थिरता के तीन आयामों : आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण के ढाँचे में खाद्य सुरक्षा हासिल करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
- "फ्लोरेंस सस्टेनेबिलिटी चार्टर" (Florence Sustainability Charter) नामक एक अंतिम वक्तव्य पर हस्ताक्षर किये गए।
- भारत का रुख :
- पारंपरिक खाद्य पदार्थों पर बल :
- लोगों के आहार में बाजरा, अन्य पौष्टिक अनाज, फल और सब्जियाँ, मछली, डेयरी व जैविक उत्पादों सहित पारंपरिक खाद्य पदार्थों को फिर से शामिल करने पर ज़ोर दिया गया।
- हाल के वर्षों में भारत में उनका उत्पाद अभूतपूर्व रहा है तथा भारत, स्वस्थ खाद्य पदार्थों के लिये एक गंतव्य देश बन रहा है।
- संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भारत के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है एवं वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया है तथा जी-20 देशों से पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिये बाजरा वर्ष के उत्सव का समर्थन करने का आग्रह किया है।
- लोगों के आहार में बाजरा, अन्य पौष्टिक अनाज, फल और सब्जियाँ, मछली, डेयरी व जैविक उत्पादों सहित पारंपरिक खाद्य पदार्थों को फिर से शामिल करने पर ज़ोर दिया गया।
- बायोफोर्टिफाइड फूड:
- बायोफोर्टिफाइड किस्में प्रायः सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से भरपूर मुख्य आहार का स्रोत हैं और कुपोषण को दूर करने के लिये इन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है।
- विभिन्न फसलों की इस तरह की लगभग 17 किस्मों को खेती के लिये जारी किया गया है।
- बायोफोर्टिफाइड किस्में प्रायः सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से भरपूर मुख्य आहार का स्रोत हैं और कुपोषण को दूर करने के लिये इन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है।
- जल संसाधन
- भारत ने जल संसाधनों के इष्टतम उपयोग को बढ़ाने, सिंचाई के लिये बुनियादी अवसंरचना का निर्माण करने, उर्वरकों के संतुलित उपयोग के साथ मिट्टी की उर्वरता के संरक्षण और खेतों से बाज़ारों तक कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये भी महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
- कोविड के दौरान भारतीय कृषि क्षेत्र:
- देश की आज़ादी के बाद भारतीय कृषि ने बड़ी सफलता हासिल की है और यह क्षेत्र भी कोविड महामारी के दौरान काफी हद तक अप्रभावित रहा।
- भारत का संकल्प:
- सतत् विकास लक्ष्यों के हिस्से के रूप में ‘गरीबी में कमी' और 'शून्य भूख लक्ष्य' को प्राप्त करने के लिये मिलकर काम करना जारी रखें।
- उत्पादकता बढ़ाने के लिये अनुसंधान और विकास के साथ-साथ सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान में सहयोग करना।
- पारंपरिक खाद्य पदार्थों पर बल :
- संबंधित भारतीय प्रयास
- सिंचाई के लिये 'प्रति बूँद-अधिक फसल' योजना और जैविक खेती के लिये 'परंपरागत कृषि विकास योजना' सफलतापूर्वक कार्यान्वित की जा रही है।
- किसानों को बीमा कवर प्रदान करने के लिये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की जा रही है।
- कुपोषण की समस्या से निपटने हेतु भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम क्रियान्वित कर रहा है, जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली और मिड-डे मील योजना शामिल है।
- इसके अतिरिक्त सरकार ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ (पीएम-किसान) के तहत 6,000 रुपए की वार्षिक आय सहायता भी प्रदान कर रही है।