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सामाजिक न्याय

ज़ीरो हंगर’ प्राप्त करने की चुनौती और कुपोषण की समस्या

  • 15 Jul 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सतत् विकास लक्ष्य, ज़ीरो हंगर, कुपोषण, भुखमरी

मेन्स के लिये:

रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु, खाद्य सुरक्षा पर COVID-19 का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी वार्षिक अध्ययन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर बीते पाँच वर्षों में 10 लाख से अधिक लोग कुपोषितों की श्रेणी में शामिल हुए हैं, और विश्व भर के लगभग सभी देश कुपोषण के कई विभिन्न रूपों से जूझ रहे हैं।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति के संबंध में जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में तकरीबन 690 मिलियन लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ा, गौरतलब है कि यह संख्या वर्ष 2018 से 10 मिलियन अधिक है।
  • वर्ष 2019 में लगभग 750 मिलियन लोग खाद्य असुरक्षा की गंभीर स्थिति का सामने कर रहे थे।
  • मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा से प्रभावित लोगों की स्थिति पर गौर करें तो विश्व में अनुमानित 2 बिलियन लोगों तक वर्ष 2019 में सुरक्षित, पौष्टिक और पर्याप्त भोजन की नियमित पहुँच नहीं थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्तर पर अपने सभी रूपों में कुपोषण का बोझ विश्व के सभी देशों के लिये एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
  • अनुमान के अनुसार, वर्ष 2019 में 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 21.3 प्रतिशत (144.0 मिलियन) बच्चे स्टंंटिंग (Stunting) से, 6.9 प्रतिशत (47.0 मिलियन) बच्चे वेस्टिंग और 5.6 प्रतिशत (38.3 मिलियन) बच्चे अत्यधिक वजन की समस्या का सामना कर रहे थे।
  • आँकड़ों के अनुसार, एशिया में कुपोषित लोगों की संख्या सबसे अधिक तकरीबन 381 मिलियन है, जबकि दूसरे स्थान पर अफ्रीका है जहाँ कुपोषितों की कुल संख्या 250 मिलियन है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर लगातार भुखमरी और कुपोषण की समस्या के कारण ‘ज़ीरो हंगर’ (Zero Hunger) के सतत् विकास लक्ष्य को प्राप्त करना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है।

खाद्य सुरक्षा COVID-19 का प्रभाव :

  • रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि COVID-19 महामारी का वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर काफी अधिक प्रभाव पड़ा है और इसके कारण वैश्विक खाद्य प्रणाली काफी कमज़ोर हो गई है।
  • प्रारंभिक आकलन से ज्ञात होता है कि COVID-19 महामारी के पश्चात् आर्थिक विकास परिदृश्य के आधार पर वर्ष 2020 में विश्व में कुल कुपोषित लोगों की संख्या में 83 मिलियन से 132 मिलियन की वृद्धि हो सकती है।
  • COVID-19 के स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों के कारण सबसे कमज़ोर आबादी समूहों की पोषण स्थिति और अधिक खराब होने की संभावना है।

भारत के संबंध में रिपोर्ट:

  • भारत में कुल जनसंख्या में अल्पपोषण की व्यापकता वर्ष 2004-06 के 21.7 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2017-19 में 14 प्रतिशत हो गई है, गौरतलब है कि यह भारतीय नीति निर्माताओं के लिये काफी अच्छी खबर है, हालाँकि COVID-19 ने भारत के समक्ष भी खाद्य सुरक्षा को लेकर एक बड़ी चुनौती उत्पन्न की है।
    • रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अल्पपोषित लोगों की संख्या वर्ष 2004-09 के 249.4 मिलियन से घटकर 2017-19 में 189.2 मिलियन हो गई है।

भुखमरी- एक गंभीर समस्या के रूप में:

  • भुखमरी से हमारा आशय भोजन की अनुपलब्धता से होता है, किंतु खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ऐसे लोगों को भुखमरी का शिकार मानता है, जो प्रतिदिन 1800 किलो से कम कैलोरी ऊर्जा ग्रहण करते हैं।
  • गोदामों और शीत-गृहों (Cold Storage) की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण भारत में कुल वार्षिक खाद्य उत्पादन का लगभग 7 प्रतिशत तथा फल एवं सब्ज़ियों का लगभग 30 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है।
  • हालाँकि अन्य देशों में भी समान स्थिति है और अफ्रीका में तो अनुमानतः इतना खाद्यान्न बर्बाद होता है कि उससे लगभग 40 मिलियन लोगों को खाना खिलाया जा सकता है।

रिपोर्ट में प्रस्तुत सुझाव:

  • संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में दुनिया भर की सरकारों से देश के सभी स्थानीय लघु-स्तरीय उत्पादकों का समर्थन करने का आग्रह किया है, ताकि वे अधिक पौष्टिक खाद्य पदार्थों का उत्पादन कर सकें और देश में खाद्य सुरक्षा की चुनौती को संबोधित किया जा सके।
    • इसके अलावा रिपोर्ट में सरकार से खाद्य पदार्थों की बाज़ारों में आसान पहुँच सुनिश्चित करने के लिये भी कहा गया है।
  • रिपोर्ट के अंतर्गत देश में बच्चों की पोषण स्थिति को प्राथमिकता देने और शिक्षा तथा संचार के माध्यम से व्यवहार में बदलाव लाने की बात कही गई है।
  • दुनिया भर में लगभग तीन बिलियन लोग स्वस्थ आहार नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं, ऐसे में आवश्यक है कि COVID-19 महामारी को मद्देनज़र रखते हुए सरकार द्वारा किये जा रहे हस्तक्षेपों को मज़बूत करने के प्रयास किये जाएँ।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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