भारतीय अर्थव्यवस्था
खाद्य मुद्रास्फीति
- 09 Aug 2022
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:मुद्रास्फीति, खाद्य मुद्रास्फीति, खाद्य मूल्य सूचकांक, सीपीआई, एमएसपी मेन्स के लिये:खाद्य मुद्रास्फीति और मुद्दे, वृद्धि एवं विकास |
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन का खाद्य मूल्य सूचकांक (FFPI) जुलाई, 2022 में औसतन 140.9 अंक रहा, जो पिछले महीने के स्तर से 8.6% कम है और अक्तूबर, 2008 के बाद से सबसे तीव्र मासिक गिरावट है।
- यह उम्मीद की जाती है कि खाद्य मुद्रास्फीति अपेक्षा से अधिक तेज़ी से कम हो सकती है।
खाद्य मूल्य सूचकांक (FFPI):
- परिचय:
- यह खाद्य वस्तुओं की टोकरी/समूह/बास्केट की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में मासिक परिवर्तन को प्रदर्शित करता है।
- इसमें वर्ष 2014-2016 (आधार वर्ष) में प्रत्येक समूह के औसत निर्यात शेयरों द्वारा भारित पाँच कमोडिटी समूह मूल्य सूचकांकों का औसत शामिल है।
- इसे वर्ष 1996 में वैश्विक कृषि कमोडिटी बाज़ारों में विकास की निगरानी में मदद करने के लिये सार्वजनिक वस्तु के रूप में पेश किया गया था।
- FFPI की प्रवृत्ति:
- फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद मार्च, 2022 में FFPI 159.7 अंक के सर्वकालिक उच्च स्तर पर था।
- नवीनतम इंडेक्स रीडिंग (जुलाई, 2022) अभी भी चल रहे युद्ध से पहले जनवरी, 2022 के 135.6 अंकों के बाद से सबसे कम है।
- मार्च, 2022 और जुलाई, 2022 के बीच FFPI में संचयी रूप से 11.8% की गिरावट आई है।
FFPI में गिरावट के कारण:
- वैश्विक:
- काला सागर व्यापार मार्ग:
- काला सागर व्यापार मार्ग को खोलने के लिये संयुक्त राष्ट्र समर्थित समझौता रूसी खाद्य और उर्वरकों के निर्बाध शिपमेंट की अनुमति देता है।
- अकेले रूस से वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में 40 मिलियन टन (mt) निर्यात किया जाने की उम्मीद है, जो पिछले साल के 33 मिलियन टन से अधिक है।
- पाम ऑइल पर प्रतिबंध हटा:
- इंडोनेशिया ने मई, 2022 के अंत से पाम ऑयल के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया है।
- सोयाबीन की फसलें:
- अमेरिका, ब्राज़ील, अर्जेंटीना और पराग्वे में सोयाबीन की बंपर फसल उत्पादन की संभावना है।
- महामारी का प्रभाव:
- प्रवासियों की आवाजाही और खाद्य फसलों के उत्पादन में वृद्धि के साथ कोविड-19 महामारी की वजह से आपूर्ति में व्यवधान भी कम हो रहा है।
- काला सागर व्यापार मार्ग:
- घरेलू:
- वर्षा:
- जून, 2022 से अगस्त, 2022 तक मौजूदा मानसून मौसम के दौरान संचयी वर्षा इस अवधि के ऐतिहासिक दीर्घकालिक औसत से 5.7% अधिक रही है।
- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को छोड़कर लगभग सभी कृषि-महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अब तक अच्छी बारिश हुई है।
- दक्षिण प्रायद्वीप, मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत में औसत से अधिक वर्षा ने इस खरीफ (मानसून) मौसम में अधिकांश फसलों के रकबे में वृद्धि की है।
- जून, 2022 से अगस्त, 2022 तक मौजूदा मानसून मौसम के दौरान संचयी वर्षा इस अवधि के ऐतिहासिक दीर्घकालिक औसत से 5.7% अधिक रही है।
- वर्षा:
वर्तमान खाद्य मुद्रास्फीति का कारण:
- मौसम:
- इसमें यूक्रेन (2020-21) और दक्षिण अमेरिका (2021-22) में सूखा शामिल था, जिसने विशेष रूप से सूरजमुखी एवं सोयाबीन की आपूर्ति को प्रभावित किया तथा मार्च-अप्रैल 2022 की गर्मी की लहर ने भारत में गेहूँ की फसल को बर्बाद कर दिया।
- कोविड-19 महामारी:
- महामारी का मलेशिया के पाम ऑयल बागानों में आपूर्ति-पक्ष पर सबसे अधिक प्रभाव महसूस किया गया जहाँ ताज़े फलों के गुच्छों की कटाई मुख्य रूप से इंडोनेशिया एवं बांग्लादेश के प्रवासी मज़दूरों द्वारा की जाती है।.
- कोविड-19 के परिणामस्वरूप कई मज़दूर वापस चले गए और कोई नया वर्कपरमिट जारी नहीं किया गया जिससे दुनिया के दूसरे सबसे बड़े पाम ऑयल उत्पादक तथा निर्यातक देशों का उत्पादन कम हो गया।
- महामारी का मलेशिया के पाम ऑयल बागानों में आपूर्ति-पक्ष पर सबसे अधिक प्रभाव महसूस किया गया जहाँ ताज़े फलों के गुच्छों की कटाई मुख्य रूप से इंडोनेशिया एवं बांग्लादेश के प्रवासी मज़दूरों द्वारा की जाती है।.
- रूस-यूक्रेन युद्ध:
- इसने दोनों देशों से होने वाली आपूर्ति में व्यवधान पैदा किया, जो कि वर्ष 2019-20 (युद्ध-रहित, गैर-सूखा वर्ष) में दुनिया के गेहूँ का 28.5%, मक्का का 18.8%, जौ का 34.4% तथा सूरजमुखी तेल का 78.1% निर्यात करते थे।
- निर्यात नियंत्रण:
- दिसंबर, 2020 में रूस द्वारा पहली बार नियंत्रण लगाया गया था, जो रिकॉर्ड गर्म तापमान के कारण उत्पन्न होने वाली घरेलू खाद्य मुद्रास्फीति की आशंकाओं से प्रेरित था।
- घरेलू आपूर्ति की चिंताओं के कारण मार्च-मई 2022 के दौरान इंडोनेशिया (दुनिया का नंबर 1 उत्पादक-सह-निर्यातक) ने पाम ऑयल पर और भारत द्वारा गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया।
- दिसंबर, 2020 में रूस द्वारा पहली बार नियंत्रण लगाया गया था, जो रिकॉर्ड गर्म तापमान के कारण उत्पन्न होने वाली घरेलू खाद्य मुद्रास्फीति की आशंकाओं से प्रेरित था।
खाद्य की वैश्विक कीमतों का घरेलू कीमतों पर प्रभाव:
- घरेलू खाद्य कीमतों के लिये वैश्विक मुद्रास्फीति का संचरण मूल रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि किसी देश की खपत/उत्पादन का कितना आयात/निर्यात किया जाता है।
- इस संचरण का प्रभाव खाद्य तेलों और कपास के रूप में स्पष्ट है जिसमें भारत अपनी खपत का 2/3 और उत्पादन का 1/5 हिस्सा क्रमशः आयात तथा निर्यात करता है।
- गेहूँ के मामले में मार्च, 2022 के मध्य से गर्मी की लहर ने पैदावार को गंभीर रूप से प्रभावित किया, सार्वजनिक स्टॉक और समग्र घरेलू उपलब्धता दोनों पर दबाव देखा गया, यहाँ तक कि खुले बाज़ार की कीमतें निर्यात समता स्तर तक बढ़ गई हैं।
- केंद्र सरकार ने अपनी प्रमुख मुफ्त अनाज योजना के तहत गेहूँ आवंटन को कम करने तथा अधिक चावल देने का निर्णय लिया है।
- चीनी एक ऐसी वस्तु है जिसमें मिलों द्वारा रिकॉर्ड निर्यात के बावजूद खुदरा कीमतें ज़्यादा नहीं बढ़ी हैं।
- इसकी वजह अधिक उत्पादन होना भी है।
आगे की राह
- आयात नीति में एकरूपता होनी चाहिये क्योंकि यह अग्रिम रूप से उचित बाज़ार संकेत प्रदान करती है।
- आयात शुल्क के माध्यम से हस्तक्षेप करना कोटा से बेहतर है जिसमें अधिक नुकसान होता है। यह उपग्रह, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीकों का उपयोग करके अधिक सटीक फसल पूर्वानुमानों की भी मांग करता है ताकि फसल वर्ष में बहुत पहले ही कमी/अधिशेष का संकेत मिल सके।
- इसके अलावा एक दशक पुराना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधार वर्ष 2011-12, जो खाद्य पदार्थों को लगभग आधा भारांक देता है, को संशोधित और अद्यतन करने की आवश्यकता है ताकि भोजन की आदतों एवं आबादी की जीवनशैली में बदलाव को प्रतिबिंबित किया जा सके।
- बढ़ते मध्यम वर्ग के साथ गैर-खाद्य वस्तुओं पर खर्च में वृद्धि हुई है तथा इसे सीपीआई में बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है, जिससे आरबीआई मुद्रास्फीति को बेहतर ढंग से लक्षित किया जा सके।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रारंभिक परीक्षा:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही है। मेन्स:प्रश्न. एक मत यह भी है कि राज्य अधिनियमों के तहत गठित कृषि उत्पाद बाज़ार समितियों (APMCs) ने न केवल कृषि के विकास में बाधा डाली है, बल्कि यह भारत में खाद्य मुद्रस्फीति का कारण भी रही है। समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2014) |