प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह | 23 Sep 2021
प्रिलिम्स के लिये:प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया पहल, प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना मेन्स के लिये:भारत में FDI को बढ़ावा देने के लिये सरकारी प्रयास |
चर्चा में क्यों?
वित्त वर्ष 2021-22 के प्रथम चार महीनों (अप्रैल-जुलाई) के दौरान भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह में पिछले वर्ष (2020-21) की इसी अवधि की तुलना में 62% की वृद्धि हुई है।
- भारत ने प्रथम चार महीनों के दौरान 27.37 बिलियन अमेरिकी डॉलर के FDI प्रवाह को आकर्षित किया है।
- वित्त वर्ष 2020-21 में भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 10% (82 अरब डॉलर) की वृद्धि दर्ज की है।
प्रमुख बिंदु
- FDI इक्विटी:
- पिछले वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि (9.61 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 में FDI इक्विटी प्रवाह में 112% की वृद्धि हुई है।
- शीर्ष क्षेत्र:
- 'ऑटोमोबाइल उद्योग' शीर्ष क्षेत्र के रूप में उभरा है। FDI इक्विटी प्रवाह में इसका कुल योगदान 23% रहा है, इसके बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर (18%) तथा सेवा क्षेत्र (10%) का स्थान रहा है।
- शीर्ष FDI प्राप्तकर्त्ता राज्य:
- कुल FDI इक्विटी प्रवाह में 45 प्रतिशत हिस्से के साथ कर्नाटक शीर्ष प्राप्तकर्त्ता राज्य रहा है, इसके बाद महाराष्ट्र (23%) और दिल्ली (12%) का स्थान है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
- परिभाषा:
- FDI एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत एक देश (मूल देश) के निवासी किसी अन्य देश (मेज़बान देश) में एक फर्म के उत्पादन, वितरण और अन्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त करते हैं।
- यह विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) से भिन्न है, जिसमें विदेशी इकाई केवल एक कंपनी के स्टॉक और बॉण्ड खरीदती है किंतु इससे FPI निवेशक को व्यवसाय पर नियंत्रण का अधिकार प्राप्त नहीं होता है।
- FDI एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत एक देश (मूल देश) के निवासी किसी अन्य देश (मेज़बान देश) में एक फर्म के उत्पादन, वितरण और अन्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त करते हैं।
- तीन घटक:
- इक्विटी कैपिटल: यह विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक की अपने देश के अलावा किसी अन्य देश के उद्यम के शेयरों की खरीद से संबंधित है।
- पुनर्निवेशित आय: इसमें प्रत्यक्ष निवेशकों की कमाई का वह हिस्सा शामिल होता है जिसे किसी कंपनी के सहयोगियों (Affiliates) द्वारा लाभांश के रूप में वितरित नहीं किया जाता है या यह कमाई प्रत्यक्ष निवेशक को प्राप्त नहीं होती है। सहयोगियों द्वारा इस तरह के लाभ को पुनर्निवेश किया जाता है।
- इंट्रा-कंपनी ऋण: इसमें प्रत्यक्ष निवेशकों (या उद्यमों) और संबद्ध उद्यमों के बीच अल्पकालिक या दीर्घकालिक उधार और निधियों का उधार शामिल होता है।
- भारत में FDI संबंधी मार्ग
- स्वचालित मार्ग: इसमें विदेशी इकाई को सरकार या भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।
- सरकारी मार्ग: इसमें विदेशी इकाई को सरकार की स्वीकृति लेनी आवश्यक होती है।
- विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (Foreign Investment Facilitation Portal- FIFP) अनुमोदन मार्ग के माध्यम से आवेदकों को ‘सिंगल विंडो क्लीयरेंस’ की सुविधा प्रदान करता है। यह उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रशासित है।
- FDI को बढ़ावा देने के लिये सरकारी प्रयास:
- अनुकूल जनसांख्यिकी, प्रभावशाली मोबाइल और इंटरनेट की पहुँच, बड़े पैमाने पर खपत एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग जैसे कारकों ने निवेश को आकर्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- निवेश को आकर्षित करने वाली योजनाओं का शुभारंभ जैसे- राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना आदि।
- सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये आत्मनिर्भर भारत के तहत पहल के संबंध में विस्तार से बताया है।
- घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये मेक इन इंडिया पहल के एक हिस्से के रूप में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में कई क्षेत्रों में एफडीआई के नियमों में ढील दी है।