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भारतीय अर्थव्यवस्था

FDI अंतर्वाह में बढ़ोतरी

  • 26 May 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारतीय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 10 प्रतिशत (82 बिलियन डॉलर तक) की वृद्धि देखी गई है। FDI इक्विटी निवेश 19 प्रतिशत बढ़कर 60 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया है। 

  • वर्ष 2019-20 में भारत को FDI के माध्यम से 74.39 बिलियन डॉलर प्राप्त हुए थे, जिसमें लगभग 50 बिलियन डॉलर इक्विटी निवेश के रूप में आए थे।

Record-FDI

प्रमुख बिंदु

प्रमुख निवेशक

  • सिंगापुर सभी निवेशों के लगभग एक-तिहाई के साथ शीर्ष निवेशक के रूप में उभरा, जिसके बाद 23 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अमेरिका और 9 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ मॉरीशस का स्थान है।

सऊदी अरब से सबसे तीव्र वृद्धि:

  • शीर्ष 10 FDI-मूल देशों में सबसे तीव्र वृद्धि सऊदी अरब से दर्ज की गई थी।
  • विदेशी निवेश वर्ष 2019-20 के 90 मिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 2.8 बिलियन डॉलर हो गया।

FDI इक्विटी

  • वर्ष 2019-20 की तुलना में वर्ष 2020-21 के दौरान अमेरिका से FDI-इक्विटी प्रवाह दोगुने से भी अधिक हो गया, जबकि ब्रिटेन से निवेश में 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

शीर्ष FDI गंतव्य

  • वर्ष 2020-21 में गुजरात शीर्ष FDI गंतव्य था, जिसमें विदेशी इक्विटी प्रवाह का 37 प्रतिशत हिस्सा दर्ज किया गया, जिसके बाद 27 प्रतिशत इक्विटी प्रवाह के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर रहा।
  • 13 प्रतिशत इक्विटी प्रवाह हिस्सेदारी के साथ कर्नाटक तीसरे स्थान पर रहा।

शीर्ष सेक्टर

  • वर्ष  2020-21 के दौरान कुल 44 प्रतिशत FDI इक्विटी प्रवाह के साथ कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र शीर्ष सेक्टर के रूप में उभरा है।

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश

  • परिभाषा: FDI एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत एक देश (मूल देश) के निवासी किसी अन्य देश (मेज़बान देश) में एक फर्म के उत्पादन, वितरण और अन्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त करते हैं।
    • यह विदेशी पोर्टफोलियो (FPI) निवेश से भिन्न है, जिसमें विदेशी इकाई केवल एक कंपनी के स्टॉक और बॉण्ड खरीदती है किंतु इससे FPI निवेशक को व्यवसाय पर नियंत्रण का अधिकार प्राप्त नहीं होता है।

तीन घटक

  • इक्विटी कैपिटल विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक की अपने देश के अलावा किसी अन्य देश के उद्यम के शेयरों की खरीद से संबंधित है।
  • पुनर्निवेशित आय में प्रत्यक्ष निवेशकों की कमाई का वह हिस्सा शामिल होता है जिसे किसी कंपनी के सहयोगियों (Affiliates) द्वारा लाभांश के रूप में वितरित नहीं किया जाता है या यह कमाई प्रत्यक्ष निवेशक को प्राप्त नहीं होती है। सहयोगियों द्वारा इस तरह के लाभ का पुनर्निवेश किया जाता है।
  • इंट्रा-कंपनी लोन या डेब्ट ट्रांज़ेक्शन का आशय प्रत्यक्ष निवेशकों (या उद्यमों) और संबद्ध उद्यमों के बीच वित्त का अल्पकालिक या दीर्घकालिक उधार से होता है।

भारत में FDI संबंधी मार्ग

  • स्वचालित मार्ग: इसमें विदेशी इकाई को सरकार या रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।
  • सरकारी मार्ग: इसमें विदेशी इकाई को सरकार की स्वीकृति लेनी आवश्यक होती है।
    • विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (FIFP) अनुमोदन मार्ग के माध्यम से आवेदकों को ‘सिंगल विंडो क्लीयरेंस’ की सुविधा प्रदान करता है।
    • यह उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रशासित है।

FDI को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा किये गए उपाय

  • वर्ष 2020 में कोविड संकट के मुकाबले के प्रति तीव्र प्रतिक्रिया, अनुकूल जनसांख्यिकी, प्रभावशाली मोबाइल और इंटरनेट उपस्थिति, व्यापक पैमाने पर खपत और प्रौद्योगिकी में बढ़ोतरी जैसे कारकों ने निवेश को आकर्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिये विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की है, जिसमें राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना आदि शामिल हैं। 
    • सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत पहलों पर ज़ोर दिया है।
  • घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये ‘मेक इन इंडिया’ पहल के एक हिस्से के रूप में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में कई क्षेत्रों के लिये FDI नियमों को और लचीला बनाया है।

स्रोत: द हिंदू

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