शासन व्यवस्था
स्मार्ट सिटी मिशन का विस्तार
- 06 Jul 2024
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प्रिलिम्स के लिये:स्मार्ट सिटी मिशन, केंद्र प्रायोजित योजना, सतत् विकास, विशेष प्रयोजन वाहन (SPV), सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP), शहरी कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT), प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U), जलवायु स्मार्ट सिटीज़ असेसमेंट फ्रेमवर्क 2.0, ट्यूलिप-शहरी शिक्षण इंटर्नशिप कार्यक्रम मेन्स के लिये:स्मार्ट सिटी मिशन: महत्त्व और चुनौतियाँ |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन (Smart Cities Mission) की समयसीमा 31 मार्च, 2025 तक बढ़ाने का फैसला किया है।
- इस मिशन को पहले वर्ष 2020 तक पूरा करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन इसे पहले ही दो बार बढ़ाया जा चुका है।
स्मार्ट सिटीज़ मिशन (SCM) क्या है?
- परिचय:
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे जून 2015 में "स्मार्ट सॉल्यूशंस" के अनुप्रयोग के माध्यम से नागरिकों को जीवन की गुणवत्ता एवं स्वच्छ तथा संवहनीय वातावरण प्रदान करने के लिये, 100 शहरों के आवश्यक बुनियादी ढाँचे को बदलने के लिये प्रारंभ किया गया था।
- इसका उद्देश्य सतत् और समावेशी विकास के माध्यम से नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
- SCM के घटक::
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क्षेत्र-आधारित विकास:
- पुनर्विकास (शहर नवीनीकरण): बुनियादी ढाँचे और सुविधाओं में सुधार के लिये मौजूदा शहरी क्षेत्रों का नवीनीकरण। जैसे भिंडी बाज़ार, मुंबई।
- रेट्रोफिटिंग (शहर सुधार): मौजूदा क्षेत्रों को अधिक उपयोगी और टिकाऊ बनाने के लिये बुनियादी ढाँचे का विकास करना। जैसे स्थानीय क्षेत्र विकास (अहमदाबाद)।
- ग्रीनफील्ड परियोजनाएँ (शहर विस्तार): स्थिरता और स्मार्ट प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देने के साथ नए शहरी क्षेत्रों का विकास। जैसे न्यू टाउन, कोलकाता, नया रायपुर, गिफ्ट सिटी (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी)।
- पैन-सिटी समाधान:
- ई-गवर्नेंस, अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रबंधन, ऊर्जा प्रबंधन, शहरी गतिशीलता और कौशल विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) समाधानों का अनुप्रयोग किया जाना।
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- शासन संरचना:
- इसकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये नवीन शासन मॉडल अपनाना।
- कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle-SPV) बनाया गया, जिसका नेतृत्व नौकरशाह या बहुराष्ट्रीय निगमों (MNC) के प्रतिनिधियों द्वारा किया गया।
- इसकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये नवीन शासन मॉडल अपनाना।
- स्मार्ट शहरों का वित्तपोषण:
- SCM के लिये 5 वर्षों हेतु केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त लगभग 48,000 करोड़ रुपए (प्रतिवर्ष प्रति शहर औसतन 100 करोड़ रुपए), इनके विकास के क्रम में निर्णायक हैं।
- राज्यों और शहरी स्थानीय निकायों (ULB) को इसमें समान राशि का योगदान करना आवश्यक होता है, जिससे कुल मिलाकर यह राशि लगभग 1 लाख करोड़ रुपए हो जाती है।
- अन्य सरकारी योजनाओं के साथ अभिसरण:
- SCM के संसाधनों और उद्देश्यों को AMRUT (शहरी रूपांतरण), स्वच्छ भारत मिशन (स्वच्छता), HRIDAY (विरासत शहर विकास), डिजिटल इंडिया, कौशल विकास और सभी के लिये आवास जैसी योजनाओं के साथ जोड़ने से इसकी प्रभावशीलता को बढ़ावा मिलता है।
- अभिसरण के लाभ:
- SCM के तहत समान लक्ष्यों को प्राप्त करने के क्रम में विभिन्न योजनाओं के मौजूदा फंड एवं बुनियादी ढाँचे का लाभ उठाया जा सकता है।
- अन्य योजनाओं के साथ इसके अभिसरण से सुनिश्चित होता है कि स्मार्ट शहरों में भौतिक बुनियादी ढाँचे के विकास के साथ-साथ सामाजिक बुनियादी ढाँचे (स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कृति) को भी प्रमुखता दी जाए।
- SCM को इसकी पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिये केंद्र और राज्य सरकार के अन्य कार्यक्रमों के साथ रणनीतिक रूप से एकीकृत किया जा सकता है।
स्मार्ट सिटी क्या है?
- स्मार्ट सिटी एक अवधारणा है जो शहरी क्षेत्रों में दक्षता, स्थिरता के साथ-साथ जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिये प्रौद्योगिकी, डेटा एवं नवीन समाधानों के उपयोग को संदर्भित करती है।
- स्मार्ट सिटी के मुख्य बुनियादी ढाँचे में निम्नलिखित तत्त्व शामिल हैं:
- पर्याप्त जलापूर्ति,
- सुनिश्चित विद्युत आपूर्ति,
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्वच्छता,
- कुशल शहरी गतिशीलता एवं सार्वजनिक परिवहन,
- विशेष रूप से गरीबों के लिये किफायती आवास,
- मज़बूत आईटी कनेक्टिविटी एवं डिजिटलीकरण,
- सुशासन, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस एवं नागरिक भागीदारी,
- पर्यावरण की धारणीयता,
- नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्गों की सुरक्षा
- स्वास्थ्य एवं शिक्षा।
- नोट:
- जनगणना 2011 के अनुसार, भारत की वर्तमान जनसंख्या का लगभग 31% हिस्सा शहरों में निवास करती है तथा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इनका योगदान 63% है। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक भारत की 40% जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में निवासित होगी तथा भारत के सकल घरेलू उत्पाद में इनका योगदान 75% होगा।
स्मार्ट सिटी मिशन के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
- परिभाषा में स्पष्टता का अभाव: SCM ने "स्मार्ट सिटी" शब्द के लिये एक सार्वभौमिक परिभाषा की कमी को स्वीकार किया है। यह मान्यता इस समझ को दर्शाती है कि स्मार्ट सिटी के लिये प्रत्येक शहर का दृष्टिकोण उसके अद्वितीय स्थानीय संदर्भों एवं आकांक्षाओं द्वारा आकार लेता है।हालाँकि, स्मार्ट शहर की अवधारणा में यह अस्पष्ट संसाधनों के प्रभावी आवंटन के साथ ही परियोजनाओं को प्राथमिकता देने में चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है।
- स्मार्ट सिटी की संकल्पना एक शहर से दूसरे शहर तथा एक देश से दूसरे देश में भिन्न- भिन्न होती है। ये अंतर विकास के स्तर, परिवर्तन और सुधार को स्वीकार करने की इच्छा, संसाधनों की उपलब्धता तथा शहर के निवासियों की आकांक्षाओं जैसे कारकों से प्रभावित होते हैं।
- परियोजना पूर्ण होने में विलम्ब: समय सीमा बढ़ाए जाने के बावजूद, बड़ी संख्या में परियोजनाएँ (लगभग 10%) अभी भी अधूरी हैं, जो निष्पादन में देरी का संकेत देती हैं। इसके लिये अपर्याप्त नियोजन, तकनीकी विशेषज्ञता की कमी तथा भूमि अधिग्रहण एवं मंजूरी में देरी जैसी समस्याओं को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
- अपर्याप्त वित्तपोषण एवं उसका उपयोग: जबकि 74 शहरों को उनके केंद्रीय हिस्से का 100% वित्त प्राप्त हुआ है, परियोजनाओं की धीमी प्रगति के कारण 26 शहरों को अभी भी संपूर्ण वित्त नहीं प्राप्त हो सका है।
- स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के लिये अपनाए गए SPV मॉडल को 74वें संविधान संशोधन के साथ इसके गलत संरेखण के कारण आपत्तियों का सामना करना पड़ा है। इसके परिणामस्वरूप स्मार्ट सिटी पहलों के टॉप-डाउन शासन ढाँचे की आलोचना हुई है।
- समन्वय का अभाव: प्राथमिकताओं में अंतर, नौकरशाही बाधाओं एवं भूमिकाओं और ज़िम्मेदारियों में स्पष्टता की कमी के कारण केंद्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों के बीच प्रभावी समन्वय एक चुनौती रहा है, जिससे मिशन के निर्बाध कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न हुई है।
- स्थिरता संबंधी चिंताएँ: स्मार्ट सिटी परियोजनाओं की दीर्घकालिक स्थिरता के बारे में संदेह है, क्योंकि उनमें से विभिन्न शहरी नियोजन एवं शासन के बुनियादी मुद्दों को संबोधित करने के स्थान पर प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- विस्थापन एवं सामाजिक प्रभावt: विश्व बैंक के अनुसार, भारत के शहरी क्षेत्रों में 49% से अधिक आबादी झुग्गी-झोपड़ियों में निवास करती है।
- स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के क्रियान्वयन के कारण गरीब क्षेत्रों के निवासियों, जैसे स्ट्रीट वेंडरों का विस्थापन हुआ है, जिससे शहरी समुदायों का ताना-बाना बाधित हुआ है। कुछ कस्बों में बुनियादी ढाँचे के विकास ने जल प्रणालियों में व्यवधान के कारण शहरी बाढ़ में वृद्धि में योगदान दिया है।
स्मार्ट सिटी मिशन को प्रभावी बनाने के लिये कौन से कदम उठाए जाने चाहिये?
- प्रभावी शासन एवं योजना का प्रभावी कार्यान्वयन: निश्चित कार्यकाल वाले CEOs की नियुक्ति से निरंतरता सुनिश्चित होने के साथ योग्य पेशेवर आकर्षित होते हैं। विशेषज्ञों और संसद सदस्यों (MPs) सहित विभिन्न हितधारकों को समावेशी निर्णय लेने पर बल देना चाहिये।
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परियोजना पर रणनीतिक फोकस: SCM डिजिटल बुनियादी ढाँचे के तहत विभिन्न स्रोतों से बड़ी मात्रा में डेटा उत्पन्न करने एवं उपयोग करने की आशा है। इसलिये यह आवश्यक है कि इन प्लेटफार्मों को साइबर हमलों से बचाने के साथ संवेदनशील सार्वजनिक एवं निजी डेटा के लिये पर्याप्त सुरक्षा की गारंटी देने के क्रम में एक मज़बूत प्रणाली लागू की जाए।
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डेटा सुरक्षा एवं उन्नयन: साइबर खतरों का मुकाबला करने एवं डेटा गोपनीयता की सुरक्षा के क्रम में मज़बूत डिजिटल बुनियादी ढाँचे की स्थापना की जानी चाहिये।
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बुनियादी ढाँचे की समयावधि को अधिकतम करने तथा समय पर इसका उन्नयन सुनिश्चित करने हेतु संचालन एवं रखरखाव संबंधी समग्र रणनीति विकसित करनी चाहिये।
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- क्षमता निर्माण और वित्तपोषण: क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से छोटे शहरों में शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को मज़बूत बनाना चाहिये। इस क्रम में संगठनात्मक पुनर्गठन तथा कौशल विकास हेतु केंद्र सरकार की सहायता महत्त्वपूर्ण हो सकती है।
- परियोजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित होना: संबंधित मंत्रालय की भूमिका निधि आवंटन से विस्तारित होकर समय पर परियोजना निष्पादन हेतु सक्रिय निगरानी एवं विशेषज्ञता प्रदान करने तक होनी चाहिये।
- वैश्विक ज्ञान साझाकरण: विकासशील देशों की सतत् शहरी विकास से संबंधित इसी तरह की परियोजनाएँ इस संदर्भ में सूचना साझाकरण हेतु निर्णायक हो सकती हैं (उदाहरण: भूटान की गेलेफू स्मार्ट सिटी परियोजना)।
- गेलेफू स्मार्ट सिटी परियोजना का उद्देश्य भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को शामिल करते हुए दक्षिण एशिया को दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ने वाला एक आर्थिक गलियारा बनाना है। इसमें पर्यावरण मानकों एवं स्थिरता को प्राथमिकता देने से अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों से निवेश आकर्षित होगा।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: स्मार्ट सिटीज़ मिशन क्या है? इसके समक्ष विद्यमान चुनौतियों को बताते हुए इनसे निपटने हेतु उपाय बताइए। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्स:प्रश्न. भारत में नगरीय जीवन की गुणता की संक्षिप्त पृष्ठभूमि के साथ, ‘स्मार्ट नगर कार्यक्रम’ के उद्देश्य और रणनीति बताइए। (2016) |