यूरोपीय संघ-भारत स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु भागीदा | 31 May 2023
प्रिलिम्स के लिये:यूरोपियन ग्रीन डील, यूरोपीय संघ, ग्रीन हाइड्रोजन, जलवायु परिवर्तन, ISA, पेरिस समझौता मेन्स के लिये:यूरोपीय संघ-भारत स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु भागीदारी तथा इसका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने यूरोपियन ग्रीन डील, यूरोपीय संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष के साथ बैठक की। यह बैठक यूरोपीय संघ और भारत के बीच स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु भागीदारी के लिये सहयोग पर चर्चा करने के लिये आयोजित की गई थी।
यूरोपियन ग्रीन डील:
- यूरोपियन ग्रीन डील यूरोपीय संघ को एक आधुनिक, संसाधन-कुशल और प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्था में रूपांतरित करने का प्रयास करती है, इसके साथ यह सुनिश्चित करती है:
- वर्ष 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों का कोई शुद्ध उत्सर्जन न करना।
- संसाधनों के उपयोग से अलग आर्थिक विकास।
- कोई व्यक्ति और कोई स्थान पीछे नहीं छूटे।
- अगली पीढ़ी के EU रिकवरी प्लान से 1.8 ट्रिलियन यूरो निवेश का एक तिहाई और EU का सात साल का बजट यूरोपीय ग्रीन डील को फंडिंग प्रदान करेगा।
बैठक की प्रमुख विशेषताएँ:
- यूरोपीय संघ-भारत स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु भागीदारी के तहत सहयोग:
- यह बैठक ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, ऊर्जा भंडारण और अन्य ऊर्जा क्षेत्रों में वैश्विक आपूर्ति शृंखला के विविधीकरण में सहयोग पर चर्चा करने पर केंद्रित थी।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विस्तार:
- भारत ने उन्नत सौर सेल और पैनलों के लिये विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना सहित अक्षय ऊर्जा क्षमता की वृद्धि के अपने प्रयासों पर प्रकाश डाला।
- सबसे उन्नत सौर सेल और पैनलों की निर्माण क्षमता में वृद्धि रही है, यह वर्ष 2030 तक कुल 80 GW की उत्पादन क्षमता प्राप्त करने का अनुमान है।
- भारत ने उन्नत सौर सेल और पैनलों के लिये विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना सहित अक्षय ऊर्जा क्षमता की वृद्धि के अपने प्रयासों पर प्रकाश डाला।
- ऊर्जा भंडारण और चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा:
- चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति की सुविधा के लिये ऊर्जा भंडारण की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए भारत ने अधिक भंडारण क्षमता सुनिश्चित करने की योजना बनाई है और साथ ही ऊर्जा भंडारण के लिये उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) को भी प्रोत्साहित किया है।
- भारत ने ग्रीन स्टील और अन्य सीमांत प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में यूरोपीय संघ के साथ संयुक्त संचालन का प्रस्ताव रखा, जिसमें भंडारण के रूप में हाइड्रोजन और अमोनिया का उपयोग करते हुए चौबीसों घंटे अक्षय ऊर्जा के लिये भारत की पायलट परियोजना पर प्रकाश डाला गया।
- हरित हाइड्रोजन और मुक्त व्यापार:
- भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन की दिशा में प्रगति के लिये मुक्त और खुले व्यापार के महत्त्व पर बल दिया और संरक्षणवाद के प्रति आगाह किया।
- इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण क्षमता बढ़ाने की भारत की योजना और इस संबंध में आगामी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन का उल्लेख है।
- वैश्विक ऊर्जा क्षमता लक्ष्य:
- यूरोपियन ग्रीन डील के कार्यकारी उपाध्यक्ष ने नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता में भारत के नेतृत्व की सराहना की है।
- दोनों पक्षों ने ऊर्जा दक्षता के एजेंडे को वैश्विक स्तर पर लाने तथा वैश्विक ऊर्जा दक्षता लक्ष्यों को निर्धारित करने की आवश्यकता पर चर्चा की।
- ग्रिड-स्केल बैटरी स्टोरेज सिस्टम और ग्रीन मोबिलिटी:
- विशेष रूप से ग्रिड-स्केल बैटरी स्टोरेज सिस्टम और ग्रीन मोबिलिटी के क्षेत्र में सहयोग के अवसरों का पता लगाया गया। भारत का लक्ष्य हरित गतिशीलता में एक महत्त्वपूर्ण बाज़ार हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है, जिसमें अधिकांश दोपहिया, तिपहिया तथा चौपहिया वाहनों का एक बड़ा हिस्सा वर्ष 2030 तक शामिल होने की उम्मीद है।
- कृषि और ऊर्जा पहुँच को शुद्ध रूप प्रदान करना:
- ऊर्जा मंत्री ने कृषि में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को रोकने के भारत के लक्ष्य को व्यक्त किया। वैश्विक आबादी, विशेष रूप से अफ्रीका में ऊर्जा की पहुँच के मुद्दे पर चर्चा की गई।
- बिना पहुँच वाले क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा सुनिश्चित करने में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की भूमिका पर प्रकाश डाला गया और इस मुद्दे को हल करने के लिये यूरोपीय संघ, आईएसए, अफ्रीका तथा भारत के बीच एक साझेदारी प्रस्तावित की गई।
यूरोपीय संघ-भारत स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु भागीदारी:
- परिचय:
- यूरोपीय संघ-भारत स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु साझेदारी पर वर्ष 2016 में यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्मेलन में सहमति व्यक्त की गई थी।
- यह यूरोपीय संघ की साझेदारी द्वारा वित्तपोषित है और भारत में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
- प्राइसवाटरहाउसकूपर्स प्राइवेट लिमिटेड (PwC India) इस परियोजना के लिये NIRAS A/S, EUROCHAMBRES और ऊर्जा, पर्यावरण तथा जल परिषद (CEEW) के साथ मिलकर कार्यान्वयन भागीदार है।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य सौर और पवन ऊर्जा सहित जलवायु अनुकूल ऊर्जा स्रोतों की तैनाती के लिये संयुक्त गतिविधियों को मज़बूत करके स्वच्छ ऊर्जा तथा पेरिस समझौते के कार्यान्वयन पर सहयोग को सुदृढ़ करना है।
- ऊर्जा दक्षता (EE), नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और जलवायु परिवर्तन (CC) पर ध्यान केंद्रित करके इस उद्देश्य को प्राप्त करने की परिकल्पना की गई है।
- फोकस क्षेत्र:
- ऊर्जा दक्षता:
- ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ECBC)
- लगभग शून्य ऊर्जा भवन (NZEB)
- स्मार्ट तैयारी संकेतक (SRI)
- नवीकरणीय ऊर्जा:
- बड़े पैमाने पर सोलर फोटोवोल्टिक (Solar PV)
- सौर PV रूफटॉप
- अपतटीय पवन
- ऊर्जा भंडारण
- ग्रीन हाइड्रोजन
- जलवायु परिवर्तन:
- अनुकूलन
- शमन
- शीतलन (कोल्ड-चेन सहित)
- ज्ञान प्रबंधन
- अन्य:
- स्मार्ट ग्रिड
- सतत् वित्त
- ऊर्जा दक्षता:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023) कथन-I: हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका (यू.एस.ए.) और यूरोपीय संघ (ई.यू.) ने ‘व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद’ प्रारंभ की है। कथन-II : संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ यह दावा करते हैं कि वे इसके माध्यम से तकनीकी प्रगति एवं भौतिक उत्पादकता को अपने नियंत्रण में लाने का प्रयास कर रहे हैं। उपर्युक्त कथनों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है? (a) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-I, कथन-II की सही व्याख्या है उत्तर: (c) व्याख्या:
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023)
उपर्युक्त में से कितने कथन सही है/हैं? (a) केवल एक उत्तर. (a) व्याख्या:
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