भारत निर्वाचन आयोग | 23 Nov 2022

प्रिलिम्स के लिये:

भारत निर्वाचन आयोग, सर्वोच्च न्यायालय

मेन्स के लिये:

भारत निर्वाचन आयोग और उसके कार्य

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने अपने एक हालिया निर्णय में इस बात का दावा किया है कि चुनाव आयुक्तों/निर्वाचन आयुक्तों की स्वतंत्रता के मामले में सरकार द्वारा दी जाने वाली सेवाएँ केवल मौखिक हैं क्योंकि जहाँ 1950 के दशक में मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 8 वर्ष से भी अधिक समय का हुआ करता था वहीं वर्ष 2004 से अब तक यह कार्यकाल घटकर 300 दिनों से भी कम का रह गया है।

भारत निर्वाचन आयोग:

  • परिचय:
    • भारत निर्वाचन आयोग जिसे चुनाव आयोग के नाम से भी जाना जाता है, एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं का संचालन करता है।
      • चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 (राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है) को संविधान के अनुसार की गई थी। आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में है।
    • यह देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का संचालन करता है।
      • इसका राज्यों में पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनावों से कोई संबंध नहीं है। इसके लिये भारत का संविधान अलग से राज्य चुनाव आयोग का प्रावधान करता है।
  • संवैधानिक प्रावधान:
    • भारतीय संविधान का भाग XV (अनुच्छेद 324-329): यह चुनावों से संबंधित है और इन मामलों हेतु एक आयोग की स्थापना करता है।
    • अनुच्छेद 324: चुनाव का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण चुनाव आयोग में निहित है।
    • अनुच्छेद 325: धर्म, जाति या लिंग के आधार पर किसी भी व्यक्ति विशेष को मतदाता सूची में शामिल न करने और इनके आधार पर मतदान के लिये अयोग्य नहीं ठहराने का प्रावधान।
    • अनुच्छेद 326 लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव वयस्क मताधिकार पर आधारित होंगे।
    • अनुच्छेद 327: विधानसभाओं के चुनाव के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति।
    • अनुच्छेद 328: ऐसे विधानमंडल के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने के लिये राज्य के विधानमंडल की शक्ति।
    • अनुच्छेद 329: चुनावी मामलों में अदालतों के हस्तक्षेप पर रोक।
  • ECI की संरचना:
    • मूल रूप से आयोग में केवल एक चुनाव आयुक्त थे लेकिन चुनाव आयुक्त संशोधन अधिनियम 1989 के बाद इसे एक बहु-सदस्यीय निकाय बना दिया गया।
    • चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) तथा अन्य चुनाव आयुक्त, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा समय-समय पर चुना जाता है वे भी इसमें शामिल होंगे।
    • वर्तमान में इसमें CEC और दो चुनाव आयुक्त हैं।
      • राज्य स्तर पर चुनाव आयोग की मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा मदद की जाती है जो IAS रैंक का अधिकारी होता है।
  • आयुक्तों की नियुक्ति और कार्यकाल:
    • राष्ट्रपति CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करता है।
    • उनका छह साल का एक निश्चित कार्यकाल होता है या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो)।
    • इन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समकक्ष दर्जा प्राप्त होता है और समान वेतन एवं भत्ते मिलते हैं।
  • निष्कासन:
    • वे कभी भी त्यागपत्र दे सकते हैं या उन्हें उनके कार्यकाल की समाप्ति से पहले भी हटाया जा सकता है।
    • मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया की तरह ही पद से हटाया जा सकता है।
  • सीमाएँ:
    • संविधान में चुनाव आयोग के सदस्यों की योग्यता (कानूनी, शैक्षिक, प्रशासनिक या न्यायिक) निर्धारित नहीं की गई है।
    • संविधान में चुनाव आयोग के सदस्यों के कार्यकाल को निर्दिष्ट नहीं किया गया है।
    • संविधान ने सेवानिवृत्त हो रहे चुनाव आयुक्तों को सरकार द्वारा किसी और नियुक्ति से वंचित नहीं किया है।

ECI की शक्तियाँ और कार्य:

  • प्रशासनिक:
    • संसद के परिसीमन आयोग अधिनियम के आधार पर देश भर में चुनाव निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण करना।
    • मतदाता सूची तैयार करना और समय-समय पर संशोधित करना तथा सभी पात्र मतदाताओं को पंजीकृत करना।
    • राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना और उन्हें चुनाव चिह्न आवंटित करना।
    • चुनाव आयोग राजनीतिक दलों की आम सहमति से विकसित आदर्श आचार संहिता के सख्त पालन के माध्यम से राजनीतिक दलों के लिये चुनाव में समान अवसर सुनिश्चित करता है।
    • यह चुनावों के संचालन हेतु चुनाव कार्यक्रम तय करता है, चाहे आम चुनाव हों या उपचुनाव।
  • सलाहकार क्षेत्राधिकार और अर्द्ध-न्यायिक कार्य:
    • संविधान के तहत संसद और राज्य विधानसभाओं के मौजूदा सदस्यों के चुनाव के बाद अयोग्यता के मामले में आयोग के पास सलाहकार अधिकार क्षेत्र है।
      • ऐसे सभी मामलों में आयोग की राय राष्ट्रपति या राज्यपाल, जिसे ऐसी राय दी गई है, के लिये बाध्यकारी है।
    • इसके अलावा चुनाव में भ्रष्ट आचरण के दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के मामले जो सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के सामने आते हैं, को इस सवाल हेतु आयोग की राय के लिये भी भेजा जाता है कि क्या ऐसे व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया जाएगा और यदि हांँ, तो किस अवधि के लिये।
    • आयोग के पास मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवादों को निपटाने की अर्द्ध-न्यायिक शक्ति निहित है।
    • आयोग के पास ऐसे किसी उम्मीदवार को अयोग्य घोषित करने की शक्ति है, जो समय के भीतर और कानून द्वारा निर्धारित तरीके से अपने चुनावी खर्चों का लेखा-जोखा करने में विफल रहा है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. भारत का चुनाव आयोग पांँच सदस्यीय निकाय है।
  2. केंद्रीय गृह मंत्रालय आम चुनाव और उपचुनाव दोनों के संचालन के लिये चुनाव कार्यक्रम तय करता है।
  3. चुनाव आयोग मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवादों का समाधान करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. आदर्श आचार संहिता के विकास के आलोक में भारत के चुनाव आयोग की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2022)

स्रोत: हिंदू