जैव विविधता और पर्यावरण
इबोला वायरस
- 23 Jun 2021
- 5 min read
प्रिलिम्स के लियेविश्व स्वास्थ्य संगठन, इबोला वायरस, एलिसा (ELISA), मलेरिया, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, आरटी-पीसीआर मेन्स के लियेइबोला वायरस रोग (EVD) का परिचय एवं उससे संबंधित तथ्य ( संचरण के माध्यम, लक्षण, निदान, टीकाकरण, उपचार) |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने घोषणा की है कि फरवरी 2021 में गिनी में फैले इबोला वायरस का प्रकोप अब खत्म हो गया है।
- इसकी पहली लहर 2013-2016 के दौरान इबोला के प्रकोप ने 11,300 लोगों की जान ले ली, जिनमें ज़्यादातर लोग गिनी, सिएरा लियोन और लाइबेरिया से थे।
- WHO ने "2019 में वैश्विक स्वास्थ्य के लिये दस खतरे" की अपनी सूची में इबोला को भी शामिल किया।
प्रमुख बिंदु
इबोला वायरस रोग (EVD) के बारे में:
- इबोला वायरस रोग (EVD), जिसे पहले इबोला रक्तस्रावी बुखार के रूप में जाना जाता था, मनुष्यों में होने वाली एक गंभीर, घातक बीमारी है। यह वायरस जंगली जानवरों से लोगों में फैलता है और मानव आबादी में मानव-से-मानव में संचरण करता है।
- इबोला वायरस की खोज सर्वप्रथम वर्ष 1976 में इबोला नदी के पास स्थित गाँव में हुई थी‚ जो कि अब कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में है।
संचरण: फ्रूट बैट’ टेरोपोडीडेई परिवार (Pteropodidae family) से संबंधित है जो वायरस के प्राकृतिक वाहक (Natural Hosts) है।
- पशु से मानव संचरण: इबोला का संक्रमण उन जानवरों के रक्त, स्राव, अंगों या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों जैसे कि फ्रूट बैट, चिंपांजी, गोरिल्ला, बंदर, वन मृग या पोर्कपीस के साथ निकट संपर्क के माध्यम से मानव आबादी में फैलता है। यह वायरस बीमार या मृत अवस्था में पाए जाते हैं या वर्षावनों में पाए जाते हैं।
- मानव से मानव संचरण: इबोला सीधे संपर्क (टूटी हुई त्वचा या श्लेष्मा झिल्ली के माध्यम से) के साथ फैलता है:
- जो व्यक्ति इबोला से बीमार है या उसकी मृत्यु हो गई है उसके रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है।
- ऐसे शरीर के तरल पदार्थ (जैसे रक्त, मल, उल्टी) से दूषित वस्तुएँ।
लक्षण:
- यह अचानक हो सकता है और इसमें शामिल हैं: बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, गले में खराश, उल्टी, दस्त, गुर्दे का ख़राब होना और यकृत कार्य संबंधित लक्षण तथा कुछ मामलों में आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव ।
निदान:
- इबोला को चिकित्सकीय रूप से अन्य संक्रामक रोगों जैसे मलेरिया, टाइफाइड बुखार और मेनिन्जाइटिस से अलग करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन इबोला वायरस के संक्रमण के कारण इसके लक्षणों की पुष्टि निम्नलिखित नैदानिक विधियों का उपयोग करके किया जा सकता हैं:
- एलिसा (ELISA) (antibody-capture enzyme-linked immunosorbent assay)
- रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) एक प्रयोगशाला तकनीक इत्यादि।
टीकाकरण:
- एर्वेबो वैक्सीन (Ervebo vaccine ) को जाइरे के इबोला वायरस प्रजाति से लोगों की रक्षा करने में प्रभावी बताया गया है।
- मई 2020 में यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने 1 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिये ज़ब्डेनो-एंड-मावाबिया (Zabdeno-and-Mvabea) नामक टीके के 2-घटक को विपणन प्राधिकरण देने की सिफारिश की।
उपचार:
- अमेरिका द्वारा वयस्कों और बच्चों में जाइरे इबोला वायरस संक्रमण के इलाज के लिये दो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (Inmazeb and Ebanga) को मंज़ूरी दी गई है।