आपदा प्रबंधन
डूबने से होने वाली मृत्यु
- 02 Aug 2024
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:डूबना/ड्राउनिंग, बाढ़, प्राकृतिक आपदाएँ, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), मौसम की चरम घटनाएँ मेन्स के लिये:भारत में आपदा प्रबंधन से संबंधित फ्रेमवर्क, भारत के आपदा जोखिम को बढ़ाने वाले कारक। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 25 जुलाई 2024 को वर्ल्ड ड्राउनिंग प्रिवेन्शन डे के रूप में मनाया गया। यह एक वैश्विक पहल है जो डूबने से बचाव के बारे में वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने और बचाव कार्रवाई में तेज़ी लाने के लिये समर्पित है।
- डूबना एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है जिसके कारण पिछले दशक में 2.5 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है, जिनमें से अधिकांश निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हुई हैं।
डूबना/ड्राउनिंग:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ड्राउनिंग को द्रव पदार्थ में डूबने या डूबने से होने वाली श्वसन हानि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसके परिणाम ‘मृत्यु’, ‘रुग्णता’ या ‘कोई रुग्णता नहीं’ के रूप में वर्गीकृत होते हैं।
- वर्ल्ड ड्राउनिंग प्रिवेन्शन डे:
- यह 25 जुलाई को डूबने के कारण अपनी जान गँवाने वालों के लिये समर्पित और जल सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये आयोजित एक वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम है।
- अप्रैल 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के प्रस्ताव द्वारा स्थापित, इस कार्यक्रम का समन्वय विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा किया जाता है।
- वर्ल्ड ड्राउनिंग प्रिवेन्शन डे- 2024 की थीम: ‘Anyone can drown, no one should.’
- WHO का उद्घोष: ‘Seconds can save a life.’
भारत में ड्राउनिंग की घटनाओं में योगदान देने वाले कारक क्या हैं?
- जल निकायों तक पहुँच: भारत में कई दैनिक गतिविधियों के लिये लोग नदियों, तालाबों और कुओं के पास रहते हैं, जहाँ सुरक्षा उपायों तथा निगरानी का अभाव है, विशेषकर बच्चों के लिये।
- वर्ष 2022 में जल निकायों में दुर्घटनावश गिरने के कारण 28,257 लोगों की मौत हुईं।
- 'अन्य मामलों' में 9,962 मौतें हुईं, जिसमें डूबने की अवर्गीकृत घटनाओं की एक शृंखला शामिल है तथा नाव पलटने से 284 मौतें हुईं।
- बाढ़: मानसून की बारिश बाढ़ का कारण बनती है, खराब जल निकासी के कारण स्थिति और खराब हो जाती है, जिससे समुदाय डूबने के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
- सांस्कृतिक धारणाएँ: कुछ समुदाय डूबने को अपरिहार्य मानते हैं, जिससे सुरक्षा उपायों और जागरूकता अभियानों में बाधा आती है।
- आर्थिक बाधाएँ: गरीबी के कारण सुरक्षा उपकरण, तैराकी सबक और आपातकालीन सेवाओं तक पहुँच सीमित हो जाती है, जिससे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में कम आय वाले परिवार प्रभावित होते हैं।
- अपर्याप्त सुरक्षा नियम: सार्वजनिक जल निकायों के उपयोग को नियंत्रित करने वाले कड़े सुरक्षा नियमों का अभाव है।
- समुद्र तटों और स्विमिंग पूलों पर लाइफगार्ड जैसे सुरक्षा उपायों का प्रवर्तन प्रायः कम होता है, जिससे डूबने की दर बढ़ जाती है।
डूबने से होने वाली मौतों से संबंधित आँकड़े क्या हैं?
- वैश्विक डेटा:
- वैश्विक मृत्यु दर: डूबने पर WHO की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के अनुसार, डूबना/ड्राउनिंग एक गंभीर और उपेक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा है, जिससे विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 3,72,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है।
- क्षेत्रीय असमानताएँ:
- निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अनजाने में डूबने से 90% से अधिक मौतें होती हैं। यह मृत्यु दर कुपोषण से होने वाली मौतों की लगभग दो-तिहाई और मलेरिया से होने वाली मौतों की आधी से भी अधिक है।
- विश्व में, डूबने के कारण आधी से अधिक घटनाएँ WHO पश्चिमी प्रशांत और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रों में होती हैं।
- WHO पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में डूबने के कारण होने वाली मृत्यु दर UK या जर्मनी की तुलना में 27-32 गुना अधिक है।
- भारत के लिये परिदृश्य:
- डेटा: प्रत्येक वर्ष लगभग 38,000 भारतीय डूबने से मरते हैं।
- डूबना एक महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वर्ष 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, डूबना सार्वजनिक सुरक्षा चिंता का एक बहुत ही गंभीर विषय है और भारत में सभी अकस्मात मृत्यु में से 9.1% के लिये ज़िम्मेदार है, जिसमें 38,503 मौतें शामिल हैं।
- राज्यवार डेटा: मध्य प्रदेश में डूबने से सबसे अधिक (5,427) मौतें हुईं, उसके बाद महाराष्ट्र (4,728) और उत्तर प्रदेश (3,007) का स्थान रहा। यह कई राज्यों में एक व्यापक मुद्दे को दर्शाता है।
- डूबने से होने वाली मृत्यु (लिंग-आधारित):
- मृत्यु का आयु और लिंग-आधारित वितरण: 1-14 वर्ष की आयु के बच्चे विशेष रूप से जोखिम में हैं, इस आयु वर्ग में डूबना मृत्यु का प्रमुख कारण है।
डूबने की घटनाओं को नियंत्रित करने में WHO की भूमिका
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विश्व भर में चोट से संबंधित मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारण के रूप में डूबने को मान्यता दी है।
- डूबने से होने वाली मौतें एक बहुत बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरी हैं, जिसने वर्ष 2014 में डूबने की घटनाओं पर रोकथाम हेतु WHO की पहली वैश्विक रिपोर्ट के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया।
- WHO रिज़ॉल्यूशन WHA76.18 इस मुद्दे से निपटने के लिये समन्वित बहु-क्षेत्रीय कार्रवाई की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।
- डूबने की दुर्घटनाओं पर रोकथाम के लिये WHO की सिफारिश:
डूबने की घटनाओं को रोकने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?
- बैरियर लगाना: पूल, कुओं और तालाबों जैसे जल निकायों के चारों ओर भौतिक अवरोधों को खड़ा करना अर्थात् बैरियर लगाना, विशेष रूप से छोटे बच्चों के लिये पहुँच को सीमित कर सकता है।
- बाड़ लगाना और सुरक्षित कवर संभावित खतरनाक क्षेत्रों में प्रवेश को नियंत्रित करने के लिये प्राथमिक निवारक उपायों के रूप में कार्य करते हैं।
- जल निकायों से दूर सुरक्षित क्षेत्र: वयस्कों और बच्चों दोनों के लिये जलाशयों से दूर निर्दिष्ट सुरक्षित क्षेत्र बनाना दुर्घटनावश डूबने के जोखिम को कम करने में मदद करता है। इन स्थानों पर लोगों का ध्यान जल निकायों से हटाने के लिये मनोरंजक गतिविधियाँ उपलब्ध कराई जानी चाहिये।
- बचाव तकनीकों में प्रशिक्षण: कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) और मुख से मुख श्वास (Mouth-to-Mouth Breathing) देने जैसी सुरक्षित बचाव विधि तथा पुनर्जीवन तकनीकों में आस-पास के लोगों को शिक्षित करना, जीवन बचा सकता है। सामुदायिक कार्यक्रमों को आपातकालीन स्थितियों में प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने के लिये लोगों को प्रशिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- शिक्षा पाठ्यक्रम में एकीकरण: स्कूल के पाठ्यक्रमों में जल सुरक्षा शिक्षा को शामिल करना सुनिश्चित करता है कि बच्चे छोटी उम्र से ही निवारक उपाय सीखें।
- नौका विहार विनियमों का प्रवर्तन: नौका विहार और शिपिंग (नौपरिवहन) के सख्त विनियमों को लागू करना आवश्यक है। इसमें अनिवार्य जीवन रक्षक जैकेट का प्रयोग, जहाज़ों का नियमित रखरखाव और जल निकाय संबंधी दुर्घटनाओं को रोकने के लिये सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना शामिल है।
- बाढ़ जोखिम प्रबंधन: बाढ़ प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के विकास के माध्यम से बाढ़ जोखिम प्रबंधन में सुधार बाढ़ की घटनाओं के दौरान डूबने की घटनाओं को काफी हद तक कम कर सकता है। स्थानीय अधिकारियों को सामुदायिक आघात सहनीयता बढ़ाने के लिये ऐसी प्रणालियों में निवेश करना चाहिये।
निष्कर्ष
डूबना एक ऐसी त्रासदी है जिसे रोका जा सकता है और जिस पर भारत में तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। डूबने की घटनाओं में योगदान देने वाले सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों को समझकर तथा लक्षित हस्तक्षेपों को लागू करके, हम मृत्यु की संख्या को काफी हद तक कम कर सकते हैं। सरकारी संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग सभी के लिये, विशेष रूप से बच्चों जैसे कमज़ोर समूहों के लिये सुरक्षित वातावरण स्थापित करने हेतु महत्त्वपूर्ण है। इस मूक आपदा से निपटने के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि डूबने से कोई जान न जाए।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में डूबने से होने वाली मृत्यु में वृद्धि के पीछे कौन-से कारक योगदान दे रहे हैं? इससे निपटने के लिये क्या उपाय किये जाने चाहिये? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. आपदा प्रबन्धन में पूर्ववर्ती प्रतिक्रियात्मक उपागम से हटते हुए भारत सरकार द्वारा आरंभ किये गए अभिनूतन उपायों की विवेचना कीजिये। (2020) प्रश्न. आपदा प्रभावों और लोगों के लिये उसके खतरे को परिभाषित करने के लिये भेद्यता एक अत्यावश्यक तत्त्व है। आपदाओं के प्रति भेद्यता का किस प्रकार और किन-किन तरीकों के साथ चरित्र-चित्रण किया जा सकता है? आपदाओं के संदर्भ में भेद्यता के विभिन्न प्रकारों पर चर्चा कीजिये। (2019) प्रश्न. भारत में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डी०आर०आर०) के लिये 'सेंडाई आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रारूप (2015-2030)' हस्ताक्षरित करने से पूर्व एवं उसके पश्चात् किये गए विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिये। यह प्रारूप 'हयोगो कार्रवाई प्रारूप, 2005' से किस प्रकार भिन्न है? (2018) |