भूगोल
दक्कन ज्वालामुखी और भारतीय प्लेट का संचलन
- 16 Jan 2025
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प्रिलिम्स के लिये:उष्णकटिबंधीय वनस्पति, ज्वालामुखी, भारतीय प्लेट, सामूहिक विलुप्ति, ITCZ, क्रेटेशियस-पेलियोजीन (के-पीजी), सामूहिक विलुप्ति, उष्णकटिबंधीय वर्षावन, भूमध्य रेखा, ज्वालामुखी पठार, मैंटल प्लम, ज्वालामुखी हॉटस्पॉट, रीयूनियन हॉटस्पॉट, गोंडवानालैंड, टेथिस सागर, हिमालय पर्वत, मानसून। मेन्स के लिये:भारतीय प्लेट की गति और दक्कन पठार पर इसका प्रभाव, ज्वालामुखी। |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
एक नए अध्ययन के अनुसार, दक्कन ज्वालामुखी का उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। ज्वालामुखी विस्फोट के कारण बड़े पैमाने पर जीव-जंतु विलुप्त हो गए थे।
- सामूहिक विलुप्ति विनाशकारी घटनाएँ हैं, जो तेज़ी से जैव विविधता को नुकसान पहुँचती हैं, यह अक्सर जलवायु परिवर्तन, क्षुद्रग्रहों के प्रभाव या बड़े पैमाने पर ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण होती हैं।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- जीव-जंतुओं और वनस्पतियों पर प्रभाव: दक्कन ज्वालामुखी विस्फोट के कारण डायनासोर और अन्य जीव-जंतुओं के साथ-साथ जिम्नोस्पर्म (अनावृतबीजी) भी बड़े पैमाने पर विलुप्त हो गए।
- हालाँकि, इसने वनस्पतियों के विलुप्त होने की बजाय, एंजियोस्पर्मों (आवृतबीजी) के लिये उपजाऊ, अप्रभावित आवासों का निर्माण करके अति-विविध उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों को बढ़ावा दिया।
- ज्वालामुखी निष्क्रियता के दौरान गर्म, आर्द्र जलवायु और भूमध्य रेखा के माध्यम से भारतीय प्लेट की गति ने वनस्पति विविधता में मदद की।
- वैश्विक और क्षेत्रीय निहितार्थ: दक्कन ज्वालामुखी कोक्रेटेशियस-पेलियोजीन (के-पीजी) सामूहिक विलुप्ति (66 मिलियन वर्ष पूर्व) के लिये एक योगदान कारक के रूप में पहचाना गया था, जिसने वैश्विक स्तर पर अमोनॉइड (अकशेरुकी सेफेलोपोड्स) और डायनासोर प्रजातियों को समाप्त कर दिया।
- हालाँकि, भारतीय प्लेट क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय वर्षावनों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नही पड़ा, जो जलवायु संबंधी तनावों के प्रति उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों की अनुकूलता को दर्शाता है।
- उष्णकटिबंधीय वनस्पति: उष्णकटिबंधीय वनस्पति से तात्पर्य उन पौधों की प्रजातियों से है जो विश्व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (23.5° उत्तर और 23.5° दक्षिण अक्षांश के बीच) में विकसित होती हैं, इनकी आमतौर पर वर्ष भर उष्ण तापमान और उच्च आर्द्रता होती हैं।
- ये क्षेत्र भूमध्य रेखा के पास, कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच पाए जाते हैं।
- उदाहरणार्थ, महोगनी वृक्ष, ऑर्किड, नारियल के पेड़ आदि।
- जिम्नोस्पर्म: जिम्नोस्पर्म ऐसे पादप वृक्ष होते हैं जिनके बीज अंडाशय (अनावृत) के भीतर परिबद्ध नहीं होते हैं, अपितु प्रायः छोटी टहनियों या शंकुओं में खुली अवस्था में होते हैं। इनकी गिनती प्राचीनतम और आद्य पौधों में की जाती है।
- एंजियोस्पर्म: ये ऐसे पादप समूह हैं जिनके बीज फल के भीतर परिबद्ध होते हैं। निषेचन के बाद, पुष्प का अंडाशय एक फल में विकसित होता है जिसमें बीज होते हैं।
दक्कन ज्वालामुखी सिद्धांत क्या है?
- परिचय: इसके अनुसार ज्वालामुखीय उद्गारों, जिनके कारण दक्कन ट्रैप का निर्माण हुआ, का लगभग 66 मिलियन वर्ष पूर्व हुए व्यापक विलोपन की घटना में अहम भूमिका थी ।
- दक्कन ट्रैप प्रायद्वीपीय भारत में एक विशाल ज्वालामुखीय पठार है, जो ज्वालामुखीय उद्गारों के परिणामस्वरूप निर्मित हुआ है।
- विदरयुक्त ज्वालामुखी उद्गार तब उत्पन्न है जब मैग्मा ज्वालामुखी के केंद्रीय द्वार के बजाय लंबे दरारों या विदरों से निकलता है।
- निर्माण: ऐसा माना जाता है कि दक्कन ट्रैप का निर्माण डेक्कन मैंटल प्लम के कारण ज्वालामुखी की अत्यधिक सक्रियता से हुआ है। यह ज्वालामुखीय सक्रियता अनेक लाख वर्षों तक जारी रही।
- मैंटल प्लम पृथ्वी के मैंटल से निकलने वाला मैग्मा का बेलनाकार उत्प्रवाह है, जिससे प्लेट सीमाओं से असंबद्ध ज्वालामुखीय हॉटस्पॉट का निर्माण होता है।
- वर्तमान का दक्कन ट्रैप व्यापक ज्वालामुखी विस्फोटों से निर्मित बेसाल्टिक लावा प्रवाह की विशाल परतों से बना है।
- भारतीय प्लेट में संचलन से संबंध: भारत ऑस्ट्रेलियाई तट से सुदूर स्थित एक विशाल द्वीप था। ऐसा माना जाता है कि भारत का उत्तर दिशा की ओर संचलन लगभग 200 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुआ।
- रियूनियन हॉटस्पॉट पृथ्वी के केंद्र से निकला कोष्ण लावा का एक मेंटल प्लम है जो भारतीय प्लेट के नीचे स्थित है।
- जैसे-जैसे भारतीय प्लेट रियूनियन हॉटस्पॉट के ऊपर से गुज़री, विदरयुक्त ज्वालामुखी उद्गारों से दक्कन ट्रैप का निर्माण हुआ।
- रियूनियन हॉटस्पॉट एक ज्वालामुखीय हॉटस्पॉट है जो हिंद महासागर में रियूनियन द्वीप (फ्राँसीसी समुद्रपार क्षेत्र) के समीप स्थित है।
- दक्कन की ज्वालामुखीयता का आर्थिक महत्त्व
- प्रमुख चट्टानें: बेसाल्ट दक्कन ट्रैप में पाया जाता है तथा ग्रेनाइट और नीस की उपलब्धता दक्षिणी भारत, विशेषकर कर्नाटक और तमिलनाडु में साधारण है।
- खनिज संसाधन: कर्नाटक में लौह अयस्क प्रचुर मात्रा में है और पूर्वी घाट में बॉक्साइट पाया जाता है।
- कृषि: काली मृदा की उपस्थिति के कारण यह कपास और तंबाकू के लिये लाभदायक है।
- काली मृदा का निर्माण ज्वालामुखीय शैलों, विशेष रूप से बेसाल्ट के अपक्षय से हुआ है, जो लोहा, मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम जैसे खनिजों से समृद्ध है।
नोट: दक्कन ट्रैप दक्षिण भारत के महत्त्वपूर्ण भागों में विस्तृत है, जिसमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के अधिकांश क्षेत्र शामिल हैं तथा तेलंगाना और केरल में इसका विस्तारण अपेक्षाकृत कम है।
भारतीय प्लेट की गति के मुख्य बिंदु क्या हैं?
- गोंडवानालैंड का विखंडन: भारतीय प्लेट, पेलियोज़ोइक युग के अंत में दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, अरब, मेडागास्कर, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका के साथ गोंडवानालैंड का हिस्सा थी, जो ट्राइऐसिक काल के अंत (~215 Ma) में विखंडित होने लगी।
- लगभग 225 मिलियन वर्ष पहले तक टेथिस सागर भारत को यूरेशियन प्लेट से अलग करता था।
- पृथक्करण और विस्थापन: भारत मध्य जुरासिक (~165-150 Ma) में अफ्रीका से और प्रारंभिक क्रेटेशियस (~130-120 Ma) में अंटार्कटिका-ऑस्ट्रेलिया से अलग हुआ।
- इंडो-मेडागास्कर ब्लॉक अंटार्कटिका-ऑस्ट्रेलिया से लगभग 130-120 मिलियन वर्ष पूर्व अलग हो गया तथा सेशेल्स भारत से क्रेटेशियस-पैलियोसीन सीमा (~66 मिलियन वर्ष पूर्व) के आसपास अलग हो गया।
- दरार और मैंटल प्लम्स: दरार और मैंटल प्लम्स: मैंटल प्लम्स ने भारतीय प्लेट की दरार और विस्थापन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें महत्त्वपूर्ण बेसाल्टिक ज्वालामुखी विस्फोट भी शामिल थे।
- उदाहरण के लिये, रीयूनियन मैंटल प्लम ने भारतीय प्लेट को सेशेल्स से अलग कर दिया, जिससे डेक्कन ट्रैप का निर्माण हुआ।
- एशिया से संघट्ट: इओसीन (लगभग 50-35 मिलियन वर्ष पूर्व) के दौरान भारतीय प्लेट एशियाई प्लेट से टकराई, जिससे हिमालय पर्वत शृंखला का निर्माण हुआ और तिब्बती पठार का उत्थान हुआ।
- जैसे ही भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराई, टेथियन सागर बंद हो गया।
- भूवैज्ञानिक प्रभाव: भारत-एशिया संघट्ट एक कठोर महाद्वीप संघट्ट है जिसके परिणामस्वरूप विश्व की सबसे बड़ी और सबसे युवा वलित पर्वत पट्टी का निर्माण हुआ जिसे हिमालय के नाम से जाना जाता है।
- इसने वैश्विक जलवायु को महत्त्वपूर्ण रूप से बदल दिया तथा भारतीय उपमहाद्वीप के लिये एक विशिष्ट मानसून प्रणाली स्थापित की।
- महाद्वीप संघट्ट तब होता है जब दो महाद्वीपीय प्लेटें आपस में टकराती हैं, जिससे विशाल पर्वत शृंखलाएँ बन जाती हैं, क्योंकि दोनों प्लेटें इतनी अधिक उत्प्लावक होती हैं कि वे मैंटल में नहीं डूब पातीं।
निष्कर्ष
अध्ययन में दक्कन ज्वालामुखी के दौरान उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों के अनुकूलन पर प्रकाश डाला गया है, जिसके कारण जीवों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने की स्थिति उत्पन्न हुई, लेकिन विविध उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिला। ज्वालामुखी गतिविधि के साथ भारतीय प्लेट की गति ने वैश्विक जैव विविधता और पृथ्वी की जलवायु को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: वैश्विक जैव विविधता और जलवायु पर भारतीय प्लेट की गति के प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. "छठा व्यापक विलोप /छठा विलोप" यह शब्द किसकी विवेचना के संदर्भ में समाचारों में प्रायः उल्लिखित होता है? (2018) (a) विश्व के बहुत से भागों में कृषि में व्यापक रूप मेंएकधान्य कृषि प्रथा और बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक कृषि के साथ रसायनों के अविवे की प्रयोग के परिणामस्वरूप अच्छे देशी पारितंत्र की हानि। उत्तर: (d) प्रश्न. भारत की काली कपासी मृदा का निर्माण किसके अपक्षय के कारण हुआ है? (2021) (a) भूरी वन मृदा उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न: परि-प्रशांत क्षेत्र के भू-भौतिकीय अभिलक्षणों का विवेचन कीजिये। (2020) प्रश्न: 'मैंटल प्लूम' को परिभाषित कीजिए और प्लेट विवर्तनिकी में इसकी भूमिका को स्पष्ट कीजिये। (2018) प्रश्न: इंडोनेशियाई और फिलिपीनी द्वीपसमूहों में हज़ारों द्वीपों के विरचन की व्याख्या कीजिये। (2014) |