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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

CPEC प्राधिकरण

  • 22 Aug 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), वन बेल्ट वन रोड (OBOR)

मेन्स के लिये:

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और भारत पर इसके प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीन ने 60 अरब अमेरिकी डॉलर की परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) की धीमी गति को लेकर सभी करीबी मित्र देशों के मध्य बढ़ती दरार की खबरों के बीच CPEC प्राधिकरण को खत्म करने के पाकिस्तान के फैसले को मंज़ूरी दे दी।

CPEC प्राधिकरण:

  • परिचय:
    • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) प्राधिकरण वर्ष 2019 में अध्यादेश के माध्यम से स्थापित किया गया था।
      • इसका उद्देश्य CPEC से संबंधित गतिविधियों को तेज़ करना, विकास के नए चालकों को खोजना, क्षेत्रीय और वैश्विक कनेक्टिविटी के माध्यम से परस्पर जुड़े उत्पादन नेटवर्क एवं वैश्विक मूल्य शृंखलाओं की संभावनाओं को खोजना था।
  • निलंबन का कारण:
    • पाकिस्तान अधिकृत गिलगित बाल्टिस्तान में ज़मीन के मुद्दों को लेकर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ स्थानीय विरोध में तेज़ी देखी जा रही है।
      • स्थानीय आबादी CPEC के नाम पर सेना द्वारा"भूमि हड़पने" की नीति से नाराज़ है।
    • अप्रैल 2022 में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) द्वारा कराची विश्वविद्यालय में किये गए आत्मघाती बम विस्फोट में तीन चीनी नागरिक मारे गए, यह प्रतिक्रिया बलूचिस्तान में चीेनी निवेश के विरोध का संकेत थी।
      • चीन कथित तौर पर पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है कि वह चीनी एजेंसियों को अपने कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने की अनुमति दे, जबकि इस्लामाबाद इसका विरोध कर रहा है क्योंकि वह चीनी सशस्त्र बलों का नियंत्रण पाकिस्तानी ज़मीन में नहीं चाहता है।
    • पिछली सरकार द्वारा चीन से की गई प्रतिबद्धताओं का पालन न हो पाने एवं कराधान नीतियों में बदलाव के कारण CPEC परियोजनाओं को भी देरी का सामना करना पड़ रहा था।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC):

Gwadar

  • परिचय:
    • CPEC चीन के उत्तर-पश्चिमी झिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र और पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को जोड़ने वाली बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का 3,000 किलोमीटर लंबा मार्ग है।
    • यह पाकिस्तान और चीन के बीच एक द्विपक्षीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य ऊर्जा, औद्योगिक और अन्य बुनियादी ढाँचा विकास परियोजनाओं के साथ राजमार्गों, रेलवे एवं पाइपलाइन्स के नेटवर्क द्वारा पूरे पाकिस्तान में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है।
    • यह चीन के लिये ग्वादर बंदरगाह से मध्य-पूर्व और अफ्रीका तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करेगा ताकि चीन हिंद महासागर तक पहुँच प्राप्त कर सके तथा चीन बदले में पाकिस्तान के ऊर्जा संकट को दूर करने और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिये पाकिस्तान में विकास परियोजनाओं का समर्थन करेगा।
    • CPEC, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक हिस्सा है।
      • वर्ष 2013 में शुरू किये गए ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ का उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि एवं समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है।
  • CPEC का भारत हेतु निहितार्थ:
    • भारत की संप्रभुता:
      • भारत CPEC की लगातार आलोचना करता रहा है, क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर गुज़रता है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवादित क्षेत्र है।
      • कॉरिडोर को भारत की सीमा पर स्थित कश्मीर घाटी के लिये वैकल्पिक आर्थिक सड़क संपर्क के रूप में भी माना जाता है।
    • सागर के माध्यम से व्यापार पर चीनी नियंत्रण:
      • पूर्वी तट पर प्रमुख अमेरिकी बंदरगाह चीन के साथ व्यापार करने के लिये पनामा नहर पर निर्भर हैं।
      • एक बार CPEC के पूरी तरह कार्यात्मक हो जाने के बाद चीन अधिकांश उत्तरी और लैटिन अमेरिकी उद्यमों के लिये एक 'छोटा एवं अधिक किफायती' व्यापार मार्ग की पेशकश करने की स्थिति में होगा।
      • यह चीन को उन शर्तों को निर्धारित करने की शक्ति देगा जिनके द्वारा अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच माल की अंतर्राष्ट्रीय आवाजाही होगी।
    • स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स:
      • चीन ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ की नीति द्वारा हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ अमेरिका द्वारा गढ़ा गया एक शब्द है जो अक्सर भारतीय रक्षा विश्लेषकों द्वारा हवाई क्षेत्रों और बंदरगाहों के नेटवर्क के माध्यम से भारत को घेरने की चीनी रणनीति का उल्लेख करने के लिये उपयोग किया जाता है।

चटगाँव बंदरगाह (बांग्लादेश), हंबनटोटा बंदरगाह (श्रीलंका), पोर्ट सूडान (सूडान), मालदीव, सोमालिया और सेशेल्स में मौजूदा उपस्थिति के साथ ग्वादर बंदरगाह पर नियंत्रण कर साम्यवादी राष्ट्र द्वारा हिंद महासागर पर पूर्ण प्रभुत्व स्थापित करना है।

BRI द्वारा मज़बूत व्यापार और चीन का प्रभुत्व:

चीन की BRI परियोजना, जो बंदरगाहों, सड़कों और रेलवे के नेटवर्क के माध्यम से चीन तथा शेष यूरेशिया के बीच व्यापार संपर्क पर केंद्रित है, को अक्सर इस क्षेत्र पर राजनीतिक रूप से हावी होने की चीन की योजना के रूप में देखा जाता है।

CPEC उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।

वन बेल्‍ट वन रोड (OBOR):

  • परिचय:
    • वन बेल्ट वन रोड वर्ष 2013 में शुरू की गई एक मल्टी-मिलियन डॉलर की पहल है।
    • इसका उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि एवं समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है।
    • इसका उद्देश्य विश्व में बड़ी बुनियादी ढांँचा परियोजनाओं को शुरू करना है जो बदले में चीन के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाएगी।
  • संरचना:
    • इनमें निम्नलिखित छह आर्थिक गलियारे शामिल हैं:
      • न्यू यूरेशियन लैंड ब्रिज, जो पश्चिमी चीन को पश्चिमी रूस से जोड़ता है।
      • चीन-मंगोलिया-रूस गलियारा, जो मंगोलिया के माध्यम से उत्तरी चीन को पूर्वी रूस से जोड़ता है।
      • चीन-मध्य एशिया-पश्चिम एशिया गलियारा, जो मध्य और पश्चिम एशिया के माध्यम से पश्चिमी चीन को तुर्की से जोड़ता है।
      • चीन-इंडोचीन प्रायद्वीप गलियारा, जो भारत-चीन के माध्यम से दक्षिणी चीन को सिंगापुर से जोड़ता है।
      • चीन-पाकिस्तान गलियारा, जो दक्षिण-पश्चिमी चीन को पाकिस्तान के माध्यम से अरब सागर के मार्गों से जोड़ता है।
      • बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार गलियारा, जो बांग्लादेश और म्याँमार के रास्ते दक्षिणी चीन को भारत से जोड़ता है।
    • इसके अतिरिक्त समुद्री सिल्क रोड सिंगापुर-मलेशिया, हिंद महासागर, अरब सागर और होर्मुज़ जलडमरूमध्य के माध्यम से तटीय चीन को भूमध्य सागर से जोड़ता है।

One-belt-one-road

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रिलिम्स के लिये:

प्रश्न: कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (2016) का उल्लेख किसके संदर्भ में किया जाता है?

(a) अफ्रीकी संघ
(b) ब्राज़ील
(c) यूरोपीय संघ
(d) चीन

उत्तर: D

व्याख्या:

  • वर्ष 2013 में प्रस्तावित 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) भूमि और समुद्री नेटवर्क के माध्यम से एशिया को अफ्रीका तथा यूरोप से जोड़ने के लिये चीन का एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम है।
  • BRI को 'सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट’ और 21वीं सदी की सामुद्रिक सिल्क रोड के रूप में भी जाना जाता है। BRI एक अंतर-महाद्वीपीय मार्ग है जो चीन को दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से भूमि के माध्यम से जोड़ता है, यह चीन के तटीय क्षेत्रों को दक्षिण-पूर्व तथा दक्षिण एशिया, दक्षिण प्रशांत, मध्य-पूर्व एवं पूर्वी अफ्रीका से जोड़ने वाला एक समुद्री मार्ग है जो पूरे यूरोप तक जाता है। अतः विकल्प (d) सही उत्तर है

प्रश्न: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) को चीन की बड़ी 'वन बेल्ट वन रोड' पहल के मुख्य उपसमुच्चय के रूप में देखा जाता है। CPEC का संक्षिप्त विवरण दीजिये और उन कारणों का उल्लेख कीजिये जिनकी वजह से भारत ने खुद को इससे दूर किया है। (मुख्य परीक्षा, 2018)

प्रश्न: चीन और पाकिस्तान ने आर्थिक गलियारे के विकास हेतु एक समझौता किया है। यह भारत की सुरक्षा के लिये क्या खतरा उत्पन्न करता है? समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2014)

प्रश्न: "चीन एशिया में संभावित सैन्य शक्ति की स्थिति विकसित करने के लिये अपने आर्थिक संबंधों और सकारात्मक व्यापार अधिशेष का उपयोग उपकरण के रूप में कर रहा है"। इस कथन के आलोक में भारत पर पड़ोसी देश के रूप में इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2017)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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