प्लास्टिक अपशिष्ट प्रदूषण चिंता का विषय | 22 Feb 2024

प्रिलिम्स के लिये:

नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), लोक लेखा समिति (PAC), विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR), प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016   

मेन्स के लिये:

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रदूषण तथा इसका पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव। 

स्रोत:टाइम्स ऑफ इंडिया 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक संसदीय पैनल ने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए देश में प्लास्टिक कचरे के अप्रभावी प्रबंधन पर चिंता जताई।

  • पैनल ने इस मुद्दे को संबोधित करने के लिये अपने शिथिल दृष्टिकोण के लिये केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की आलोचना की तथा साथ ही पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से समन्वय में सुधार करने एवं प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिये ठोस कदम उठाने का आग्रह किया।

PAC रिपोर्ट का निष्कर्ष क्या है?

  • मंत्रालय के प्रयासों की सराहना: लोक लेखा समिति (PAC) ने मई 2021 से प्लास्टिक कचरे पर मंत्रालय के प्रयासों को स्वीकार करने के साथ-साथ लोगों को प्लास्टिक प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिये और अधिक प्रभावी उपायों की आवश्यकता पर बल दिया।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन में वृद्धि: प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन वर्ष 2015-16 में 15.9 लाख टन प्रति वर्ष (TPA) से काफी हद तक बढ़कर वर्ष 2020-21 में 41.2 लाख TPA हो गया है।
  • अप्रयुक्त प्लास्टिक अपशिष्ट तथा पर्यावरणीय प्रभाव: वर्ष 2019-20 के आँकड़ों से पता चलता है कि देश में कुल प्लास्टिक कचरे का 50% (34.7 लाख TPA) अप्रयुक्त रह गया, जिससे यह वायु, जल एवं मृदा को प्रदूषित करता है और अंततः मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
  • डेटा अंतराल एवं विसंगतियाँ: PAC ने CAG के वर्ष 2022 ऑडिट निष्कर्षों से यह देखते हुए एक बड़ा डेटा अंतराल स्पष्ट किया कि कई राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) ने वर्ष 2016-18 की अवधि के लिये प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन पर डेटा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को उपलब्ध नहीं कराया था।
    • यह भी स्पष्ट किया गया कि SPCB से प्राप्त डेटा को CPCB द्वारा मान्य नहीं किया गया था और साथ ही कुछ मामलों में शहरी स्थानीय निकायों (ULB) द्वारा  SPCB के साथ साझा किये गए डेटा में विसंगतियाँ थीं।
  • प्लास्टिक के विकल्प खोजने का महत्त्व: इसमें पाया गया कि "प्लास्टिक का लागत प्रभावी एवं भरोसेमंद विकल्प ढूंढना" इसके उन्मूलन के लिये एक पूर्व शर्त थी।

प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम के लिये क्या उपाय किये गए हैं?

  • वैश्विक स्तर पर किये गए उपाय:
    • प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने का संकल्प:
      • वर्ष 2022 में भारत सहित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के 124 देशों ने प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लक्ष्य के साथ विधिक रूप से बाध्यकारी समझौता तैयार करने के लिये एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये।
    • क्लोज़िंग द लूप:
    • ग्लोबल टूरिज़्म प्लास्टिक्स इनिशिएटिव:
      • इस पहल का लक्ष्य वर्ष 2025 तक अभिकल्पित प्रतिबद्धताओं के माध्यम से पर्यटन क्षेत्र में प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना है।
    • यूरोपीय संघ:
      • यूरोपीय संघ (EU) ने जुलाई 2021 में, एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर दिशा-निर्देश जारी किये।
  • भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

PAC रिपोर्ट की अनुशंसाएँ क्या हैं?

  • विश्वसनीय डेटा मूल्यांकन का महत्त्व: डेटा में अंतराल को रेखांकित करते हुए, पैनल ने वातावरण में उत्पन्न होने वाले प्लास्टिक अपशिष्ट की मात्रा का "विश्वसनीय मूल्यांकन" करने की आवश्यकता व्यक्त की और कहा कि यह समस्या को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने की दिशा में पहला कदम होना चाहिये।
  • राष्ट्रीय डैशबोर्ड पर अनिवार्य रिपोर्टिंग: इसने राष्ट्रीय डैशबोर्ड पर ऑनलाइन डेटा की "अनिवार्य" रिपोर्टिंग की सिफारिश की।
  • प्रवर्तन के लिये तत्काल और प्रभावी उपाय: EPR के अलावा तत्काल और प्रभावी कदम, जिसमें पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों तथा SUP के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, विकल्प खोजने पर अनुसंधान एवं विकास कार्य के लिये धन उपलब्ध कराना, कार्यान्वयन एजेंसियों को जवाबदेह बनाना, पुनर्नवीनीकृत प्लास्टिक के उपयोग को बढ़ावा देना शामिल है। सामग्री और बढ़ती रीसाइक्लिंग सुविधाओं को "वास्तविक तौर पर SUP पर प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने" के लिये उठाए जा सकते हैं।
  • औद्योगिक प्रथाओं पर सतर्कता: यह देखने के लिये उद्योगों पर कड़ी नज़र रखने की आवश्यकता है कि क्या उन्हें वास्तव में संग्रह और पुनर्चक्रण की आवश्यकता है या इसके बदले वे झूठे दावे करते हैं।
  • बॉटम-अप दृष्टिकोण को अपनाना: बॉटम-अप दृष्टिकोण अपनाने की भी आवश्यकता है जहाँ देश के प्रत्येक ब्लॉक में कम-से-कम एक प्लास्टिक अपशिष्ट रीसाइक्लिंग इकाई होनी चाहिये।
  • उद्योग की भागीदारी को प्रोत्साहित करना: उद्योगों या निजी संस्थाओं को स्थानीय स्तर पर ऐसी इकाइयाँ स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये और बदले में उन्हें प्रभावी पारिश्रमिक उपायों के माध्यम से कचरा बीनने वालों के साथ मिलकर काम करना चाहिये।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB)

लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee- PAC)

  • PAC तीन वित्तीय संसदीय समितियों में से एक है, अन्य दो प्राक्कलन समिति और सार्वजनिक उपक्रम समिति हैं।
  • संसदीय समितियाँ अनुच्छेद 105 (संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों पर) और अनुच्छेद 118 (अपनी प्रक्रिया और कार्य संचालन को विनियमित करने के लिये नियम बनाने हेतु संसद के अधिकार पर) से अपना अधिकार प्राप्त करती हैं।
  • स्थापना:
  • नियुक्ति:
    • समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है।
      • गौरतलब है कि चूँकि यह समिति कार्यकारी निकाय नहीं है, अतः यह केवल ऐसे निर्णय ले सकती है जो सलाहकार प्रकृति के हों।
  • सदस्य:
    • इसमें वर्तमान में केवल एक वर्ष की अवधि के साथ 22 सदस्य (लोकसभा अध्यक्ष द्वारा चुने गए 15 सदस्य और राज्यसभा के सभापति द्वारा चुने गए 7 सदस्य) शामिल होते हैं।

EPR क्या है?

  • यह उत्पादकों को उनके जीवन चक्र के दौरान उनके उत्पादों के पर्यावरणीय प्रभावों के लिये ज़िम्मेदार बनाता है।
  • EPR का उद्देश्य बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देना और नगरपालिकाओं पर बोझ कम करना है।
  • यह पर्यावरण की लागत को उत्पाद की कीमतों में एकीकृत करता है और पर्यावरण की दृष्टि से अच्छे उत्पादों के डिज़ाइन को प्रोत्साहित करता है।
  • EPR विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट पर लागू होता है, जिसमें प्लास्टिक अपशिष्ट, ई-अपशिष्ट और बैटरी अपशिष्ट शामिल है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न.1 भारत में निम्नलिखित में से किसमें एक महत्त्वपूर्ण विशेषता के रूप में 'विस्तारित उत्पादक दायित्त्व' आरंभ किया गया था? (2019)

(a) जैव चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन और हस्तन) नियम, 1998
(b) पुनर्चक्रित प्लास्टिक (निर्माण और उपयोग) नियम, 1999
(c) ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और हस्तन) नियम, 2011
(d) खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम, 2011

उत्तर: (c)


प्रश्न. 2 राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन. जी. टी.) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) से भिन्न है? (2018)

  1. एन.जी.टी. का गठन एक अधिनियम द्वारा किया गया है जबकि सी.पी.सी.बी. का गठन सरकार के कार्यपालक आदेश से किया गया है।
  2. एन.जी.टी. पर्यावरणीय न्याय उपलब्ध कराता है और उच्चतर न्यायालयों में मुकदमों के भार को कम करने में सहायता करता है जबकि सी.पी.सी.बी. झरनों तथा कुँओं की सफाई को प्रोत्साहित करता है एवं देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार लाने का लक्ष्य रखता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c)
1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)