SSLV विकास परियोजना का समापन | 21 Aug 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) की तीसरी विकासात्मक उड़ान सफलतापूर्वक प्रक्षेपित की।
- इसने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह EOS-08 को कक्षा में सटीक रूप से स्थापित किया, साथ ही इसरो/अंतरिक्ष विभाग की SSLV विकास परियोजना के पूरा होने का भी संकेत दिया।
SSLV के संदर्भ में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- इसरो का SSLV एक तीन-चरणीय प्रक्षेपण यान है, जिसे तीन ठोस प्रणोदन चरणों (Solid Propulsion Stages) के साथ अभिकल्पित (design) किया गया है।
- इसमें एक टर्मिनल चरण के रूप में द्रव प्रणोदन-आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (Velocity Trimming Module -VTM) भी है, जो उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के लिये वेग को समायोजित करने में सहायता करता है।
- इसरो का SSLV एक तीन-चरणीय प्रक्षेपण यान है, जिसे तीन ठोस प्रणोदन चरणों (Solid Propulsion Stages) के साथ अभिकल्पित (design) किया गया है।
- SSLV की आवश्यकता:
- SSLV का लक्ष्य कम लागत वाले प्रक्षेपण यान बनाना है, जिनका निर्माण शीघ्र हो तथा जिनके लिये न्यूनतम बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता हो।
- SSLV मिनी, माइक्रो या नैनोसैटेलाइट (10 से 500 किलोग्राम वजन) को 500 किलोमीटर की कक्षा में लॉन्च करने में सक्षम है।
- व्यवसायों, सरकारी एजेंसियों, विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं द्वारा उपग्रह प्रक्षेपण के लिये छोटे पेलोड की आवश्यकता होती है।
- न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) इसरो की वाणिज्यिक शाखा है, जिसका प्राथमिक दायित्व भारतीय उद्योगों को उन्नत प्रौद्योगिकी अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियाँ शुरू करने में सुविधा प्रदान करना है।
- SSLV के लाभ:
- इसे एकीकृत करने में केवल 72 घंटे लगते हैं, जबकि ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle- PSLV) और भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (Geosynchronous Satellite Launch Vehicles- GSLV) को 70 दिन लगते हैं।
- यह एक ऑन-डिमांड वाहन है। इस कार्य को जल्दी पूरा करने के लिये केवल छह लोगों की आवश्यकता है और इसकी लागत करीब 30 करोड़ रुपए है।
PSLV और GSLV क्या हैं?
- PSLV: यह भारतीय उपग्रह प्रक्षेपण यानों की तीसरी पीढ़ी है।
- पहली बार इसका प्रयोग वर्ष 1994 में किया गया था जिसके बाद 50 से अधिक सफल PSLV प्रक्षेपण हो चुके हैं।
- इसे लगातार विभिन्न उपग्रहों को उच्च सफलता दर के साथ निम्न पृथ्वी कक्षाओं (2,000 किमी. से कम ऊँचाई) में प्रक्षेपित करने के लिये ‘ISRO का वर्कहॉर्स’ भी कहा जाता है।
- इसने दो अंतरिक्ष यान ‘चंद्रयान-1’ (वर्ष 2008 में) और ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन’ (वर्ष 2013 में)" सफलतापूर्वक लॉन्च किये।
- यह 600 किमी. की ऊँचाई के सूर्य-तुल्यकाली ध्रुवीय कक्षाओं (SSPO) में 1,750 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है।
- SSPO सूर्य के साथ समकालिक है यानी ये प्रतिदिन एक ही स्थानीय समय पर पृथ्वी क्षेत्र से गुजरते हैं।
- पहली बार इसका प्रयोग वर्ष 1994 में किया गया था जिसके बाद 50 से अधिक सफल PSLV प्रक्षेपण हो चुके हैं।
- GSLV: इसे उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में लॉन्च करने के लिये ISRO द्वारा विकसित तथा संचालित किया गया है।
- GTO एक दीर्घवृत्ताकार कक्षा है, जिसमें कोई अंतरिक्षयान पृथ्वी के चारों ओर स्थित भू- तुल्यकालिक कक्षा या भू-स्थिर कक्षा में जाने से पूर्व प्रवेश करता है।
- GSLV एक तीन चरण वाला प्रक्षेपण यान है।
- पहले चरण में सॉलिड बूस्टर, दूसरे चरण में एक लिक्विड इंजन और तीसरे चरण में क्रायोजेनिक प्रणोदक ले जाने वाला स्वदेशी रूप से निर्मित क्रायोजेनिक अपर स्टेज (CUS) शामिल है।
न्यू-स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL)
- NSIL भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है, जो अंतरिक्ष विभाग (Department of Space: DOS) के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
- NSIL के प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों में शामिल हैं:
- उद्योग के लिये ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) और लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) का निर्माण।
- अंतरिक्ष आधारित सेवाओं का निर्माण और विपणन, जिसमें प्रक्षेपण सेवाएँ तथा अंतरिक्ष आधारित अनुप्रयोग जैसे ट्रांसपोंडर लीजिंग, रिमोट सेंसिंग एवं मिशन सहायता सेवाएँ शामिल हैं।
- उपयोगकर्त्ता की आवश्यकताओं के अनुसार उपग्रहों (संचार और पृथ्वी अवलोकन दोनों) का निर्माण।
- ISRO केंद्रों/इकाइयों और अंतरिक्ष विभाग के संस्थानों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण।
और पढ़ें: भारतीय अंतरिक्ष स्थिति आकलन रिपोर्ट 2023, भारत के अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान की मांग और आपूर्ति, अंतरिक्ष पर्यटन
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किन कार्यकलापों में भारतीय दूर संवेदन (IRS) उपग्रहों का प्रयोग किया जाता है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रमोचित करने वाले वाहनों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |