प्रतिस्पर्द्धी और सहकारी संघवाद | 12 Feb 2025
प्रिलिम्स के लिये:प्रतिस्पर्द्धी और सहकारी संघवाद, वित्त आयोग (FC), वस्तु एवं सेवा कर (GST), सातवीं अनुसूची, अंतर्राज्यीय परिषद, क्षेत्रीय परिषद, NMM, IIPDF, B-READY कार्यक्रम, GST परिषद। मेन्स के लिये:भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने में प्रतिस्पर्द्धी और सहकारी संघवाद की भूमिका। |
स्रोत: बिज़नेस लाइन
चर्चा में क्यों?
सरकार ने प्रतिस्पर्द्धी एवं सहकारी संघवाद तथा इसके लाभों को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न पहलों पर ज़ोर दिया है।
प्रतिस्पर्द्धी एवं सहकारी संघवाद क्या है?
- प्रतिस्पर्द्धी संघवाद:
- परिचय: यह निवेश आकर्षित करने, शासन में सुधार करने और सेवाओं को बढ़ाने के लिये क्षैतिज (राज्य-राज्य) और ऊर्ध्वाधर (केंद्र-राज्य) प्रतिस्पर्द्धा की एक प्रणाली है।
- कार्यान्वयन: 15 वें वित्त आयोग (FC) ने राज्य के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिये कर और राजकोषीय प्रयास जैसे संकेतक पेश किये हैं, जो धन आवंटन निर्धारित करते हैं।
- राज्य-स्तरीय सुधार: केंद्रीय योजनाओं के साथ-साथ संचालित होने वाली राज्य-विशिष्ट कल्याणकारी योजनाओं के उदाहरणों में शामिल हैं:
- रायथु बंधु (तेलंगाना): किसानों के लिये प्रत्यक्ष आय सहायता योजना।
- कालिया (ओडिशा): यह केंद्रीय PM किसान योजना की पूरक किसान सहायता योजना है।
- वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन: वैश्विक निवेश आकर्षित करने पर केंद्रित।
- सहकारी संघवाद:
- विषय में: यह प्रभावी शासन, संतुलित विकास और साझा सर्वोत्तम प्रथाओं के लिये केंद्र-राज्य सहयोग को बढ़ावा देता है।
- कार्यान्वयन: वित्त आयोग का प्रदर्शन-आधारित निधि आवंटन राज्यों को राष्ट्रीय सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- प्रमुख उदाहरणों में वस्तु एवं सेवा कर (GST), आयुष्मान भारत और PM-किसान शामिल हैं, जिनमें केंद्र-राज्य सहयोग की आवश्यकता होती है।
- अखिल भारतीय सेवाएँ (IAS और IPS) राज्यों में एक समान शासन संरचना को सक्षम बनाती हैं।
- राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 ने क्षेत्रीय सहयोग के लिये पाँच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की, जिससे अंतर-राज्यीय मुद्दों पर चर्चा में सुविधा हुई।
- संवैधानिक प्रावधान:
- सातवीं अनुसूची: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची प्रभावी शासन के लिये केंद्र और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों को विभाजित करती है।
- फुल फेथ एंड क्रेडिट क्लॉज (अनुच्छेद 261): यह राज्यों में सार्वजनिक कृत्यों, अभिलेखों और न्यायिक कार्यवाहियों की मान्यता सुनिश्चित करता है, तथा कानूनी और प्रशासनिक एकरूपता को बढ़ावा देता है।
- अंतर्राज्यीय परिषद (ISC): अनुच्छेद 263 के तहत स्थापित ISC अंतर-सरकारी विवादों को सुलझाती है और सरकारिया आयोग की सिफारिशों के अनुसार 28 मई 1990 को इसे एक स्थायी निकाय बना दिया गया।
- अंतर-राज्यीय जल विवाद (अनुच्छेद 262): संसद को अंतर्राज्यीय जल विवादों पर निर्णय लेने का अधिकार है।
प्रतिस्पर्द्धी और सहकारी संघवाद के क्या लाभ हैं?
- प्रतिस्पर्द्धी संघवाद:
- आर्थिक दक्षता: यह राज्यों को उनकी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप नीतियाँ तैयार करने की अनुमति देता है, जिससे निवेश, रोज़गार सृजन और समग्र आर्थिक विकास में वृद्धि होती है।
- नीतिगत नवप्रवर्तन: राज्य शासन मॉडल, विनियामक ढाँचे और सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणालियों के साथ प्रयोग करके प्रतिस्पर्द्धा करते हैं, जिससे नवीन नीति समाधान और सर्वोत्तम प्रथाओं का विकास होता है।
- राजकोषीय अनुशासन: यह राजकोषीय अनुशासन को मज़बूत करता है, क्योंकि राज्यों को व्यवसायों और निवेशकों को आकर्षित करने के लिये व्यय प्रबंधन के साथ राजस्व सृजन को संतुलित करना चाहिये, जिससे ज़िम्मेदार राजकोषीय नीतियाँ सुनिश्चित हो सकें।
- सार्वजनिक सेवा की गुणवत्ता: राज्यों के बीच प्रतिस्पर्द्धा उन्हें कुशल श्रमिकों और व्यवसायों को बनाए रखने के लिये बुनियादी ढाँचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अन्य आवश्यक सेवाओं जैसी सार्वजनिक सेवा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिये प्रेरित करती है।
- सहकारी संघवाद:
- संतुलित क्षेत्रीय विकास: यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने और राज्यों में समान विकास सुनिश्चित करने में मदद करता है।
- संसाधन साझाकरण को सुगम बनाना: बुनियादी ढाँचे, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में संयुक्त पहल से संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित होता है तथा प्रयासों के अनावश्यक दोहराव को रोका जा सकता है।
प्रतिस्पर्द्धी और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न पहल क्या हैं?
- प्रतिस्पर्द्धी संघवाद:
- निवेश अनुकूलता सूचकांक (IFI): राज्यों के निवेश आकर्षण का आकलन करने के लिये एक पारदर्शी बेंचमार्क प्रदान करने हेतु IFI को वर्ष 2025 में लॉन्च किया जाएगा।
- सार्वजनिक रैंकिंग और रैंकिंग को वित्तीय पहुँच से जोड़ने से प्रतिष्ठा संबंधी प्रोत्साहन, शासन को बढ़ाने के लिये चुनावी और आर्थिक दबाव उत्पन्न होगा।
- PPP प्रोजेक्ट पाइपलाइन: बजट 2025-26 में मंत्रालयों और राज्यों को तीन वर्षीय PPP परियोजनाओं की योजना बनाने की आवश्यकता है, जिससे बुनियादी ढाँचे के लिये निजी क्षेत्र के निवेश को कुशलतापूर्वक आकर्षित करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिलेगा।
- व्यवसाय सुधार कार्य योजना (BRAP): BRAP रैंकिंग और कार्यान्वयन के माध्यम से राज्य स्तरीय व्यवसाय सुधारों को आगे बढ़ाती है।
- वर्ष 2024 BRAP अनुपालन में कमी, गैर-अपराधीकरण और विश्व बैंक के B-READY कार्यक्रम के साथ संरेखण पर ज़ोर देगा।
- वित्त आयोग (FC): FC शासन, राजकोषीय अनुशासन और आर्थिक प्रदर्शन को प्रोत्साहित करते हुए न्यायसंगत वित्तीय वितरण सुनिश्चित करके सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद को बढ़ावा देता है।
- निवेश अनुकूलता सूचकांक (IFI): राज्यों के निवेश आकर्षण का आकलन करने के लिये एक पारदर्शी बेंचमार्क प्रदान करने हेतु IFI को वर्ष 2025 में लॉन्च किया जाएगा।
- सहकारी संघवाद:
- राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन (NMM): NMM व्यापार करने में आसानी, बुनियादी ढाँचे और निवेश आकर्षण में राज्य प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने के लिये एक एकीकृत नीति ढाँचा, कार्यान्वयन रोडमैप और शासन तंत्र प्रदान करता है।
- भारत अवसंरचना परियोजना विकास निधि (IIPDF): IIPDF वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करके सहकारी संघवाद को बढ़ावा देता है, तथा यह सुनिश्चित करता है कि सभी वित्तीय क्षमता वाले राज्य राष्ट्रीय अवसंरचना विकास में समान रूप से योगदान कर सकें।
भारत में प्रतिस्पर्द्धी और सहकारी संघवाद में क्या चुनौतियाँ हैं?
- प्रतिस्पर्द्धी संघवाद:
- अर्द्ध-संघवाद: संघ अवशिष्ट सूची और समवर्ती सूची में वरीयता के माध्यम से अधिक विधायी शक्तियाँ रखता है, जो अक्सर राज्य प्राधिकरण को दरकिनार कर देता है तथा परस्पर विरोधी संघवाद का निर्माण करता है।
- कराधान विवाद: संवैधानिक प्रावधानों के कारण, जो केंद्र को धन के आवंटन पर अधिक अधिकार प्रदान करते हैं, अधिकांश कर विवादों का निपटारा उसके पक्ष में हुआ है।
- GST से राज्य की कराधान शक्तियाँ कम होने के साथ चुंगी, विलासिता और मनोरंजन कर समाप्त हुए हैं।
- अनियंत्रित प्रतिस्पर्द्धा: भारत में सब्सिडी में प्रतिस्पर्द्धा देखी जाती है। राज्य बहुत अधिक सब्सिडी के माध्यम से एक-दूसरे को नुकसान पहुँचाते हैं जबकि नौकरशाही बाधाओं से सुधार अप्रभावी बने रहते हैं।
- अनियंत्रित प्रतिस्पर्द्धा के क्रम में अत्यधिक कर छूट, राजकोषीय कुप्रबंधन एवं सब्सिडी पर निर्भरता बढ़ने से स्थिरता को खतरा हो सकता है।
- वित्त आयोग और GST परिषद के बीच टकराव: अनुच्छेद 269A(1) के तहत GST परिषद को अंतर-राज्यीय व्यापार के लिये कर-साझाकरण की सिफारिश करने का अधिकार मिलता है, लेकिन अनुच्छेद 270(1A) और 270(2) में कहा गया है कि GST कानूनों के तहत लगाए गए करों को वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार साझा किया जाएगा, न कि GST परिषद के अनुसार।
- इससे सहकारी संघवाद (GST) और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद (FC) दोनों में असंतुलन पैदा होता है।
- सहकारी संघवाद:
- केंद्रीय कर राजस्व का असमान वितरण: पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों का तर्क है कि समान वित्तपोषण से आर्थिक असमानताओं की अनदेखी होती है तथा वे विकास और निवेश के लिये विशेष वित्तीय सहायता की मांग करते हैं।
- बेहतर बुनियादी ढाँचे, कुशल श्रम एवं पूंजी के कारण धनी राज्यों में अधिक निवेश आकर्षित होता है जबकि कमज़ोर राज्य इसमें पीछे रह जाते हैं।
- केंद्रीय कर राजस्व का असमान वितरण: पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों का तर्क है कि समान वित्तपोषण से आर्थिक असमानताओं की अनदेखी होती है तथा वे विकास और निवेश के लिये विशेष वित्तीय सहायता की मांग करते हैं।
आगे की राह
- नीति आयोग की भूमिका का विस्तार करना: नीति आयोग को सूक्ष्म स्तर पर योजना बनाने को प्राथमिकता देनी चाहिये तथा क्षेत्रीय आर्थिक असमानताओं को प्रभावी ढंग से दूर करने के लिये राज्यों के साथ सहयोग करना चाहिये।
- राज्य, स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप नीतियाँ बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने के लिये नीति आयोग के अनुरूप अपनी संस्थाएँ स्थापित कर सकते हैं।
- ISC को मज़बूत करना: कराधान, संसाधन-साझाकरण और शासन संबंधी विवादों को सुलझाने के लिये ISC को एक स्थायी निकाय बनाना चाहिये। WTO दायित्वों, संधियों और अंतर-राज्य व्यापार में राज्यों का दृष्टिकोण शामिल किया जाना चाहिये।
- आर्थिक असमानताओं का समाधान करना: नीतियों को इस तरह से तैयार किया जाना चाहिये कि राज्यों की विशिष्ट आर्थिक शक्तियों और कमज़ोरियों पर विचार किया जा सके।
- उदाहरण के लिये, झारखंड को खनन एवं विनिर्माण निवेश आकर्षित करना चाहिये जबकि केरल को उच्च स्तरीय सेवा उद्योग पर बल देना चाहिये।
- परिषदों को मज़बूत करना: कर-साझाकरण संबंधी विवादों से बचने के लिये वित्त आयोग एवं GST परिषद की स्पष्ट भूमिका की आवश्यकता है। इसके साथ ही न्यायपालिका को केंद्र-राज्य संबंधों में निष्पक्षता सुनिश्चित करनी चाहिये।
- FC द्वारा सशर्त अनुदान ढाँचे को लागू करके अनावश्यक मुफ्त सुविधाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत में प्रतिस्पर्द्धी और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के लिये नीतिगत उपाय बताइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)मेन्सप्रश्न: आपके विचार में सहयोग, स्पर्द्धा एवं संघर्ष ने भारत में संघीय व्यवस्था को किस सीमा तक आकार दिया है? अपने उत्तर को प्रमाणित करने के लिये कुछ हालिया उदाहरण उद्धृत कीजिये। (2020) |