तटीय क्षरण | 06 Dec 2023
प्रिलिम्स के लिये: राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र, समुद्री प्रदूषण, तटीय प्रक्रियाएँ और खतरे, तटीय आवास और पारिस्थितिकी तंत्र, समुद्र-स्तर में वृद्धि, आपदा प्रबंधन, तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजनाएँ, बाढ़ प्रबंधन योजना, तटीय प्रबंधन सूचना प्रणाली मेन्स के लिये: तटीय क्षरण और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर इसका प्रभाव |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (NCCR) द्वारा संचालित वर्ष 1990 से वर्ष 2016 तक बहु-वर्णक्रमीय उपग्रह चित्रों तथा क्षेत्र-सर्वेक्षण डेटा से संपूर्ण भारतीय तटरेखा में हुए परिवर्तन पर अंतर्दृष्टि साझा की।
- NCCR, भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है जिसे केंद्रीय डोमेन के तहत सभी बहु-विषयक अनुसंधान करने के लिये अनिवार्य किया गया है जिनमें समुद्री प्रदूषण, तटीय प्रक्रियाएँ और खतरे, तटीय आवास तथा पारिस्थितिकी तंत्र एवं क्षमता निर्माण व प्रशिक्षण शामिल हैं।
तटीय क्षरण के संबंध में NCCR की प्रमुख टिप्पणियाँ क्या हैं?
- प्राकृतिक कारणों अथवा मानवजनित गतिविधियों के कारण भारत की तटरेखा के कुछ हिस्से विभिन्न डिग्री के क्षरण के अधीन हैं।
- तटरेखा विश्लेषण से पता चलता है कि 34% तट का क्षरण हो रहा है, 28% साथ-साथ बढ़ भी रहा है तथा 38% स्थायी स्थिति में है।
- राज्य-वार विश्लेषण से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल (63%) तथा पांडिचेरी (57%) तटों पर क्षरण 50% से अधिक है जिसके बाद केरल (45%) एवं तमिलनाडु (41%) हैं।
- ओडिशा (51%) एकमात्र तटीय राज्य है जहाँ 50% से अधिक अभिवृद्धि देखी गई है।
- तटरेखा के पीछे हटने के कारण भूमि/आवास और मछुआरों की आजीविका को नुकसान होगा, साथ ही नावों को खड़ा करने, जाल सुधारने तथा मछली पकड़ने जैसी गतिविधियों के लिये जगह नहीं बचेगी।
तटीय कटाव से निपटने हेतु क्या सरकारी उपाय किये गए हैं?
- खतरे की रेखा: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने देश के तटों के लिये खतरे की रेखा का निर्धारण किया है।
- खतरे की रेखा जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि सहित तटरेखा परिवर्तन का संकेत है।
- इस लाइन का उपयोग तटीय राज्यों में एजेंसियों द्वारा अनुकूली और शमन उपायों की योजना सहित आपदा प्रबंधन के लिये एक उपकरण के रूप में किया जाना है।
- तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजनाएँ: MoEFCC द्वारा अनुमोदित तटीय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की नई तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजनाओं में खतरे की रेखा शामिल है।
- तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना, 2019: MoEFCC ने तटीय हिस्सों, समुद्री क्षेत्रों के संरक्षण और सुरक्षा तथा मछुआरों एवं अन्य स्थानीय समुदायों के लिये आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना, 2019 को अधिसूचित किया है।
- हालाँकि तटीय नियम तट पर कटाव/क्षरण नियंत्रण उपाय सुनिश्चित करने की अनुमति देते हैं।
- नो डेवलपमेंट ज़ोन (NDZ): अधिसूचना भारत के समुद्र तट को अतिक्रमण और क्षरण से बचाने के लिये तटीय क्षेत्रों की विभिन्न श्रेणियों के साथ NDZ का भी प्रावधान करती है।
- बाढ़ प्रबंधन योजना: यह योजना जल शक्ति मंत्रालय की है, जिसमें राज्यों की प्राथमिकताओं के अनुसार राज्य सरकारों द्वारा अपने स्वयं के संसाधनों के साथ समुद्री क्षरण-प्रतिरोधी योजनाओं की योजना और कार्यान्वयन शामिल है।
- केंद्र सरकार राज्यों को तकनीकी, सलाहकारी, उत्प्रेरक और प्रचारात्मक सहायता प्रदान करती है।
- तटीय प्रबंधन सूचना प्रणाली (CMIS):
- इसे केंद्रीय क्षेत्र योजना ‘जल संसाधन सूचना प्रणाली के विकास’ के तहत शुरू किया गया है।
- CMIS एक डेटा संग्रह गतिविधि है किजिसके तहत निकट समुद्र तटीय क्षेत्र का डेटा इकट्ठा करना शामिल है, इसका उपयोग सुभेद्य तटीय हिस्सों में साइट विशिष्ट तटीय सुरक्षा संरचनाओं की योजना, डिज़ाइन, निर्माण और रखरखाव में किया जा सकता है।
- समुद्र तटीय क्षरण का शमन: ये उपाय पुद्दुचेरी और केरल के चेल्लानम में किये गए हैं, जिससे पुद्दुचेरी में क्षरित तटीय क्षेत्रों और चेल्लानम में बाढ़ के कारण नष्ट हुए मत्स्यन वाले गाँव के तटीय क्षेत्रों की बहाली और सुरक्षा में मदद मिली।
- सुभेद्य हिस्सों में तटीय सुरक्षा उपायों के डिज़ाइन और तटरेखा प्रबंधन योजनाओं की तैयारी में तटीय राज्यों को तकनीकी सहायता प्रदान की गई है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में मृदा अपक्षय समस्या निम्नलिखित में से किससे/किनसे संबंधित है/हैं? 1. वेदिका कृषि नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b)
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