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जैव विविधता और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन और टिड्डियों का पर्याक्रमण

  • 12 Nov 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन, चक्रवात, विश्व बैंक, विश्व खाद्य कार्यक्रम  

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन और टिड्डियों के पर्याक्रमण में संबंध 

चर्चा में क्यों? 

रेगिस्तानी टिड्डियों (Desert Locusts) का पर्याक्रमण (Infestation) या हमला, जिसने हाल के वर्षों में पूर्वी अफ्रीका से लेकर भारत तक बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है, जलवायु परिवर्तन से निकटता से जुड़ा हुआ है।

  • इस संदर्भ में ग्लोबल लैंडस्केप्स फोरम क्लाइमेट हाइब्रिड कॉन्फ्रेंस (Global Landscapes Forum Climate Hybrid Conference) द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव में  जलवायु परिवर्तन को कम करने की योजनाओं में कीटों और बीमारियों के खिलाफ कार्रवाई को शामिल किये जाने की बात भी कही गई है।
  • यह सम्मेलन हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के 26वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ के साथ आयोजित किया गया था।

वैश्विक परिदृश्य फोरम:

  • वैश्विक परिदृश्य फोरम (Global Landscapes Forum- GLF)  भूमि के एकीकृत उपयोग हेतु विश्व का सबसे बड़ा ज्ञान आधारित मंच है, जो सतत् विकास लक्ष्यों और पेरिस जलवायु समझौते के प्रति समर्पित है।
  • इसका नेतृत्व सेंटर फॉर इंटरनेशनल फॉरेस्ट्री रिसर्च (Center for International Forestry Research- CIFOR) द्वारा इसके सह-संस्थापक संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, विश्व बैंक तथा चार्टर सदस्यों के सहयोग से किया जाता है।

प्रमुख बिंदु 

  • टिड्डियों का हमला और उसका प्रभाव:
    •  रेगिस्तानी टिड्डी के बारे में: रेगिस्तानी टिड्डी ( शिस्टोसेर्का ग्रेगेरिया) एक छोटे सींग वाली टिड्डी होती है।
      • जब ये एकांत में होती हैं तो कोई नुकसान नहीं करती लेकिन जिस समय  टिड्डियों की आबादी तेज़ी से बढ़ती है तो इनके व्यवहार में बदलाव आता है।
      • ये विशाल झुंड बनाकर 'ग्रेगियस फेज़' (Gregarious Phase) में प्रवेश करती हैं, जो प्रतिदिन 150 किमी. तक की यात्रा कर सकती हैं और अपने रास्ते में आने वाली फसल को खा जाती हैं।
    • प्रभाव: टिड्डियों का पर्याक्रमण आजीविका को नुकसान पहुंँचा सकता है और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में क्षेत्रीय निवेश के लिये खतरनाक साबित हो सकता है।
      • विश्व बैंक के अनुसार: वर्ष 2020 में अकेले पूर्वी अफ्रीका और यमन में टिड्डियों के कारण 8.5 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।
      • विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार: यदि झुंड की वृद्धि को नियंत्रित नहीं किया गया तो दीर्घकालिक प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति लागत 1 बिलियन डाॅलर से अधिक हो सकती है।
  • टिड्डियों का प्रजनन और जलवायु परिवर्तन से संबंध:
    • प्रभावित क्षेत्र: टिड्डियांँ खासतौर पर भारत, पाकिस्तान और ईरान समेत कई देशों के किसानों के लिये एक अभिशाप साबित हुई हैं।
    • जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: वर्ष 2020 में अरब सागर के ऊपर चक्रवाती पैटर्न में बदलाव का कारण पूर्वी अफ्रीका, पश्चिम और दक्षिण एशिया में टिड्डियों का पर्याक्रमण है।
      • ईरान में असामान्य वर्षा ने उनके प्रजनन में मदद की है।
      • टिड्डियों को निष्क्रिय उड़ने वाले के रूप में जाना जाता है और आमतौर पर ये हवा का अनुसरण करती हैं।
      • इन्हें उड़ान भरने के लिये पछुआ हवाओं से सहायता मिली है, जो बंगाल की खाड़ी में चक्रवात अम्फान (2019) के कारण बने कम दबाव के क्षेत्र से और अधिक मज़बूत हुई है।

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  • कीटनाशक उपयुक्त समाधान नहीं है:
    • व्यापक स्पेक्ट्रम वाले कीटनाशकों के भारी उपयोग से रेगिस्तानी टिड्डियों के आक्रमण को अवरुद्ध तो किया जा सकता है परंतु ये पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव भी डालते हैं।
      • कीटनाशक परागणकों और वन्यजीवों के लिये खतरा हैं।
      • व्यापक स्पेक्ट्रम कीटनाशक एक शक्तिशाली कीटनाशक है जो जीवों के पूरे समूह या प्रजातियों को लक्षित करता है और आमतौर पर पौधों के लिये हानिकारक होते हैं।
    • खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, मार्च 2021 तक पूर्वी अफ्रीका में टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिये 1.8 मिलियन लीटर कीटनाशकों का इस्तेमाल किया गया था। यह वर्ष 2021 के अंत तक बढ़कर दो मिलियन लीटर से अधिक हो सकता है।
      • उदाहरण के लिये मैलाथियान (Malathion) और क्लोरपाइरीफोस Chlorpyrifos) जैसे ऑर्गनोफॉस्फेट पेस्टीसाइड (Organophosphate Pesticides) या कीटनाशक मनुष्यों एवं जानवरों के लिये अत्यधिक ज़हरीले होते हैं।

आगे की राह:

  • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: उपग्रह और मौसम डेटा का क्षेत्र अवलोकन के साथ प्रजनन स्थलों पर कुशल शासन मॉडल बनाने के लिये उपयोग किया जा सकता है।
  • सही लागत लेखांकन: सही लागत लेखांकन के माध्यम से पर्यावरण और मानवीय लागतों की गणना करना।
    • सही लागत लेखांकन एक नए प्रकार की बहीखाता पद्धति है जो न केवल किसी कंपनी के भीतर सामान्य वित्तीय मूल्यों को देखती है, बल्कि प्राकृतिक और सामाजिक पूंजी पर प्रभावों की गणना भी करती है।
  • एक कुशल नियंत्रित मॉडल विकसित करना: टिड्डियों के हमले पर नियंत्रण पाना कृषि-खाद्य प्रणाली के लिये उपयोगी साबित हो सकता है।
    • किसानों और स्थानीय समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें निर्णय लेने में शामिल करने की आवश्यकता है।
  • अनुसंधान के लिये धन जुटाना: जैव कीटनाशकों के अनुसंधान के लिये निधि प्रदान करना आवश्यक है जो कि वर्तमान में बेहद कम है।
    • टिड्डियों के हमलों को रोकने के लिये ज़िम्मेदार संगठनों को गंभीर वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
    • फरवरी 2020 में पूर्वी अफ्रीका में टिड्डियों के प्रकोप से निपटने के लिये FAO को $138 मिलियन की आवश्यकता थी। संगठन को दानदाताओं से केवल $33 मिलियन प्राप्त हुए।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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