जैव विविधता और पर्यावरण
कॉन्फ्रेंस ऑफ़ पार्टीज़ (COP) का 25वाँ सत्र संपन्न
- 16 Dec 2019
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प्रीलिम्स के लिये:
COP-25
मेन्स के लिये:
COP-25 तथा संबंधित तथ्य
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क (United Nations Framework Convention on Climate Change- UNFCCC) के अंतर्गत शीर्ष निकाय कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP) के 25वें सत्र का आयोजन 2-13 दिसंबर, 2019 तक स्पेन की राजधानी मैड्रिड (Madrid) में किया गया।
मुख्य बिंदु:
- स्पेन में आयोजित इस सम्मेलन की अध्यक्षता चिली सरकार द्वारा की गई क्योंकि चिली ने देश में आंतरिक कारणों के चलते विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए इस सम्मेलन के आयोजन में असमर्थता जताई थी।
- यह जलवायु वार्ता जलवायु परिवर्तन के एजेंडे में शामिल महत्त्वपूर्ण मुद्दों के बारे में बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई।
COP-25 में उठाए गए कदम:
- COP-25 के अंत में लगभग 200 देशों के प्रतिनिधियों ने उन गरीब देशों की मदद करने के लिए एक घोषणा का समर्थन किया जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से जूझ रहे हैं, हालाँकि उन्होंने ऐसा करने के लिये किसी धन का आवंटन नहीं किया।
- COP-25 की अंतिम घोषणा में 2015 के ऐतिहासिक पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप पृथ्वी पर वैश्विक तापन के लिये उत्तरदायी ग्रीनहाउस गैसों में कटौती के लिये "तत्काल आवश्यकता" का आह्वान किया गया।
- वार्ताकारों ने वर्ष 2020 में ग्लासगो में होने वाले COP-26 के लिये कई जटिल मुद्दों को अनुत्तरित छोड़ दिया।
- इस वार्ता में विकासशील देशों द्वारा बढ़ते तापमान के कारण होने वाली हानि के लिये उत्तरदायित्त्व संबंधी मुद्दों पर ज़ोर दिया गया जिसका संयुक्त राज्य अमेरिका ने विरोध किया।
- पेरिस समझौते के अंतर्गत एक नए कार्बन बाज़ार के लिये नियमों को अगले वर्ष के लिये स्थानांतरित करने के साथ मैड्रिड वार्ता का कोई विशेष परिणाम प्राप्त नहीं हुआ।
- कुछ देश, विशेष रूप से बेहद संवेदनशील छोटे द्वीपीय देशों को वैश्विक तापन के चलते बढ़ते हुए समुद्र जल स्तर के कारण डूब जाने का डर है, उन्होंने सभी देशों को उनके द्वारा जलवायु कार्रवाई योजनाओं को अद्यतन करने के लिये की जा रही वास्तविक प्रक्रियाओं को प्रतिबिंबित करने पर ज़ोर दिया।
- इस तरह की मांगों का मुख्य रूप से चीन, भारत और ब्राज़ील जैसे बड़े विकासशील देशों ने विरोध करते हुए तर्क दिया कि किसी भी नई प्रतिबद्धता को तय करने से पहले विकसित देशों द्वारा अपने अतीत और वर्तमान में किये गए वादों को पूरा किया जाए।
- इन विकासशील देशों ने बार-बार इस ओर ध्यान दिलाया कि वर्तमान की यह स्थिति विकसित देशों द्वारा किये गए अंधाधुंध विकास का एक परिणाम है, जो वर्ष 2020 के पूर्व की अवधि के लिये तय अपने लक्ष्यों को पूरा नहीं कर रहे हैं।
- उन्होंने जलवायु कार्रवाई पर विकसित देशों के प्रदर्शन का आकलन करने की मांग की है, जिसमें उनका विकासशील देशों के लिये वित्त तथा प्रौद्योगिकी प्रदान करने का दायित्व भी शामिल है।
कॉन्फ्रेंस ऑफ़ पार्टीज़ (COP) क्या है?
- यह UNFCCC सम्मेलन का सर्वोच्च निकाय है।
- इसके तहत विभिन्न प्रतिनिधियों को सम्मेलन में शामिल किया गया है।
- यह हर साल अपने सत्र आयोजित करता है।
- COP, सम्मेलन के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक निर्णय लेता है और नियमित रूप से इन प्रावधानों के कार्यान्वयन की समीक्षा करता है।
पेरिस जलवायु समझौता:
- इस ऐतिहासिक समझौते को वर्ष 2015 में ‘जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन फ्रेमवर्क’ (UNFCCC) की 21वीं बैठक में अपनाया गया, जिसे COP-21 के नाम से जाना जाता है।
- इस समझौते को वर्ष 2020 से लागू किया जाना है। इसके तहत यह प्रावधान किया गया है कि सभी देशों को वैश्विक तापमान को औद्योगिकीकरण से पूर्व के स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ने देना है (दूसरे शब्दों में कहें तो 2 डिग्री सेल्सियस से कम ही रखना है) और 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिये सक्रिय प्रयास करना है।
- पहली बार विकसित और विकासशील देश दोनों ने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान (INDC) को प्रस्तुत किया, जो प्रत्येक देश का अपने स्तर पर स्वेच्छा से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये एक विस्तृत कार्रवाइयों का समूह है।