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भारतीय अर्थव्यवस्था

चीन का बदलता आर्थिक परिदृश्य

  • 05 Feb 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अपस्फीति, चीन की आर्थिक मंदी के कारण, सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक, डिकॉउलिंग, दक्षिण चीन सागर, शिनजियांग में उइगर, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन, IMEC गलियारा, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन

मेन्स के लिये:

चीन में आर्थिक चुनौतियों में योगदान देने वाले प्रमुख कारक, चीन में आर्थिक उथल-पुथल के बीच भारत का परिवर्तन।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

चर्चा में क्यों? 

चीन की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2023 में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसने तीन दशकों में सबसे धीमी विकास दर दर्ज की, क्योंकि यह गंभीर संपत्ति संकट, निष्क्रिय खपत, जनसांख्यिकीय रुझानों में बदलाव और वैश्विक उथल-पुथल से जूझ रही थी।

चीन में आर्थिक चुनौतियों में योगदान देने वाले प्रमुख कारक क्या हैं? 

  • आर्थिक स्थिति: चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (NBS) ने GDP में 5.2% की वृद्धि दर्ज की, जो वर्ष 2023 में 126 ट्रिलियन युआन तक पहुँच गई।
    • लक्ष्य को पार करने और वर्ष 2022 में दर्ज 3% से बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद, यह वृद्धि महामारी के वर्षों को छोड़कर, वर्ष 1990 के बाद से सबसे धीमे प्रदर्शन का प्रतिनिधित्व करती है।
    • लगातार तीन महीनों तक अपस्फीति ने आर्थिक प्रतिकूलताओं को बढ़ा दिया।
  • आर्थिक चुनौतियों में योगदान देने वाले कारक:
    • युवाओं के लिये नौकरियों की कमी: मई 2023 में 16 से 24 वर्ष के बीच के 5 में से 1 से अधिक व्यक्ति बेरोज़गार थे, जो युवाओं के लिये रोज़गार सृजन में चुनौतियों को उजागर करता है।
      • 15 से 59 वर्ष के बीच कामकाजी उम्र की आबादी, जिसे किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादक माना जाता है, अब कुल आबादी का 61% रह गई है।
    • जनसांख्यिकीय रुझान: चीन की जनसंख्या 2016 से घट रही है, जो कुल प्रजनन दर (TFR) में गिरावट और एक-बाल नीति की विरासत पर काबू पाने में चुनौतियों को दर्शाती है।
      • 3 बच्चों तक की अनुमति देने वाले नीतिगत बदलावों के बावजूद, जनसांख्यिकीय रुझान उलट नहीं हुआ है।
    • अस्थिर रियल एस्टेट बाज़ार: रियल एस्टेट बाज़ार, पारंपरिक रूप से चीन की अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता है, एवरग्रांडे और कंट्री गार्डन जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहा है।

वैश्विक संदर्भ में चीन से संबंधित अन्य चुनौतियाँ क्या हैं? 

  • पर्यावरणीय गिरावट: चीन विश्व में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है। वायु प्रदूषण चीन में प्रति वर्ष (WHO) लगभग 2 मिलियन मौतों के लिये ज़िम्मेदार है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंध: चल रहे व्यापार युद्ध, तकनीकी प्रभुत्व के लिये प्रतिस्पर्द्धा और मूल्यों में अंतर चीन तथा अमेरिका के बीच महत्त्वपूर्ण तनाव पैदा करते हैं, जिससे वैश्विक शक्ति संतुलन प्रभावित होता है।
    • अमेरिका और उसके सहयोगी सेमीकंडक्टर जैसे प्रमुख तकनीकी क्षेत्रों में चीन से तेज़ी से अलग हो रहे हैं।
  • दक्षिण चीन सागर विवाद: दक्षिण चीन सागर में चीन के क्षेत्रीय दावों का कई देशों ने विरोध किया है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और नेविगेशन की स्वतंत्रता को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
  • मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ: चीन को मानवाधिकार के मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय जाँच और आलोचना का सामना करना पड़ा है, विशेष रूप से शिनजियांग में उइगर जैसे जातीय अल्पसंख्यकों के उपचार के संबंध में।

चीन में आर्थिक उथल-पुथल के बीच भारत कैसे बदल रहा है?

  • जनसांख्यिकीय लाभ: अनुमान है कि वर्ष 2030 तक भारत की कामकाजी उम्र की आबादी कुल आबादी का 68.9% हो जाएगी, जो चीन की उम्रदराज़ आबादी के बिल्कुल विपरीत है।
  • विकसित हो रहा विनिर्माण और परिवहन परिदृश्य: इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन और दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा जैसे समर्पित औद्योगिक गलियारे जैसी पहल बुनियादी ढाँचे को मज़बूत कर रहे हैं तथा भारत में निवेश आकर्षित कर रहे हैं।
    • Apple का एक प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता फॉक्सकॉन, iPhone उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा चीन से भारत में स्थानांतरित कर रहा है।
  • व्यवसाय-अनुकूल वातावरण: मेक इन इंडिया और उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना जैसे कार्यक्रम व्यवसायों के लिए महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान करते हैं।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स के लिये PLI योजना ने सैमसंग, पेगाट्रॉन, राइजिंग स्टार और विस्ट्रॉन जैसे प्रमुख खिलाड़ियों को सफलतापूर्वक आकर्षित किया है।
  • संपन्न घरेलू बाज़ार: विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (नाममात्र GDP के अनुसार) के रूप में, भारत स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं के लिये महत्त्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है, जो बहुराष्ट्रीय निगमों को भारत को अपनी उत्पादन प्रक्रियाओं में एकीकृत करने हेतु आकर्षित करता है।
    • उदाहरण के लिये, H&M, भारतीय परिधान निर्माताओं से स्रोत है।
  • स्थिरता तथा ESG पर ज़ोर: वर्ष 2030 तक 50% नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ भारत हरित विनिर्माण के लिये प्रतिबद्ध कंपनियों को आकर्षित कर रहा है।
    • उदाहरण हेतु टेस्ला की योजना वर्ष 2024 में भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाज़ार में प्रवेश करने की है।
  • वैश्विक मान्यता और निर्भरता: IMEC कॉरिडोर में भारत की सदस्यता तथा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में इसका नेतृत्व भारत को एक विश्वसनीय निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित कर रहा है एवं इसकी वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ा रहा है।

भारत की प्रगति में बाधा उत्पन्न करने वाली चुनौतियाँ क्या हैं?

  • अवसंरचना संबंधी बाधाएँ: निरंतर सुधार के बावजूद भारत की अवसंरचना, जिसमें पावर ग्रिड, लॉजिस्टिक्स नेटवर्क तथा परिवहन प्रणालियाँ शामिल हैं, चीन से कम सुदृढ़ है, जो संभावित रूप से विनिर्माण प्रतिस्पर्द्धात्मकता एवं निवेश आकर्षित करने में बाधा बन रहा है।
  • कुशल कार्यबल की कमी: हालाँकि जनसांख्यिकी के अनुसार भारत में एक बड़ी कामकाजी उम्र की उपलब्धता है किंतु आबादी के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से में उच्च मूल्य वाले विनिर्माण के लिये आवश्यक विशिष्ट कौशल (कौशल भारत रिपोर्ट: केवल 5% भारतीय औपचारिक रूप से कुशल) का अभाव है जिससे अपस्किलिंग तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण में अत्यधिक निवेश की आवश्यकता प्रदर्शित होती है।
  • व्यवसाय करने में वांछित आसानी का अभाव: हालाँकि मेक इन इंडिया जैसी पहल का उद्देश्य व्यवसाय करने में सरलता प्रदान करना करना है किंतु वर्तमान में भी भारत का स्थान व्यापार सुगमता (Ease of Doing Business) की वैश्विक रैंकिंग में चीन से नीचे है जिसके परिणामस्वरूप संबंधित प्रक्रियाओं को सरल बनाने एवं नौकरशाही बाधाओं को कम करने के लिये और उपायों की आवश्यकता है।
  • अनुसंधान तथा विकास क्षमताओं की कमी: पर्याप्त प्रगति के बावजूद भारत अनुसंधान तथा विकास के क्षेत्र में पिछड़ रहा है। संबद्ध क्षेत्र में चीन के 2.56% निवेश की तुलना में भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.6-0.7% अनुसंधान तथा विकास हेतु आवंटित करता है।

आगे की राह

  • कार्यबल को उन्नत बनाना: भारत को उद्योग क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा कौशल कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जिससे उच्च मूल्य वाले विनिर्माण के लिये योग्य श्रमिकों का नियोजन सरलता से किया जा सके।
  • विनियमों तथा नौकरशाही को सुव्यवस्थित करना: ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिये सुधारों को का कार्यान्वन करना, नौकरशाही संबंधी बाधाओं को कम करना एवं व्यापार स्वीकृतियों में तेज़ी लाने से भारत में व्यापार करने में सरलता प्राप्त हो सकती है।
  • नवाचार तथा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना: अनुसंधान एवं विकास निवेश बढ़ाना, शिक्षा तथा उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ावा देना एवं उद्यमिता को प्रोत्साहन प्रदान कर भारत में एक सुदृढ़ नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जा सकता है।
  • राजनयिक संवाद तथा संघर्ष समाधान: भारत इस समय का लाभ उठाते हुए चीन के साथ राजनयिक संवाद कर सकता है ताकि लंबित सीमा मुद्दों का समाधान किया जा सके एवं व्यापार, आर्थिक साझेदारी व सांस्कृतिक आदान-प्रदान सहित विभिन्न मुद्दों पर बेहतर संबंधों को प्रोत्साहन दिया जा सके जिससे वैश्विक समुदाय तथा दोनों देशों को व्यापक रूप से लाभ होगा। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का उल्लेख किसके संदर्भ में किया जाता है? (2016) 

(a) अफ्रीकी संघ
(b) ब्राज़ील
(c) यूरोपीय संघ
(d) चीन

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. चीन की तुलना में भारत के पास अधिक कृषियोग्य क्षेत्र है।
  2. चीन की तुलना में भारत में सिंचित क्षेत्र का अनुपात अधिक है।
  3. चीन की तुलना में भारत की कृषि में प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादकता अधिक है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं?

(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) तीनों
(d) कोई नहीं

उत्तर: B


मेन्स:

प्रश्न, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सी० पी० ई० सी०) को चीन की अपेक्षाकृत अधिक विशाल 'एक पट्टी एक सड़क' पहल के एक मूलभूत भाग के रूप में देखा जा रहा है। सी० पी० ई० सी० का एक संक्षिप्त वर्णन प्रस्तुत कीजिये और भारत द्वारा उससे किनारा करने के कारण गिनाइये। (2018)

प्रश्न. "चीन अपने आर्थिक संबंधों एवं सकारात्मक व्यापार अधिशेष को, एशिया में संभाव्य सैनिक शक्ति हैसियत को विकसित करने के लिये, उपकरणों के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।" इस कथन के प्रकाश में, उसके पड़ोसी के रूप में भारत पर इसके प्रभाव पर चर्चा कीजिये। (2017)

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