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जैव विविधता और पर्यावरण

गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में चीते

  • 19 Jun 2024
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चीता पुनःवापसी योजना, कूनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (KNP), CITES, प्रोजेक्ट चीता, गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य।

मेन्स के लिये:

भारत में चीता स्थानांतरण से संबंधित चुनौतियाँ, जैवविविधता का महत्त्व, अनुवांशिकी, प्रजातियाँ, पारिस्थितिकी तंत्र।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने जानकारी दी है कि उन्होंने गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (GSWS) में अफ्रीका से चीतों की पुनःवापसी की अपनी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं।

प्रोजेक्ट चीता:

  • प्रोजेक्ट का पहला चरण वर्ष 2022 में प्रारंभ हुआ, जिसका उद्देश्य वर्ष 1952 में देश में विलुप्त घोषित किये गए चीतों की आबादी को बहाल करना है।
    • इसमें दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करना शामिल है। 
    • यह प्रोजेक्ट NTCA द्वारा मध्यप्रदेश वन विभाग और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के तहत भारत केन्या से चीतों को मंगाने पर विचार कर रहा है, क्योंकि वहाँ भी उनके आवास समान हैं।

गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • स्थान:
    • वर्ष 1974 में अधिसूचित, पश्चिमी मध्यप्रदेश के मंदसौर और नीमच ज़िले, जिसमें राजस्थान के सीमा क्षेत्र भी शामिल है।
    • चंबल नदी, अभयारण्य को लगभग दो समान भागों में विभाजित करती है, जिसमें गांधी सागर बाँध अभयारण्य के भीतर स्थित है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र: 
    • इसके पारिस्थितिकी तंत्र की विशेषता इसके चट्टानी क्षेत्रों के साथ-साथ उथली मृदा है, जो सवाना पारिस्थितिकी तंत्र को संदर्भित करती है।
    • इसमें शुष्क पर्णपाती वृक्षों एवं झाड़ियों से घिरे खुले घास के मैदान शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, अभयारण्य के भीतर नदी घाटियाँ सदाबहार हैं।
  • चीतों के लिये आदर्श पर्यावास: 
    • केन्या के सुप्रसिद्ध मसाई मारा राष्ट्रीय अभयारण्य से समानता के कारण, जो अपने सवाना घास के मैदानों एवं पशुओं की प्रचुरता के लिये विख्यात है, यह अभयारण्य चीतों के लिये विशेष स्थान रखता है।

Gandhi_Sagar_Wildlife_Sanctuary

Leopard Cheetah

चीतों के बारे में कुछ प्रमुख तथ्य:

  • प्रजनन एवं परिपक्वता: चीते वर्ष भर प्रजनन करते हैं, वर्षों के मौसम में इनका प्रजनन चरम पर होता है। मादाएँ 20-24 महीनों में यौन परिपक्वता तक पहुँचती हैं, जबकि नर बाद में 24-30 महीनों में परिपक्व होते हैं।
  • गर्भधारण और प्रसव: गर्भधारण अवधि लगभग 90-95 दिनों तक रहती है, जिसमें सामान्यतः 3-5 शावक होते हैं।
  • स्वरोच्चार: शेर एवं बाघ जैसी अन्य बड़ी बिल्लियों के विपरीत, चीता दहाड़ता नहीं है। वे विभिन्न स्वरों के माध्यम से संवाद करते हैं, जिनमें ऊँची-ऊँची चहचहाहट या भौंकना भी शामिल है।
  • क्षेत्रीय व्यवहार:
    • चीते आमतौर पर एकांतवासी होते हैं और अपने क्षेत्र को चिह्नित करने के लिये अनेक तरीकों का उपयोग करते हैं, जैसे पेड़ों या चट्टानों पर खरोंच के निशान बनाना तथा मूत्र के छिड़काव या वस्तुओं पर अपना गाल रगड़कर गंध को चिह्नित करते हैं।
    • वे अन्य चीतों को अपनी उपस्थिति के बारे में चेतावनी देने तथा क्षेत्र स्थापित करने के लिये "रुककर भौंकने (stutter bark)" जैसी आवाज़ें भी निकालते हैं।
  • गति और शिकार:
    • चीता सबसे तेज़ ज़मीनी जानवर है, जो कम समय में 120 किमी/घंटा की गति तक पहुँचने में सक्षम है और केवल 3 सेकंड में 0 से 100 किमी/घंटा की रफ्तार पकड़ सकता है।
    • ये अपने शिकार को फँसाने के लिये अपने अर्द्ध-आकुंचन (Semi-Retractable) पंजों के साथ "ट्रिपिंग" नामक एक अद्वितीय अनुकूलन का उपयोग करते हैं।
    • अपनी गति के बावजूद, इनकी शिकार सफलता दर केवल 40-50% है।
  • चीता की संरक्षण स्थिति:

गांधी सागर को चीता आवास बनाने में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • अपर्याप्त शिकार आधार: वर्तमान शिकार सँख्या (चीतल, काला हिरण, चिंकारा) चीतों के लिये अपर्याप्त है। चीतों के शिकार के लिये शिकार जानवरों की सँख्या बढ़ाना उनके सतत् अस्तित्त्व के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • चीता गठबंधन परिवार के लिये लगभग 350 खुर वाले जानवरों की आबादी की आवश्यकता है। खुर वाले जानवर जानवरों के एक विविध समूह के सदस्य हैं, जैसे कि खुर वाले बड़े स्तनधारी (जैसे- हिरण) आदि।
    • GSWS में तेंदुआ एक ही शिकार के लिये प्रतिस्पर्द्धा के माध्यम से चीतों के लिये खतरा उत्पन्न कर सकता है।
  • निवास स्थान में परिवर्तन: केन्या से भारत में स्थानांतरित किये गए चीतों के बाल अफ्रीकी शीतकाल के लिये मोटे हो सकते हैं, जिसकी भारत की जलवायु में आवश्यकता नहीं है।
    • इससे उन्हें असुविधा हो सकती है और नए वातावरण में ढलने तक उनके लिये समायोजित होना कठिन हो सकता है।
  • मानव बस्ती से निकटता: कुनो के विपरीत, गांधी सागर में संरक्षित क्षेत्र की सीमा के ठीक बाहर राजमार्ग एवं मानव बस्तियाँ इस संदर्भ में चुनौतियाँ पेश कर सकती हैं। 
  • संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता: चीतों के स्थानांतरण पर अंतिम निर्णय मानसून के मौसम के बाद लेना उचित होगा, क्योंकि इस समय बिल्ली प्रजातियाँ संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो सकती हैं।

कुनो नेशनल पार्क:

  • यह मध्य प्रदेश में स्थित है।
  • इसे शुरू में वर्ष 1981 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था।
  • इसे बाद में वर्ष 2018 में एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में नामित किया गया था।
  • यह खटियार-गिर शुष्क पर्णपाती वनों के तहत शामिल है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

भारत में चीतों की पुनःवापसी से संबंधित चुनौतियों एवं निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। यह पहल जैवविविधता संरक्षण तथा पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन को किस प्रकार प्रभावित करती है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2012)

  1. ब्लैक नेक्ड  क्रेन
  2.  चीता
  3.  उड़न गिलहरी
  4.  हिम तेंदुआ

उपर्युक्त में से कौन-से स्वाभाविक रूप से भारत में पाए जाते हैं? 

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)

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