CPSE की बजटीय निर्भरता | 07 Mar 2025

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम, पूंजीगत व्यय, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, विदेशी मुद्रा भंडार

मेन्स के लिये:

आर्थिक विकास में CPSE की भूमिका, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम: संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

यह चिंतनीय है कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (CPSE) अपनी पूंजीगत व्यय (capex) रणनीति में बदलाव कर रहे हैं तथा स्व-वित्तपोषण या निजी निवेश की तुलना में बजटीय सहायता पर अधिक निर्भर हो रहे हैं।

  • इस बदलाव से CPSE की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और स्वायत्तता पर विमर्श को बढ़ावा मिला है।

CPSE के संबंध में क्या चिंताएँ हैं? 

  • बजटीय सहायता पर अत्यधिक निर्भरता: CPSE अपने स्वयं के आंतरिक एवं अतिरिक्त बजटीय संसाधनों (IEBR) के बजाय बजटीय सहायता (सरकार से इक्विटी और ऋण) पर अधिक निर्भर हो रहे हैं।
    • CPSE के लिये बजटीय सहायता पाँच वर्षों में 150% से अधिक बढ़ी है जो वित्त वर्ष 20 के 2.1 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 25 में 5.48 लाख करोड़ रुपए (संशोधित अनुमान) हो गई है।
    • IEBR (जिसका उपयोग CPSE अपने स्वयं के पूंजीगत व्यय के वित्तपोषण के लिये करते हैं) वित्त वर्ष 2020 के 6.42 लाख करोड़ रुपए से घटकर वित्त वर्ष 23 में 3.63 लाख करोड़ रुपए हो गया है एवं वित्त वर्ष 25 में इसके 3.82 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
      • IEBR में गिरावट से CPSE का वित्तीय लचीलापन सीमित होने के साथ सरकारी वित्तपोषण पर निर्भरता बढ़ जाती है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी में कमी: बजटीय सहायता पर CPSE की निर्भरता से निजी निवेश बाधित हुआ है। 
    • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से अपेक्षा की गई थी कि वह अपने वित्तपोषण का 38% निजी पूंजी से जुटाएगा, लेकिन बढ़ते कर्ज (वर्ष 2022 में 3.48 लाख करोड़ रुपए) और नीतिगत अस्थिरता के कारण वित्त वर्ष 23 से वित्त वर्ष 24 में इसका IEBR शून्य हो गया और निजी निवेश हतोत्साहित हुआ।
    • उच्च ऋण के कारण CPSE की स्वतंत्र रूप से पूँजी जुटाने की क्षमता सीमित हो जाती है तथा उनकी वित्तीय स्थिति कमज़ोर हो जाती है।
  • नीतिगत चिंताएँ: परिवहन संबंधी स्थायी समिति (वित्त वर्ष 22) के अनुसार केवल उच्च बजटीय समर्थन से CPSE निवेश की आवश्यकताएँ पूरी नहीं हो सकतीं, इसलिये निजी क्षेत्र की भागीदारी का आग्रह किया गया।
    • यदि CPSE सरकारी सहायता पर निर्भर रहना जारी रखते हैं, तो इससे राजकोषीय संसाधनों पर दबाव पड़ेगा, तथा सामाजिक और विकासात्मक कार्यक्रमों के लिये उपलब्ध धनराशि कम हो जाएगी।
  • उच्च लाभांश का भुगतान: पुनर्निवेश की तुलना में लाभांश भुगतान को प्राथमिकता देने के लिये CPSE पर सरकार का दबाव से उनके विस्तार, आधुनिकीकरण और स्वतंत्र दीर्घकालिक विकास निर्णय लेने की उनकी क्षमता सीमित होती है।
  • सीमित वित्तीय स्वायत्तता: निजी फर्मों के विपरीत, CPSE में बाज़ार में होने वाले परिवर्तनों के अनुरूप लचीलेपन का अभाव होता है, जिसके कारण निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
    • विगत विलयों और अधिग्रहणों (जैसे, ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) द्वारा हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) का अधिग्रहण) से CPSE की आरक्षित नकदी निधि कम हुई, जिससे पूंजीगत व्यय क्षमताएँ और अधिक सीमित हो गईं।

CPSE से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: CPSE वे कंपनियाँ हैं जिनमें केंद्र सरकार अथवा अन्य CPSE की कम-से-कम 51% हिस्सेदारी होती है।
    • सार्वजनिक उद्यम विभाग (Department of Public Enterprises- DPE) विभिन्न मंत्रालयों के अंतर्गत CPSE के प्रदर्शन, वित्त और नीतियों की देखरेख करता है।
    • स्वतंत्रता के बाद, भारत के समाजवादी मॉडल से भारी उद्योग, बैंकिंग, तेल और गैस, इस्पात और विद्युत क्षेत्र में CPSE की उत्पत्ति हुई। 1991 के आर्थिक सुधारों में निगमीकरण, बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा और CPSE में लाभप्रदता और दक्षता पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया।
  • महत्त्व: CPSE भारत के आर्थिक विकास, बुनियादी ढाँचे के निर्माण, रोज़गार सृजन और औद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • वर्गीकरण: CPSE को आकार, वित्तीय निष्पादन और रणनीतिक महत्त्व के आधार पर मिनीरत्न, नवरत्न और महारत्न में वर्गीकृत किया जाता है।

CPSE का वर्गीकरण 

श्रेणी

        लॉन्च 

      मानदंड

    उदाहरण

महारत्न

  • मई, 2010 में CPSE के लिये महारत्न योजना शुरू की गई थी ताकि बड़े CPSE को अपने परिचालन का विस्तार करने और वैश्विक दिग्गज के रूप में उभरने में सक्षम बनाया जा सके।
  • नवरत्न का दर्जा प्राप्त हो।
  •  भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के नियमों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक शेयरधारिता के साथ भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो।
  • पिछले 3 वर्षों के दौरान 25,000 करोड़ रुपए से अधिक का औसत वार्षिक कारोबार हो।
  •  पिछले 3 वर्षों के दौरान 15,000 करोड़ रुपए से अधिक की औसत वार्षिक निवल परिसंपत्ति हो।
  • पिछले 3 वर्षों के दौरान 5,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर के बाद औसत वार्षिक निवल लाभ हो।
  • महत्त्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति/अंतर्राष्ट्रीय परिचालन होना चाहिये।
  • भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, गेल (इंडिया) लिमिटेड, आदि।

नवरत्न

  • नवरत्न योजना वर्ष 1997 में शुरू की गई थी ताकि उन CPSE की पहचान की जा सके जो अपने संबंधित क्षेत्रों में तुलनात्मक लाभ का आनंद लेते हैं और वैश्विक भागीदार बनने के उनके अभियान में उनका समर्थन करते हैं।
  • मिनीरत्न श्रेणी-I और अनुसूची 'A' CPSE, जिन्होंने पिछले पाँच वर्षों में से तीन वर्षों में समझौता ज्ञापन प्रणाली के तहत 'उत्कृष्ट' या 'बहुत अच्छा' रेटिंग प्राप्त की है तथा छह चयनित प्रदर्शन मापदंडों में 60 या उससे अधिक का समग्र स्कोर है, अर्थात्,
    • निवल लाभ से निवल मूल्य।
    • उत्पादन/सेवाओं की कुल लागत में जनशक्ति लागत।
    • नियोजित पूंजी में मूल्यह्रास, ब्याज और करों से पहले लाभ।
    • टर्नओवर में ब्याज और करों से पहले लाभ।
    • प्रति शेयर आय।
    • अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन।
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, आदि।

मिनिरत्न

  • मिनिरत्न योजना वर्ष 1997 में नीति के अनुसरण में शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धी बनाना तथा लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अधिक स्वायत्तता और शक्तियाँ सौंपना था।
  • मिनीरत्न श्रेणी-I: जिन CPSE ने पिछले तीन वर्षों में लगातार लाभ कमाया है, कम से कम तीन वर्षों में से एक वर्ष में कर-पूर्व लाभ 30 करोड़ रुपए या उससे अधिक है और जिनकी निवल परिसंपत्ति सकारात्मक है, उन्हें मिनीरत्न-I का दर्जा दिये जाने पर विचार किया जा सकता है। 
  • मिनीरत्न श्रेणी-II: जिन CPSE ने पिछले तीन वर्षों में लगातार लाभ कमाया है और जिनकी निवल परिसंपत्ति सकारात्मक है, उन्हें मिनीरत्न-II का दर्जा दिये जाने पर विचार किया जा सकता है। 
  • मिनीरत्न CPSE को सरकार को देय किसी भी ऋण पर ऋण/ब्याज भुगतान के पुनर्भुगतान में चूक नहीं करनी चाहिये। 
  • मिनीरत्न CPSE बजटीय सहायता या सरकारी गारंटी पर निर्भर नहीं होंगे।
  • श्रेणी-I: एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, आदि। 
  • श्रेणी-II: कृत्रिम अंग निर्माण कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, भारत पंप्स एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड, आदि।
  • फरवरी 2025 में भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) और भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) क्रमशः देश की 25वीं और 26वीं नवरत्न कंपनियाँ हैं।
  • CPSE की वर्तमान स्थिति: लोक उद्यम सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, मार्च 2024 तक, भारत में 448 CPSE हैं (वित्त वर्ष 24 में केवल 272 परिचालनरत)। 
  • CPSE का वित्तीय प्रदर्शन: वित्त वर्ष 24 में परिचालनरत CPSE का सकल राजस्व 4.7% घटकर 36.08 लाख करोड़ रुपए रहा।
  • अर्थव्यवस्था में योगदान: CPSE ने वित्त वर्ष 2023-24 में केंद्रीय राजकोष में योगदान (करों, शुल्कों और लाभांश के माध्यम से) में 4.85 लाख करोड़ रुपए का योगदान दिया, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 4.58 लाख करोड़ रुपए से 5.96% की वृद्धि को दर्शाता है।
    • वित्त वर्ष 2023-24 में, सभी CSR पात्र CPSE ने CSR गतिविधियों पर लगभग 4,900 करोड़ रुपए खर्च किये, जो वित्त वर्ष 2022-23 से 19.08% की वृद्धि दर्शाता है।
    • वित्त वर्ष 2023-24 में CPSE ने 1.43 लाख करोड़ रुपए का विदेशी मुद्रा भंडार अर्जित किया, जिससे भारत के व्यापार संतुलन और वैश्विक व्यापार जुड़ाव में योगदान मिला।

नोट: अन्य प्रकार के सार्वजनिक उद्यमों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) शामिल हैं, जहाँ केंद्र/राज्य सरकार या अन्य PSB की हिस्सेदारी कम से कम 51% है, और राज्य स्तरीय सार्वजनिक उद्यम (SLPE) शामिल हैं, जहां राज्य सरकार या अन्य SLPE की हिस्सेदारी कम से कम 51% है।

CPSE की चिंताओं को दूर करने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?

  • विनिवेश: निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) और नई सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम नीति, 2021 के तहत निजी निवेश को आकर्षित करने और राजकोषीय बोझ को कम करने के लिये गैर-रणनीतिक CPSE को निजीकरण के लिये प्राथमिकता दी जा सकती है।
    • निजी निवेशकों के लिये विनियामक बाधाओं और वित्तीय जोखिमों को कम करने के लिये नीतिगत सुधारों को लागू करना।
  • स्वतंत्र रूप से पूंजी जुटाना: CPSE को बॉण्ड, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) और निजी अभिकर्त्ताओं के साथ साझेदारी के माध्यम से IEBR वित्तपोषण को पुनर्जीवित करने के लिये प्रोत्साहित करना और बजटीय सहायता पर उनकी निर्भरता कम करना।
  • डिजिटल परिवर्तन: CPSE डिजिटल अपनाने में निजी कंपनियों से पीछे हैं, जिससे परिचालन दक्षता प्रभावित हो रही है। रेलवे, विद्युत् और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में उन्नत डिजिटल बुनियादी ढाँचे और स्वचालन को एकीकृत करने से परिचालन लागत कम हो सकती है।
  • उच्च लाभांश भुगतान को सीमित करना: जैसा कि 15 वें वित्त आयोग (2020-21) द्वारा अनुशंसित किया गया है, CPSE को बुनियादी ढाँचे के विस्तार में पुनर्निवेश के साथ अपने लाभांश भुगतान को संतुलित करना चाहिये।
  • CPSE निष्पादन समीक्षा: वर्ष 2005 की सेनगुप्ता समिति ने बेहतर दक्षता के लिये CPSE निष्पादन समीक्षा को वर्ष में दो बार तक सीमित करने की सिफारिश की थी।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: CPSE के बढ़ते ऋण भार पर ध्यान केंद्रित करते हुए उनकी वित्तीय स्थिति का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। राजकोषीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये क्या कदम उठाए जाने चाहिये?