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चार CPSE को नवरत्न का दर्जा

  • 03 Sep 2024
  • 7 min read

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

हाल ही में सरकार ने चार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (CPSE) - रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (SJVN) और नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (NHPC) को 'नवरत्न' का दर्जा दिया है। इससे भारत में नवरत्न CPSE की कुल संख्या बढ़कर 25 हो गई है।

  • उद्देश्य: वर्ष 1997 में शुरू की गई नवरत्न योजना का उद्देश्य तुलनात्मक लाभ वाले CPSE की पहचान करना और उन्हें वैश्विक दिग्गज बनने में सहायता करना है।
    • नवरत्न वर्गीकरण उन सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों को दिया जाता है, जिन्हें पहले उनके उत्कृष्ट वित्तीय और बाज़ार प्रदर्शन के लिये 'मिनीरत्न' श्रेणी I के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
  • वित्त मंत्रालय का सार्वजनिक उद्यम विभाग (DPE) कम्पनियों को नवरत्न का दर्जा देने के लिये ज़िम्मेदार है।
  • नवरत्न दर्जे के लाभ: इसे वित्तीय और परिचालन संबंधी स्वतंत्रता मिलती है तथा यह सरकार की मंजूरी के बिना किसी एक परियोजना पर 1,000 करोड़ रुपए या अपनी कुल संपत्ति का 15% तक निवेश करने का अधिकार देता है।
    • उन्हें संयुक्त उद्यम स्थापित करने, गठबंधन बनाने तथा विदेश में सहायक कम्पनियाँ स्थापित करने की भी स्वतंत्रता होती है।

                        CPSE का वर्गीकरण 

श्रेणी

        लॉन्च 

      मानदंड

    उदाहरण

महारत्न

  • मई, 2010 में CPSE के लिये महारत्न योजना शुरू की गई थी ताकि बड़े CPSE को अपने परिचालन का विस्तार करने और वैश्विक दिग्गज के रूप में उभरने में सक्षम बनाया जा सके।
  • नवरत्न का दर्जा प्राप्त हो।

  •  भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के नियमों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक शेयरधारिता के साथ भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो।
  • पिछले 3 वर्षों के दौरान 25,000 करोड़ रुपए से अधिक का औसत वार्षिक कारोबार हो।

  •  पिछले 3 वर्षों के दौरान 15,000 करोड़ रुपए से अधिक की औसत वार्षिक निवल परिसंपत्ति हो।

  • पिछले 3 वर्षों के दौरान 5,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर के बाद औसत वार्षिक निवल लाभ हो।

  • महत्त्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति/अंतर्राष्ट्रीय परिचालन होना चाहिये।
  • भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, गेल (इंडिया) लिमिटेड, आदि।

नवरत्न

  • नवरत्न योजना वर्ष 1997 में शुरू की गई थी ताकि उन CPSE की पहचान की जा सके जो अपने संबंधित क्षेत्रों में तुलनात्मक लाभ का आनंद लेते हैं और वैश्विक भागीदार बनने के उनके अभियान में उनका समर्थन करते हैं।
  • मिनीरत्न श्रेणी-I और अनुसूची 'A' CPSE, जिन्होंने पिछले पाँच वर्षों में से तीन वर्षों में समझौता ज्ञापन प्रणाली के तहत 'उत्कृष्ट' या 'बहुत अच्छा' रेटिंग प्राप्त की है तथा छह चयनित प्रदर्शन मापदंडों में 60 या उससे अधिक का समग्र स्कोर है, अर्थात्,
    • निवल लाभ से निवल मूल्य।
    • उत्पादन/सेवाओं की कुल लागत में जनशक्ति लागत।
    • नियोजित पूंजी में मूल्यह्रास, ब्याज और करों से पहले लाभ।
    • टर्नओवर में ब्याज और करों से पहले लाभ।
    • प्रति शेयर आय।
    • अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन।
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, आदि।

मिनिरत्न

  • मिनिरत्न योजना वर्ष 1997 में नीति के अनुसरण में शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धी बनाना तथा लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अधिक स्वायत्तता और शक्तियाँ सौंपना था।
  • मिनीरत्न श्रेणी-I: जिन CPSE ने पिछले तीन वर्षों में लगातार लाभ कमाया है, कम से कम तीन वर्षों में से एक वर्ष में कर-पूर्व लाभ 30 करोड़ रुपए या उससे अधिक है और जिनकी निवल परिसंपत्ति सकारात्मक है, उन्हें मिनीरत्न-I का दर्जा दिये जाने पर विचार किया जा सकता है। 
  • मिनीरत्न श्रेणी-II: जिन CPSE ने पिछले तीन वर्षों में लगातार लाभ कमाया है और जिनकी निवल परिसंपत्ति सकारात्मक है, उन्हें मिनीरत्न-II का दर्जा दिये जाने पर विचार किया जा सकता है। 
  • मिनीरत्न CPSE को सरकार को देय किसी भी ऋण पर ऋण/ब्याज भुगतान के पुनर्भुगतान में चूक नहीं करनी चाहिये। 
  • मिनीरत्न CPSE बजटीय सहायता या सरकारी गारंटी पर निर्भर नहीं होंगे।
  • श्रेणी-I: एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, आदि। 
  • श्रेणी-II: कृत्रिम अंग निर्माण कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, भारत पंप्स एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड, आदि।

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