MSME के माध्यम से निर्यात को बढ़ाना: नीति आयोग | 20 Mar 2024
प्रिलिम्स के लिये:MSME से निर्यात को बढ़ावा देना: नीति आयोग, रिकॉर्ड पर निर्यातक (EOR) और रिकॉर्ड पर विक्रेता (SOR), MSME प्रदर्शन को बेहतर और तेज़ करने की योजना। मेन्स के लिये:MSME से निर्यात को बढ़ावा देना: नीति आयोग, भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन जुटाने, वृद्धि, विकास और रोज़गार से संबंधित मुद्दे। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नीति आयोग ने MSME से निर्यात को बढ़ावा देने शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें सिफारिश की गई है कि सरकार को छोटी कंपनियों के लिये ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के माध्यम से अपने माल का निर्यात करना आसान बनाना चाहिये।
रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें क्या हैं?
- निर्यातकों के लिये एकल सूचना पोर्टल:
- नीति आयोग निर्यातकों के लिये एक एकल सूचना पोर्टल के निर्माण की सिफारिश करता है, जो बाज़ार शुल्क, कागज़ी कार्रवाई आवश्यकताओं, वित्त स्रोतों, सेवा प्रदाताओं, प्रोत्साहनों और संभावित ग्राहकों पर व्यापक तथा अद्यतन जानकारी प्रदान करने के लिये AI-आधारित इंटरफेस का लाभ उठाता है।
- इसने MSME के लिये निर्यात प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने, निर्बाध संचालन और प्रतिस्पर्द्धी लाभ की सुविधा हेतु एक व्यापक राष्ट्रीय व्यापार पोर्टल (NTN) स्थापित करने की सिफारिश की।
- नीति आयोग निर्यातकों के लिये एक एकल सूचना पोर्टल के निर्माण की सिफारिश करता है, जो बाज़ार शुल्क, कागज़ी कार्रवाई आवश्यकताओं, वित्त स्रोतों, सेवा प्रदाताओं, प्रोत्साहनों और संभावित ग्राहकों पर व्यापक तथा अद्यतन जानकारी प्रदान करने के लिये AI-आधारित इंटरफेस का लाभ उठाता है।
- वार्षिक वित्तीय समाधान प्रक्रिया:
- रिपोर्ट में ई-कॉमर्स निर्यातकों हेतु वार्षिक वित्तीय समाधान प्रक्रिया शुरू करने और अस्वीकार या रिटर्न के लिये आयात शुल्क पर छूट देने का सुझाव दिया गया है। इसमें ई-कॉमर्स निर्यात के लिये ग्रीन चैनल क्लीयरेंस बनाने का भी प्रस्ताव है।
- रिकॉर्ड पर निर्यातक (EOR) और रिकॉर्ड पर विक्रेता (SOR) के बीच अंतर:
- ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने के लिये रिपोर्ट EOR और SOR के बीच अंतर करने तथा सभी ई-कॉमर्स निर्यातों हेतु प्रतिशत सीमा के बिना चालान मूल्य में कमी की अनुमति देने का सुझाव देती है।
- EOR उस पार्टी या इकाई को संदर्भित करता है जिसे आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में वस्तु के निर्यातक के रूप में मान्यता प्राप्त है। EOR निर्यातक देश के सभी निर्यात नियमों, दस्तावेज़ीकरण और सीमा शुल्क आवश्यकताओं के अनुपालन के लिये ज़िम्मेदार है।
- SOR उस पार्टी या इकाई को संदर्भित करता है जिसे कानूनी तौर पर वाणिज्यिक लेन-देन में विक्रेता के रूप में मान्यता प्राप्त है। SOR खरीदार को सामान बेचने के लिये ज़िम्मेदार है और बिक्री की शर्तों पर बातचीत करने, चालान तैयार करने, शिपिंग तथा डिलीवरी की व्यवस्था करने एवं यह सुनिश्चित करने जैसे कार्यों को संभाल सकता है कि सामान सहमत विनिर्देशों को पूरा करता है।
- ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने के लिये रिपोर्ट EOR और SOR के बीच अंतर करने तथा सभी ई-कॉमर्स निर्यातों हेतु प्रतिशत सीमा के बिना चालान मूल्य में कमी की अनुमति देने का सुझाव देती है।
- निर्यात ऋण गारंटी को बढ़ावा देना:
- वित्त तक पहुँच को MSME के लिये एक महत्त्वपूर्ण बाधा के रूप में उजागर किया गया है। रिपोर्ट में कार्यशील पूंजी की उपलब्धता में सुधार हेतु निर्यात ऋण गारंटी को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है, जिसमें सुझाव दिया गया है कि सरकार मौजूदा 10% से 50% या अधिक तक बढ़ाने के लिये एक प्रोत्साहन पैकेज बनाए।
- MSME के लिये व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात को आसान बनाना:
- सुझावों में सीमित अवधि के लिये MSME हेतु अनुपालन आवश्यकताओं में छूट और कार्यशील पूंजी के अवरोध को रोकने के लिये प्रोत्साहन हेतु समयबद्ध संवितरण प्रक्रिया लागू करना शामिल है।
- विशिष्ट क्षेत्रों में निर्यात अवसरों की पहचान:
- रिपोर्ट विभिन्न क्षेत्रों का अभिनिर्धारण करती है जहाँ भारतीय MSME निर्यात बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा कर सकते हैं, जैसे– हस्तशिल्प, हैंडलूम वस्त्र, आयुर्वेद, हर्बल सप्लीमेंट, चमड़े के सामान, नकली आभूषण और लकड़ी के उत्पाद। यह इन क्षेत्रों के लिये 340 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की पर्याप्त वैश्विक बाज़ार क्षमता पर ज़ोर देता है।
भारत में MSME क्षेत्र का वर्तमान परिदृश्य क्या है?
- अर्थव्यवस्था में MSME का योगदान:
- रिपोर्ट भारत की अर्थव्यवस्था में MSME के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालती है, जो 11 करोड़ से अधिक नौकरियों और सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 27% है।
- MSME स्थापना में तेज़ी से विकास:
- वित्तीय वर्ष (FY) 2019 और FY 2021 के बीच, भारत में नई MSME इकाइयों की स्थापना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, लगभग 40 लाख नए MSME स्थापित किये गए। यह वृद्धि सूक्ष्म उद्यमों में विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
- वर्तमान में, कुल 54 लाख MSME इकाइयों में से लगभग 38% विनिर्माण क्षेत्र में लगी हुई हैं, जिनमें छोटे और मध्यम उद्यम बड़े पैमाने पर निर्यात के लिये उपयुक्त विनिर्माण गतिविधि में योगदान दे रहे हैं।
- विनिर्माण MSME की उच्चतम सांद्रता वाले शीर्ष 5 राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात हैं।
- निर्यात क्षमता:
- भारतीय MSME के विकास क्षमता को अनलॉक करने के लिये निर्यात महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि बड़ी कामकाजी उम्र की आबादी और विनिर्माण MSME में अधिक रोज़गार होने के बावजूद, कम-कुशल विनिर्माण उत्पादों के वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी केवल 5% है।
- निर्यात की संभावना के बावजूद, MSME का केवल एक छोटा प्रतिशत ही इसमें संलग्न है, जिनमें से कई का निर्यात से वार्षिक कारोबार 1 करोड़ रुपए से कम है।
- भारतीय MSME के विकास क्षमता को अनलॉक करने के लिये निर्यात महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि बड़ी कामकाजी उम्र की आबादी और विनिर्माण MSME में अधिक रोज़गार होने के बावजूद, कम-कुशल विनिर्माण उत्पादों के वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी केवल 5% है।
MSME क्या है?
- MSME भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जो रोज़गार सृजन, औद्योगिक उत्पादन और समग्र आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- ये उद्यम वस्तुओं और मदों के उत्पादन, विनिर्माण, प्रसंस्करण या संरक्षण में लगे हुए हैं।
- इनका देश के कुल विनिर्माण उत्पादन में हिस्सा 38.4% और देश के कुल निर्यात में 45.03% का योगदान है।
भारत में MSME क्षेत्र से संबंधित वर्तमान चुनौतियाँ क्या हैं?
- वित्तीय बाधा:
- भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु फर्मों और व्यवसायों के लिये वित्तपोषण हमेशा एक मुद्दा रहा है। यह व्यवसायों के साथ-साथ MSME क्षेत्र के लिये एक बड़ी बाधा है।
- हालाँकि इसके संबंध में सबसे चिंतनीय तथ्य यह है कि केवल 16% SME को ही समय पर वित्तीय सहायता प्राप्त होती है जिसके परिणामस्वरूप लघु और मध्यम कंपनियों को अपने स्वयं के संसाधनों पर निर्भर रहने के लिये विवश होना पड़ता है।
- नवाचार का अभाव:
- भारतीय MSME में नवाचार की कमी है और उनके द्वारा उत्पादित अधिकांश उत्पाद पूर्व की प्रौद्योगिकियों पर आधारित हैं। इस क्षेत्र में उद्यमियों की भारी कमी है जिससे इसमें नई तकनीकों और उपकरणों को अपनाने में बाधा उत्पन्न होती है।
- अतः MSME को पुरातन प्रौद्योगिकी और कम उत्पादकता स्तर, विशेषकर बड़ी कंपनियों की तुलना में, से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
- अधिकांश लघु कंपनियाँ:
- MSME में सूक्ष्म और लघु व्यवसायों की हिस्सेदारी 80% से अधिक है। इसलिये संचार अंतराल और जागरूकता की कमी के कारण वे सरकार की आपातकालीन ऋण व्यवस्था, दबावग्रस्त परिसंपत्ति राहत, इक्विटी सहभागिता तथा फंड ऑपरेशन की निधि का लाभ अर्जित करने में असफल रहते हैं।
- MSME के बीच औपचारिकता का अभाव:
- MSME में औपचारिकता का अभाव है और यह ऋण अंतराल में योगदान देता है।
- देश में लगभग 86% विनिर्माण MSME अपंजीकृत हैं। वर्तमान में लगभग 1.1 करोड़ MSME ने ही वस्तु एवं सेवा कर हेतु पंजीकरण कराया है।
MSME से संबंधित सरकारी पहल क्या हैं?
निष्कर्ष:
भारत में MSME क्षेत्र रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है किंतु सीमित निर्यात भागीदारी तथा नियामक बाधाओं जैसी चुनौतियाँ भी हैं जिन्हें इसकी क्षमता का पूरा उपयोग करने के लिये संबोधित करने की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. विनिर्माण क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की हाल की नीतिगत पहल क्या है/हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन समावेशी विकास के सरकार के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में सहायता कर सकता है? (2011)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न."सुधारोत्तर अवधि में सकल-घरेलू-उत्पाद (जी.डी.पी.) की समग्र संवृद्धि में औद्योगिक संवृद्धि दर पिछड़ती गई है।" कारण बताइए। औद्योगिक-नीति में हाल में किये गए परिवर्तन औद्योगिक संवृद्धि दर को बढ़ाने में कहाँ तक सक्षम हैं? (2017) प्रश्न.सामान्तय: देश कृषि से उद्योग और बाद में सेवाओं की ओर आंतरिक होते हैं, पर भारत सीधे कृषि से सेवाओं की ओर आंतरिक हो गया। देश में उद्योग की तुलना में सेवाओं की भारी वृद्धि के क्या कारण हैं? क्या सशक्त औद्योगिक आधार के बिना भारत एक विकसित देश बन सकता है? (2014) |