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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ब्ल्यू स्ट्रैग्लर तारे

  • 25 Apr 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ब्लू स्ट्रैगलर तारा, भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स), एस्ट्रोसैट, लाल दानव तारा, श्वेत वामन तारा, हर्ट्ज़स्प्रंग-रसेल डायग्राम

मेन्स के लिये:

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की पहल, तारों का विकास

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स), बंगलूरू के वैज्ञानिकों कों ब्लू स्ट्रैगलर तारे के विशिष्ट लक्षण को समझने के तरीके के लिये समर्थन प्राप्त हुआ है।

  • शोधकर्ताओं ने अंतरिक्ष में भारत की पहली विज्ञान वेधशाला, एस्ट्रोसैट के यूवीआईटी उपकरण (पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप) द्वारा अवलोकन किया है।
  • इससे पहले सितंबर 2021 में ब्लू स्ट्रैगलर (Blue Stragglers) का पहला व्यापक विश्लेषण करते हुए भारतीय शोधकर्त्ताओं ने इनकी उत्पत्ति के संदर्भ में एक परिकल्पना प्रस्तुत की थी।

ब्लू स्ट्रैगलर तारों के विषय में: 

  • ब्लू स्ट्रैगलर्स खुले या गोलाकार समूहों में सितारों का एक ऐसा वर्ग है जो अन्य तारों की तुलना में अपेक्षाकृत बड़े और नीले रंग के होने के कारण अलग ही दिखाई देते हैंI  
  • कुछ तारे ऐसे होते हैं कि जब उनके आकार में विस्तार और शीतलन  की उम्मीद की जाती है, तो वे इसके ठीक विपरीत होते हैं। 
  • इनके नीले रंग की वजह से संकेत मिलता है कि वे चमकीले और गर्म होते हैं। 
    • इस प्रकार ये रंग-परिमाण आरेख में अपने आसपास के ठंडे लाल तारों से बाहर की ओर दिखाई देते हैं।
  • चूंँकि वे विकास के क्रम में अपने समूह केअन्य तारों से पिछड़ते हुए दिखाई देते हैं, इसलिये उन्हें उनके गर्म, नीले रंग के कारण विशेष रूप से नीले रंग के स्ट्रैगलर कहा जाता है।
  • एलन सैंडेज (कैलिफोर्निया के पासाडेना में कार्नेगी ऑब्ज़र्वेटरीज़ के एक खगोलशास्त्री) ने वर्ष 1952-53 में गोलाकार क्लस्टर M3 में ब्लू स्ट्रैगलर की खोज की थी। 
  • अधिकांश ब्लू स्ट्रैगलर सूर्य से कई हज़ार प्रकाश वर्ष दूर स्थित हैं और इनमें से ज़्यादातर लगभग 12 बिलियन वर्ष या उससे भी अधिक पुराने हैं। 
  • मिल्की वे आकाशगंगा का सबसे बड़ा और सबसे चमकीला ग्लोबुलर ओमेगा सेंटॉरी (Omega Centauri) है।

Blue-Stragglers

इस विशेषता के संभावित कारण:

  • संभावना 1: ये समूह में तारों के परिवार से संबंधित नहीं हैं, इसलिये इनमें समूह के गुण होने की संभावना नहीं होती। 
  • संभावना 2: यदि वे समूह से संबंधित हैं, तो इन तारों के बाइनरी साथी से द्रव्यमान प्राप्त करने के कारण उत्क्रमणीय व्यवहार होता है।
    • इस दूसरे परिदृश्य में स्ट्रैगलर विशाल साथी तारे से पदार्थ खींचता है और अधिक बड़े पैमाने पर गर्म एवं नीले रंग में बढ़ता है तथा लाल रंग के एक सामान्य या छोटे सफेद बौने तारे के रूप में समाप्त होता है।
    • शोध में वैज्ञानिकों को सफेद बौने साथियों के नीले स्ट्रैगलरों के निर्णायक सबूत मिले। 
  • संभावना 3: स्ट्रैगलर एक साथी तारे से पदार्थ खींचता है लेकिन एक तीसरा तारा है जो इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाता है।

  तारे की आयु या विकास का अध्ययन: 

  • तारे के व्यवहार का अध्ययन करने के लिये किसी तारे के रंग और उसके परिमाण के बीच एक ग्राफ तैयार किया जाता है।
    • यह तारे की सतह के तापमान का संकेत देता है, जो इसके द्वारा दी गई कुल ऊर्जा से संबंधित है।  
    • यदि सभी तारों को एक गोलाकार समूह में लाया जाता है, तो कई तारे एक बैंड के भीतर स्थान ग्रहण करते दिखते हैं जिसे मुख्य अनुक्रम के रूप में जाना जाता है।
    • इस ग्राफ को हर्ट्ज़स्प्रंग-रसेल आरेख कहा जाता है। 
    • यह आरेख, तारों के तापमान को उनके प्रकाश के प्रतिकूल अथवा तारों के रंग को उनके संपूर्ण परिमाण के प्रतिकूल प्रदर्शित करता है।
    • यह सितारों के एक समूह को उनके विकास क्रम के विभिन्न चरणों में प्रदर्शित करता है।
  • उदाहरण के लिये सूर्य, जिसे मुख्य अनुक्रम तारा भी कहा जाता है।
    • इसके द्रव्यमान और उम्र को देखते हुए यह अनुमान लगाया जाता है कि एक बार जब यह अपने संपूर्ण हाइड्रोजन को हीलियम में बदल देगा, तो इसका कोर सघन हो जाएगा, जबकि इसके बाहरी परतों का विस्तार होगा।
    • इस चरण के बाद इसकी ऊर्जा समाप्त हो जाती है और यह एक छोटा, शीत तारा (Cooling Star) बन जाता है तथा अपने जीवन के अंतकाल में यह एक सफेद बौना तारा (White Dwarf) कहलाता है।

Temperature

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA):

  • IIA का मुख्यालय बंगलूरू में है तथा यह एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है जो पूरी तरह से भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्तपोषित है।
  • IIA मुख्य रूप से खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी और संबंधित क्षेत्रों के विषयों में अनुसंधान करता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1971 में हुई थी।

स्रोत: द हिंदू 

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