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जैव विविधता और पर्यावरण

ब्लू फ्लैग प्रमाणीकरण

  • 23 Sep 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में फाउंडेशन फॉर एन्वायरनमेंटल एजुकेशन (FEE), डेनमार्क ने कोवलम (तमिलनाडु) और ईडन (पुद्दुचेरी) को ब्लू फ्लैग प्रमाणीकरण से पुरस्कृत किया है, जिसके पश्चात् देश में ब्लू फ्लैग प्रमाण-पत्र प्राप्त करने वाले समुद्र तटों की कुल संख्या 10 हो गई है।

  • समुद्र तट पर लहराता हुआ “ब्लू फ्लैग”, 33 कड़े मानदंडों का 100% अनुपालन और समुद्र तट के अच्छे स्वास्थ्य का संकेत होता है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्तएक इको-लेबल है जिसे 33 मानदंडों के आधार पर प्रदान किया जाता है। इन मानदंडों को 4 प्रमुख शीर्षकों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं-
      • पर्यावरण शिक्षा और सूचना
      • स्नान के पानी की गुणवत्ता
      • पर्यावरण प्रबंधन
      • समुद्र तटों पर संरक्षण और सुरक्षा सेवाएँ
    • ब्लू फ्लैग समुद्र तटों को दुनिया का सबसे साफ समुद्र तट माना जाता है। यह एक ईको-टूरिज़्म मॉडल है, जो पर्यटकों/समुद्र तट पर आने वालों को नहाने के लिये साफ एवं स्वच्छ जल, सुविधाओं, सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण प्रदान करने के साथ क्षेत्र के सतत् विकास को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
    • यह प्रतिष्ठित सदस्यों- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO), डेनमार्क स्थित एनजीओ फाउंडेशन फॉर एन्वायरनमेंटल एजुकेशन (FEE) और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) से गठित एक अंतर्राष्ट्रीय जूरी द्वारा प्रदान किया जाता है।
    • ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन की तरह ही भारत ने भी अपना इको-लेबल बीच एन्वायरनमेंट एंड एस्थेटिक्स मैनेजमेंट सर्विसेज़’ (Beach Environment and Aesthetics Management Services- BEAMS) लॉन्च किया है।
  • अन्य आठ समुद्र तट जिन्हें ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त हुआ है:
    • शिवराजपुर, गुजरात
    • घोघला, दमन व दीव
    • कासरकोड, कर्नाटक
    • पदुबिद्री तट, कर्नाटक
    • कप्पड़, केरल
    • रुशिकोंडा, आंध्र प्रदेश
    • गोल्डन बीच, ओडिशा
    • राधानगर तट, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

India

बीच एन्वायरनमेंट एंड एस्थेटिक्स मैनेजमेंट सर्विसेज़ (BEAMS)

  • BEAMS का आशय समुद्र तट का पर्यावरण और सौंदर्यशास्त्र प्रबंधन सेवाएँ है।
  • बीच एन्वायरनमेंट एंड एस्थेटिक्स मैनेजमेंट सर्विस, एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन (Integrated Coastal Zone Management- ICZM) परियोजना के तहत आती है।
  • इसे सोसाइटी ऑफ इंटीग्रेटेड कोस्टल मैनेजमेंट (Society of Integrated Coastal Management- SICOM) एवं केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Union Ministry of Environment, Forest and Climate Change- MoEFCC) द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • BEAMS कार्यक्रम के उद्देश्य हैं:
    • तटीय जल प्रदूषण को न्यून करना
    • समुद्र तट पर सुविधाओं के सतत् विकास को बढ़ावा देना
    • तटीय पारिस्थितिकी तंत्र एवं प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण
    • स्वच्छता के उच्च मानकों को मज़बूत करना और उन्हें बनाए रखना
    • तटीय वातावरण एवं नियमों के अनुसार समुद्र तट के लिये स्वच्छता और सुरक्षा।
  • इसने पुनर्चक्रण के माध्यम से 1,100 मिली/वर्ष नगरपालिका के पानी को बचाने में मदद की है; समुद्र तट पर जाने वाले 1,25,000 लोगों को समुद्र तटों पर ज़िम्मेदार व्यवहार बनाए रखने के लिये शिक्षित किया गया। प्रदूषण में कमी, सुरक्षा और सेवाओं के माध्यम से 500 मछुआरा परिवारों को वैकल्पिक आजीविका के अवसर प्रदान किये गए तथा समुद्र तटों पर मनोरंजन गतिविधियों के लिये पर्यटकों की संख्या में लगभग 80% की वृद्धि हुई है जिससे आर्थिक विकास हुआ है।

स्रोत: पीआईबी

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