संसदीय बैठकों और POCSO अधिनियम, 2012 पर विधेयक | 11 Feb 2025

प्रिलिम्स के लिये:

निजी सदस्य विधेयक, राज्यसभा, लोकसभा, अनुच्छेद 85, अनुच्छेद 174, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो

मेन्स के लिये:

संसदीय कार्यप्रणाली में सुधार, बालकों से संबंधित मुद्दे, POCSO और बाल कल्याण कानूनों का कार्यान्वयन

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

न्यूनतम संसदीय बैठकों को अनिवार्य करने और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 में संशोधन करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, निजी सदस्यों के विधेयक राज्यसभा में प्रस्तुत किये गए।

संसदीय बैठकों से संबंधित विधेयक क्या है?

  • उद्देश्य: प्रति वर्ष न्यूनतम 100-120 संसदीय बैठकें अनिवार्य करने के लिये राज्यसभा में दो विधेयक प्रस्तावित किये गए, जिसमें व्यवधानों के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई उत्पादकता बढ़ाने और सरकारी जवाबदेही में सुधार के लिये विस्तारित सत्रों से की जाएगी।
    • वर्ष 1955 में लोकसभा की सामान्य प्रयोजन समिति ने एक निश्चित संसदीय कैलेंडर के विचार पर विचार किया, जबकि वर्ष 2002 के राष्ट्रीय संवैधानिक समीक्षा आयोग ने राज्य सभा के लिये न्यूनतम 100 दिन और लोकसभा के लिये 120 दिन की बैठकों की सिफारिश की।
  • संसदीय बैठकों का वर्तमान परिदृश्य: प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के अधीन पहली लोकसभा (1952-1957) में प्रतिवर्ष औसतन 135 बैठकें होती थीं, जबकि 17वीं लोकसभा (2019-2024) में प्रतिवर्ष केवल 55 दिन बैठकें हुईं, जो इतिहास में सबसे कम है।
  • संवैधानिक प्रावधान: संविधान में सत्रों या बैठकों के दिनों की निश्चित संख्या का प्रावधान नहीं है।
    • हालाँकि, अनुच्छेद 85 (संसद) के अनुसार राष्ट्रपति आवश्यकतानुसार प्रत्येक सदन को बुलाता है, तथा यह सुनिश्चित करता है कि दो सत्रों के बीच छह माह से अधिक का अंतराल न हो। राष्ट्रपति लोकसभा का सत्रावसान या विघटन भी कर सकता है।
    • अनुच्छेद 174 (राज्य विधानमंडल) के अनुसार राज्यपाल को विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने की शक्ति प्राप्त है, जिससे सत्रों के बीच अधिकतम छह महीने का अंतर सुनिश्चित होता है।

निजी सदस्य विधेयक क्या है?

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POCSO अधिनियम, 2012 में संशोधन संबंधी विधेयक क्या है?

  • उद्देश्य: लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य POCSO अधिनियम को अधिक पीड़ित-केंद्रित बनाना और इसके कार्यान्वयन में सुधार करना है। 
  • विधेयक के प्रावधान: POCSO (संशोधन) विधेयक, 2024 में 24 घंटे की रिपोर्टिंग नियम को अनिवार्य किया गया है, जिसके तहत पुलिस या विशेष किशोर पुलिस इकाई को बच्चे को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करना होगा और मामले की रिपोर्ट विशेष न्यायालय (या सत्र न्यायालय, यदि उपलब्ध न हो) को देनी होगी।
    • यह समय पर मुआवजा और संरचित प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करके पीड़ितों के समर्थन को मज़बूत करता है।
    • इसमें बेहतर कार्यान्वयन के लिये पुलिस, शैक्षणिक संस्थानों और बाल देखभाल कर्मियों सहित हितधारकों के प्रशिक्षण को बढ़ाने का आह्वान किया गया है।
  • संशोधन की आवश्यकता:  NCRB के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017 से POCSO मामलों में 94% की वृद्धि हुई है, मई 2024 तक 2 लाख से अधिक पंजीकृत मामले थे।
  • संरचित मुआवज़ा प्रक्रियाओं की कमी के कारण पीड़ितों को लंबे अंतराल का सामना करना पड़ता है।
    • POCSO मामलों के लिये प्रशिक्षित विशेष लोक अभियोजकों की कमी है, जिससे बाल यौन शोषण मामलों से निपटने में संवेदनशीलता और दक्षता प्रभावित होती है।
  • डर, कलंक या जागरूकता की कमी के कारण कई मामले रिपोर्ट नहीं किये जाते या विलंब से दर्ज किये जाते हैं।
  • POCSO अधिनियम, 2012 में एक प्रमुख कमी पीड़ितों के लिये "सहायक व्यक्तियों" की कमी है, 96% मामलों में आवश्यक सहायता का अभाव है। 
    • ये सहायक व्यक्ति, चाहे वे व्यक्ति हों या संगठन, पीड़ितों को कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से मार्गदर्शन प्रदान करते हैं तथा उनकी भलाई सुनिश्चित करते हैं।
    • सहमति से यौन क्रियाकलाप में शामिल 16-18 वर्ष की आयु के नाबालिगों पर POCSO के तहत आरोप लगाया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप लंबे समय तक हिरासत में रहना पड़ सकता है और ज़मानत से इनकार किया जा सकता है।
  • इसके अलावा, POCSO न्यायालयों की अपर्याप्त नियुक्ति से न्याय में और विलंब होता है, क्योंकि सभी ज़िलों में ये विशेष न्यायालय नहीं हैं।

POCSO अधिनियम, 2012

  • POCSO अधिनियम, 2012 बालकों के यौन शोषण और दुर्व्यवहार से निपटने के उद्देश्य से बनाया गया कानून है। 
  • POCSO अधिनियम यह मानता है कि बालक और बालिका दोनों ही यौन शोषण के शिकार हो सकते हैं, और पीड़ित के लिंग की परवाह किये बिना अपराध दंडनीय है। यह 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को बच्चा मानता है।
  • इसमें कहा गया है कि पीड़ित बालकों की पहचान गोपनीय रखी जानी चाहिये, पीड़ित के नाम, पते या परिवार के विवरण के बारे में मीडिया में कोई खुलासा नहीं किया जाएगा।
  • अधिनियम में यह प्रावधान है कि बाल दुर्व्यवहार के बारे में जानकारी या संदेह वाले व्यक्तियों को इसकी सूचना संबंधित प्राधिकारियों को देनी होगी।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत की विधायी जवाबदेही के संदर्भ में संसदीय बैठकों की न्यूनतम संख्या की आवश्यकता का मूल्यांकन कीजिये।

प्रश्न: POCSO अधिनियम, 2012 के कार्यान्वयन में क्या चुनौतियाँ हैं, समाधान के उपाय सुझाइए?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न: भारत के संविधान में शोषण के विरुद्ध अधिकार द्वारा निम्नलिखित में से क्या परिकल्पित किया गया है? (2017)

  1. मानव तस्करी और बलात श्रम पर प्रतिबंध
  2.  अस्पृश्यता का उन्मूलन
  3.  अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण
  4.  कारखानों और खदानों में बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

 उत्तर: (c)


मेन्स

प्रश्न. राष्ट्रीय बाल नीति के मुख्य प्रावधानों का परीक्षण करते हुए इसके कार्यान्वयन की स्थिति पर प्रकाश डालिये। (2016)