भारतीय वायुयान विधायक विधेयक 2024 | 07 Dec 2024

प्रिलिम्स के लिये:

संसद, नागरिक विमानन महानिदेशालय, नागरिक विमानन सुरक्षा ब्यूरो, संविधान का अनुच्छेद 14, उड़े देश का आम नागरिक, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, डिजी यात्रा

मेन्स के लिये:

भारतीय वायुयान विधायक विधेयक, 2024, विमानन में स्थिरता, भारत का विमानन क्षेत्र

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में, संसद ने भारतीय वायुयान विधायक (BVV) विधेयक, 2024 पारित किया, जिसका उद्देश्य विमान अधिनियम 1934 (अंतिम बार 2020 में संशोधित) को प्रतिस्थापित करना और विमानन क्षेत्र में बड़े सुधार लाना है।

भारतीय वायुयान विधायक विधेयक, 2024 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • विमान अधिनियम 1934: विधेयक में विमान अधिनियम, 1934 के प्रावधानों को बरकरार रखा गया है, जिसके तहत नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA), नागरिक विमानन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) और विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (AAIB) की स्थापना की गई थी।
    • ये निकाय क्रमशः सुरक्षा, संरक्षा और दुर्घटना जाँच की देखरेख करना जारी रखेंगे।
    • विधेयक में DGCA या BCAS के आदेशों के विरुद्ध केंद्र सरकार के समक्ष अपील करने की व्यवस्था की गई है, जो अंतिम प्राधिकारी होगा।
  • एकल खिड़की मंजूरी: BVV विधेयक, 2024 रेडियो टेलीफोन ऑपरेटर प्रतिबंधित (RTR) प्रमाणपत्रों के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी दूरसंचार विभाग (DoT) से DGCA को सौंपता है।
    • इस परिवर्तन का उद्देश्य विमानन कर्मियों के लिये लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाना तथा दूरसंचार विभाग की RTR परीक्षाओं में भ्रष्टाचार को दूर करना है, जिससे DGCA की निगरानी में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
      • वैमानिकी उद्देश्यों के लिये RTR प्रमाणन या RTR (A) एक लाइसेंस है जो किसी व्यक्ति की विमान पर रेडियो संचार उपकरण का उपयोग करने की योग्यता को प्रमाणित करता है, मुख्य रूप से हवाई यातायात नियंत्रण संचार के लिये। यह भारत में पायलटों के लिये अनिवार्य है।
  • विमान डिज़ाइन का विनियमन: विधेयक DGCA को न केवल विमान के विनिर्माण, मरम्मत एवं रखरखाव को विनियमित करने का अधिकार देता है, बल्कि डिज़ाइन और उन स्थानों को भी विनियमित करने का अधिकार देता है जहाँ विमान डिज़ाइन किये जा रहे हैं।
    • इन नई शक्तियों के साथ, DGCA भारत में विमानन क्षेत्र की अधिक व्यापक और कुशल निगरानी सुनिश्चित कर सकेगा।
  • मध्यस्थ की नियुक्ति: विधेयक केंद्र सरकार को हवाई अड्डों के निकट भूमि अधिग्रहण से संबंधित मुआवजा विवादों को सुलझाने के लिये एकतरफा मध्यस्थ (ऐसा व्यक्ति जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिये योग्य हो या रहा हो) नियुक्त करने की अनुमति देता है। 

BVV विधेयक, 2024 के संबंध में चिंताएँ क्या हैं?

  • DGCA की स्वतंत्रता का अभाव: विधेयक DGCA को स्वतंत्र नियामकों के विपरीत प्रत्यक्ष सरकारी नियंत्रण में रखता है तथा विधेयक DGCA प्रमुख की योग्यता या कार्यकाल को निर्दिष्ट नहीं करता है, जिसके परिणामस्वरूप हितों के टकराव की संभावना हो सकती है तथा केंद्र सरकार का प्रभाव पड़ सकता है।
  • मध्यस्थता प्रक्रिया के मुद्दे: मुआवजा विवादों के लिये मध्यस्थ की एकतरफा नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन हो सकती है क्योंकि यह मध्यस्थता प्रक्रिया की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को कमज़ोर करती है।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि निष्पक्षता संबंधी चिंताओं के कारण ऐसी नियुक्तियाँ समानता के अधिकार का उल्लंघन हो सकती हैं।
    • विधेयक को मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 से छूट देने से सरकार मानकीकृत मध्यस्थता प्रक्रियाओं को दरकिनार करने का जोखिम उठा रही है, जिससे न्यायनिर्णयन में असंगतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • दंड की रूपरेखा: इस विधेयक में केंद्र सरकार को विमानन अपराधों के लिये दंड निर्धारित करने की अनुमति दी गई है, जिससे निश्चित विधिक दिशानिर्देशों के स्थान पर कार्यपालिका के विवेकाधिकार के कारण संभावित असंगति और निष्पक्षता के संबंध में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।

माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996

  • माध्यस्थम् न्यायालय प्रणाली के बाहर पक्षों के विवादों का समाधान करने की विधि है। यह सुलह और मध्यस्थता के साथ-साथ एक वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) विधि है।
  • भारत में मध्यस्थता की प्रक्रिया माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996 (2015, 2019 और 2021 में संशोधित) द्वारा शासित और विनियमित होती है।
    • 2019 संशोधन अधिनियम का उद्देश्य मध्यस्थ संस्थाओं की ग्रेडिंग और मध्यस्थों को मान्यता प्रदान करने हेतु भारतीय मध्यस्थता परिषद (ACI) की स्थापना करना था। हालाँकि, औपचारिक रूप से ACI की स्थापना अभी नहीं हुई है और इसका संचालन भी नहीं हुआ है।

विमानन क्षेत्र के संबंध में BVV विधेयक, 2024 के क्या निहितार्थ हैं?

  • सुव्यवस्थित लाइसेंसिंग: RTR प्रमाणन को DGCA के नियंत्रण में लाने का उद्देश्य प्रमाणन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का उन्मूलन और इसमें होने वाली देरी को कम करना है।
  • बेहतर निगरानी: विमान डिज़ाइन को विनियमित करने और दंड अधिरोपित करने की विस्तारित शक्तियों से सुरक्षा और अनुपालन में सुधार की संभावना है।
  • नियामक चुनौतियाँ: DGCA की स्वतंत्रता का आभाव और सरकारी केंद्रीकरण से संबंधित चिंताएँ निष्पक्षता एवं पारदर्शिता को प्रभावित कर सकती हैं।
  • निजी एयरलाइनों पर विनियामक बोझ: संकटपूर्ण उड़ान जैसे अपराधों के लिये कठोर दंड अधिरोपित किया गया है, जिसमें एक करोड़ रुपए जुर्माना और कारावास का प्रावधान है, हालाँकि दंड अधिरोपित करने की विवेकाधीन शक्ति चिंता उत्पन्न करती है।
  • नई अनुपालन आवश्यकताओं से निजी ऑपरेटरों की लागत में बढ़ोतरी हो सकती है।

भारत के विमानन उद्योग का परिदृश्य क्या है?

  • यात्रियों की संख्या में तीव्र वृद्धि: वित्त वर्ष 23 में घरेलू हवाई यातायात में यात्रियों की संख्या 306.79 मिलियन थी, जो कि गत वर्ष की तुलना में 13.5% अधिक है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय यातायात में 22.3% की वृद्धि के साथ इसमें यात्रियों की संख्या 69.64 मिलियन रही।
    • अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाज़ार है।
  • बुनियादी ढाँचे का विस्तार: वर्ष 2014 में क्रियाशील हवाई अड्डों की संख्या 74 थी जो 2024 में बढ़कर 157 हो गई है तथा 2047 तक इनकी संख्या 350-400 करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • बेड़े का विस्तार: भारतीय विमानन कंपनियों ने वर्ष 2023 में 112 नए विमान शामिल किये, जिससे कुल विमानों की संख्या 771 हो गई, तथा वर्ष 2027 तक 1,100 तक पहुँचने की योजना है।
  • बाज़ार और राजस्व वृद्धि: भारत का विमानन राजस्व वित्त वर्ष 24 में 15-20% और वित्त वर्ष 25 में 10-15% बढ़ने की उम्मीद है।
    • माल यातायात में स्थिर वृद्धि देखी गई, वित्त वर्ष 24 में घरेलू माल ढुलाई 1.32 मिलियन टन और अंतर्राष्ट्रीय माल ढुलाई 2.04 मिलियन टन रही।

विमानन उद्योग से संबंधित भारत की पहल क्या हैं?

  • नीतिगत हस्तक्षेप:
    • राष्ट्रीय नागरिक विमानन नीति 2016: NCAP 2016 का उद्देश्य वहनीयता और कनेक्टिविटी को बढ़ाकर, व्यापार में आसानी, विनियमन, सरलीकृत प्रक्रियाओं और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देकर आम जनता के लिये उड़ान को सुलभ बनाना है। 
    • उड़ान-RCS योजना: इसका उद्देश्य क्षेत्रीय हवाई संपर्क में सुधार करना है; 519 मार्गों पर परिचालन शुरू किया गया और 13 मिलियन से अधिक यात्रियों को लाभ मिला।
    • FDI नीति: केंद्र सरकार ने हवाई परिवहन और रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) जैसे विमानन क्षेत्रों में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी है।
  • बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण: डिजी यात्रा और NABH निर्माण जैसी पहल परिचालन दक्षता और यात्री अनुभव को बढ़ाती हैं।
    • 21 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 11 वर्ष 2023 तक चालू हो जाएंगी (डोनी पोलो हवाई अड्डा, ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश भारत का पहला ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा है)।
      • ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे, अविकसित भूमि पर शुरू से निर्मित विमानन सुविधाएँ हैं, जिन्हें पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करने के लिये पर्यावरण अनुकूल विशेषताओं के साथ डिजाइन किया गया है।
  • स्थिरता प्रयास: दिल्ली और मुंबई जैसे हवाई अड्डों ने लेवल 4+ कार्बन प्रमाणन हासिल किया।

आगे की राह

  • पारदर्शी मध्यस्थता ढाँचा: अनुच्छेद 14 के तहत समानता के संवैधानिक अधिकार को बनाए रखने के लिये मुआवजा विवादों के लिये स्वतंत्र तृतीय पक्ष की निगरानी शुरू करना।
  • नियामक स्वतंत्रता को मज़बूत करना: निष्पक्षता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये DGCA को एक स्वायत्त नियामक निकाय के रूप में कार्य करने हेतु पुनर्गठित करने पर विचार करना।
  • सुसंगत दंड ढाँचा: विमानन अपराधों से संबंधित दंड के लिये एक स्पष्ट और सुसंगत ढाँचा विकसित करना, कार्यकारी विवेक के दायरे को कम करना और निष्पक्षता सुनिश्चित करना।
  • समावेशी परामर्श प्रक्रिया: एयरलाइनों, विमानन कर्मियों और आम जनता सहित हितधारकों के साथ मिलकर फीडबैक एकत्र करना और चिंताओं का समाधान करना। इससे आम सहमति बनाने और यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि विधेयक के प्रावधान व्यावहारिक और प्रभावी हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारतीय वायुयान विधेयक 2024 के महत्व और भारत के विमानन क्षेत्र पर इसके प्रभावों पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स

प्रश्न: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के अधीन संयुक्त उपक्रमों के माध्यम से भारत में विमान पत्तनों के विकास का परीक्षण कीजिये। इस संबंध में प्राधिकरणों के समक्ष कौन-सी चुनौतियाँ हैं? (2017)