कॉटन कैंडी पर प्रतिबंध | 27 Mar 2024
प्रिलिम्स के लिये:कॉटन कैंडी, रोडामाइन B पर प्रतिबंध, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI), खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006। मेन्स के लिये:कॉटन कैंडी पर प्रतिबंध, खाद्य और पोषण असुरक्षा। |
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हिमाचल प्रदेश ने संभावित खतरनाक रंग एजेंट रोडामाइन B की उपस्थिति के बाद कॉटन कैंडी या कैंडी फ्लॉस के उत्पादन, बिक्री और भंडारण पर एक वर्ष का प्रतिबंध लगा दिया है।
- यह प्रतिबंध कर्नाटक, तमिलनाडु और गोवा जैसे राज्यों की तर्ज़ पर है, जिन्होंने हानिकारक रंजक एजेंटों पर समान प्रतिबंध लागू किये हैं।
- इन कृत्रिम रंगों से युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से कैंसर सहित दीर्घकालिक स्वास्थ्य ज़ोखिम उत्पन्न हो सकता है।
कॉटन कैंडी क्या है?
- कॉटन कैंडी, जिसे कुछ क्षेत्रों में कैंडी फ्लॉस या फेयरी फ्लॉस के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार की स्पन शुगर कन्फेक्शनरी है जो आमतौर पर कार्निवल, मेलों और मनोरंजन पार्कों में बेची जाती है।
- इसे चीनी को गर्म करके और द्रवीभूत करके बनाया जाता है तथा फिर इसे छोटे छिद्रों के माध्यम से घुमाया जाता है, जहाँ यह लंबे तंतुओं के रूप में ठंडा होकर, फिर से जमता चला जाता है।
- इन तंतुओं को एक शंकु या छड़ी पर एकत्रित किया जाता है, जिससे एक फूली हुई, कपास/रूई के फाहे जैसी संरचना बनती है।
रोडामाइन B क्या है?
- परिचय:
- रोडामाइन B एक रंजक एजेंट है जिसका उपयोग आमतौर पर वस्त्र, कागज़ और चमड़ा उद्योगों में किया जाता है। यह कलरेंट/रंजक एजेंट कम लागत का होता है और कभी-कभी इसका प्रयोग लोकप्रिय स्ट्रीट फूड आइटम जैसे कि गोभी मंचूरियन तथा कॉटन कैंडी को चटक रंग देने के लिये किया जाता है।
- यह रंजक एजेंट उपभोग के लिये उपयुक्त नहीं है क्योंकि इससे तीव्र विषाक्तता हो सकती है। इस रसायन के संपर्क में आने से आँख को भी नुकसान हो सकता है और श्वास नली में जलन हो सकती है।
- जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कैंसर कारक एजेंटों की एक सूची तैयार की गई है, जिसके अनुसार इसे मनुष्यों के लिये कैंसरकारी के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है, किंतु चूहों पर कुछ अध्ययन हुए हैं जिन्होंने इसके कैंसरजन्य प्रभाव को दर्शाया है।
- खाद्य उत्पादों में उपयोग:
- इसे आमतौर पर खाद्य उत्पादों में नहीं मिलाया जाता है, रोडामाइन B के मामले अमूमन छोटे शहरों में सड़क के किनारे खड़े होने वाले छोटे विक्रेताओं से संबंधित होते हैं।
- इसका कारण खाद्य पदार्थों में स्वीकार्य रंगों के संबंध में ज्ञान का अभाव है। छोटे विक्रेताओं को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि यह डाई/रंग हानिकारक हो सकता है क्योंकि इसका प्रभाव हमेशा उपभोग के तुरंत बाद महसूस नहीं होता है।
- इसका उपयोग प्रायः "अवैध रूप से" गोभी मंचूरियन, आलू वेज, बटर चिकन, अनार के जूस, छोटे पैमाने पर उत्पादित आइसक्रीम अथवा कॉटन कैंडी जैसे खाद्य उत्पाद में किया जाता है।
- इसे आमतौर पर खाद्य उत्पादों में नहीं मिलाया जाता है, रोडामाइन B के मामले अमूमन छोटे शहरों में सड़क के किनारे खड़े होने वाले छोटे विक्रेताओं से संबंधित होते हैं।
- वैधानिकता:
- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India- FSSAI) ने खाद्य उत्पादों में रोडामाइन B के उपयोग पर विशेष रूप से प्रतिबंध लगा दिया है।
- भोजन की तैयारी, प्रसंस्करण एवं वितरण में इस रसायन का किसी भी प्रकार उपयोग करना खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत दंडनीय है।
खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2006 के तहत किन खाद्य रंगों के उपयोग की अनुमति है?
- FSSAI खाद्य पदार्थों में बहुत कम प्राकृतिक और कृत्रिम रंगों के उपयोग की अनुमति देता है। जो निम्नलिखित हैं:
- प्राकृतिक खाद्य रंग:
- कैरोटीन और कैरोटीनॉयड (पीला, नारंगी): ये प्राकृतिक रंगद्रव्य हैं जो कई फलों व सब्ज़ियों, जैसे गाजर, कद्दू और टमाटर में पाए जाते हैं। इन खाद्य पदार्थों इनके मिश्रण से पीला, नारंगी और लाल रंग प्राप्त होता है।
- क्लोरोफिल (हरा): क्लोरोफिल पादपों के हरे रंग के लिये उत्तरदायी वर्णक है। इसका उपयोग प्रायः प्राकृतिक खाद्य रंग एजेंट के रूप में किया जाता है।
- राइबोफ्लेविन (पीला): राइबोफ्लेविन, जिसे विटामिन B2 के रूप में भी जाना जाता है, एक पीले रंग का यौगिक है जो विभिन्न खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। इसे कभी-कभी खाद्य रंग एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है।
- कैरेमल: कैरेमल एक प्राकृतिक खाद्य रंग एजेंट है जो चीनी को गर्म करने से प्राप्त होता है। कैरेमलाइज़ेशन की डिग्री के आधार पर इसका रंग हल्के पीले से लेकर गहरे भूरे तक हो सकता है।
- एन्नाट्टो (नारंगी-लाल): एन्नाट्टो एक प्राकृतिक खाद्य रंग है जो अचीओट पेड़ के बीजों से प्राप्त होता है। यह खाद्य पदार्थों को एक नारंगी-लाल रंग प्रदान करता है और आमतौर पर इसका उपयोग पनीर, मक्खन एवं अन्य डेयरी उत्पादों में किया जाता है।
- केसर: केसर एक मसाला है जो क्रोकस सैटाइवस पौधे के फूल से प्राप्त होता है। यह अपने गहरे पीले रंग के लिये जाना जाता है और दुनिया के सबसे महँगे मसालों में से एक है।
- करक्यूमिन (पीला, हल्दी से): करक्यूमिन हल्दी में पाया जाने वाला मुख्य सक्रिय यौगिक है। यह इस मसाले के पीले रंग के लिये ज़िम्मेदार है और इसका उपयोग प्राकृतिक खाद्य रंग एजेंट के रूप में किया जाता है।
- कृत्रिम रंग:
- पोंसेउ 4R: एक कृत्रिम लाल रंग जो आमतौर पर विभिन्न खाद्य तथा पेय उत्पादों में उपयोग किया जाता है।
- कार्मोइसिन: एक अन्य कृत्रिम लाल रंग जिसका प्रयोग प्राय: खाद्य पदार्थों को रंगने में किया जाता है।
- एरिथ्रोसिन: एक कृत्रिम लाल रंग जो आमतौर पर खाद्य पदार्थों को रंगने में उपयोग किया जाता है, विशेषकर मिठाइयों और कैंडी में।
- टार्ट्राज़िन तथा सनसेट येलो FCF: कृत्रिम पीले रंग व्यापक रूप से विभिन्न खाद्य उत्पादों में उपयोग किये जाते हैं।
- इंडिगो कारमाइन तथा ब्रिलियंट ब्लू FCF: खाद्य पदार्थों को रंगने में कृत्रिम नीले रंग का प्रयोग किया जाता है।
- फास्ट ग्रीन FCF: खाद्य उत्पादों में प्रयोग किया जाने वाला कृत्रिम हरा रंग।
- प्राकृतिक खाद्य रंग:
- हालाँकि, सभी खाद्य पदार्थों में स्वीकार्य खाद्य रंगों की भी अनुमति नहीं है। कुछ खाद्य पदार्थ जिनमें इन रंगों का उपयोग किया जा सकता है उनमें आइसक्रीम, बिस्कुट, केक, कन्फेक्शनरी, फलों के सिरप एवं क्रश, कस्टर्ड पाउडर, जेली क्रिस्टल तथा कार्बोनेटेड अथवा गैर-कार्बोनेटेड पेय शामिल हैं।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण क्या है?
- परिचय:
- FSSAI, वर्ष 2006 के खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत स्थापित एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है।
- वर्ष 2006 का अधिनियम, भोजन से संबंधित विभिन्न कानूनों को समेकित करता है, जैसे कि खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954, फल उत्पाद आदेश, 1955, मांस खाद्य उत्पाद आदेश, 1973, के साथ-साथ अन्य अधिनियम, जिनकी निगरानी पहले विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा की जाती थी।
- इस अधिनियम का उद्देश्य बहु-स्तरीय, बहु-विभागीय नियंत्रण से एकल कमांड लाइन की ओर बढ़ते हुए, खाद्य सुरक्षा एवं मानकों से संबंधित सभी मामलों के लिये एक एकल संदर्भ बिंदु स्थापित करना है।
- वर्ष 2006 का अधिनियम, भोजन से संबंधित विभिन्न कानूनों को समेकित करता है, जैसे कि खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954, फल उत्पाद आदेश, 1955, मांस खाद्य उत्पाद आदेश, 1973, के साथ-साथ अन्य अधिनियम, जिनकी निगरानी पहले विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा की जाती थी।
- FSSAI, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंर्तगत कार्य करते हुए, भारत में खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता को विनिमयन के साथ पर्यवेक्षण करके सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा और बढ़ावा देने के लिये भी ज़िम्मेदार है।
- FSSAI का मुख्यालय नई दिल्ली में है और साथ ही देश भर में आठ क्षेत्रों में इसके क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।
- FSSAI के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। इसका अध्यक्ष भारत सरकार के सचिव के पद के सामान पद पर आसीन व्यक्ति होता है।
- FSSAI, वर्ष 2006 के खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत स्थापित एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है।
- कार्य एवं शक्तियाँ:
- खाद्य उत्पादों और योजकों के लिये विनियमों तथा मानकों का निर्धारण।
- खाद्य व्यवसायों को लाइसेंस और रजिस्ट्रीकरण प्रदान करना।
- खाद्य सुरक्षा कानूनों और विनियमों का प्रवर्तन।
- खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता की निगरानी तथा पर्यवेक्षण।
- खाद्य सुरक्षा मुद्दों पर जोखिम मूल्यांकन और वैज्ञानिक अनुसंधान का संचालन करना।
- खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता पर प्रशिक्षण तथा जागरूकता बढ़ाना।
- खाद्य सुदृढ़ीकरण और जैविक खाद्य पदार्थों को प्रोत्साहन।
- खाद्य सुरक्षा मामलों पर अन्य एजेंसियों और हितधारकों के साथ समन्वय करना।
- कार्यक्रम और अभियान:
- विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस
- ईट राईट इंडिया
- ईट राईट स्टेशन
- ईट राईट मेला
- राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक
- RUCO (प्रयुक्त खाद्य तेल का पुन: उपयोग)
- खाद्य सुरक्षा मित्र
- 100 फूड स्ट्रीट
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न.निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिये भारत सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियों के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिये। (2021) |