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राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक 2022- 2023

  • 03 Nov 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक

मेन्स के लिये:

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण, खाद्य एवं पोषण असुरक्षा- संरचनात्मक असमानताओं का परिणाम

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा जारी राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (SFSI) 2022-2023 खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय राज्यों के प्रदर्शन पर प्रकाश डालता है।

  • वर्ष 2022- 2023 सूचकांक ने एक नया पैरामीटर, 'SFSI रैंक में सुधार' पेश किया, जो विगत वर्ष से तुलना कर राज्य की प्रगति का आकलन करता है। इस परिवर्तन को समायोजित करने के लिये अन्य मापदंडों के भार को संशोधित किया गया।

राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (SFSI): 

  • यह एक वार्षिक मूल्यांकन है जो खाद्य सुरक्षा पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
  • सूचकांक एक गतिशील बेंचमार्किंग दृष्टिकोण है जो सभी राज्यों और क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा का आकलन करने हेतु एक निष्पक्ष रूपरेखा प्रदान करने के लिये मात्रात्मक एवं गुणात्मक विश्लेषण को जोड़ता है।
  • देश में खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में प्रतिस्पर्द्धी और सकारात्मक बदलाव लाने के लिये SFSI की शुरुआत वर्ष 2018-19 में की गई थी।

सूचकांक के प्रमुख निष्कर्ष:

  • राज्य खाद्य सुरक्षा स्कोर में सामान्य गिरावट:
    • पिछले पाँच वर्षों में महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात और आंध्र प्रदेश सहित 20 बड़े भारतीय राज्यों में से 19 ने वर्ष 2019 की तुलना में अपने 2022-2023 के SFSI स्कोर में गिरावट का अनुभव किया है।

  • 2023 के सूचकांक मापदंड समायोजन का प्रभाव:
    • सत्र 2022- 2023 के सूचकांक में पेश किये गए एक नए मापदंड के समायोजन के बाद 20 में से 15 राज्यों ने वर्ष 2019 की तुलना में 2022-2023 में कम SFSI स्कोर अर्जित किया।
  • राज्यों की उनकी संबंधित श्रेणियों में समग्र रैंकिंग:

  • खाद्य परीक्षण अवसंरचना' में गिरावट:
    • 'खाद्य परीक्षण अवसंरचना' पैरामीटर खाद्य नमूनों के परीक्षण के लिये प्रत्येक राज्य में प्रशिक्षित कर्मियों के साथ पर्याप्त परीक्षण बुनियादी ढाँचे की उपलब्धता को मापता है।
    • इस पैरामीटर में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, सभी बड़े राज्यों का औसत स्कोर वर्ष 2019 में 20 में से 13 से गिरकर वर्ष 2022 - 2023 में 17 में से 7 रह गया।
      • वर्ष 2022-2023 में इस पैरामीटर में गुजरात और केरल का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा जबकि आंध्र प्रदेश का प्रदर्शन सबसे खराब रहा।
  • अनुपालन स्कोर में कमी:
    • यह पैरामीटर प्रत्येक राज्य के खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण द्वारा किये गए खाद्य व्यवसायों के लाइसेंस और पंजीकरण, किये गए निरीक्षण, आयोजित विशेष अभियानों, शिविरों व ऐसे अन्य अनुपालन-संबंधित कार्यों को मापता है।
    • इसके साथ ही 'अनुपालन' पैरामीटर के स्कोर में भी गिरावट दर्ज की गई।
      • इस पैरामीटर में पंजाब और हिमाचल प्रदेश को सबसे अधिक अंक प्राप्त हुए और झारखंड को सबसे कम अंक प्राप्त हुए।
    • सभी बड़े राज्यों के लिये वर्ष 2022-2023 का औसत अनुपालन स्कोर 28 में से 11 रहा, जबकि वर्ष 2019 में यह 30 में से 16 था।
  • विविध उपभोक्ता सशक्तीकरण:
    • 'उपभोक्ता सशक्तीकरण' पैरामीटर, FSSAI की विभिन्न उपभोक्ता सशक्तीकरण पहलों में राज्य के प्रदर्शन को मापता है, जिसमें फूड फोर्टिफिकेशन, ईट राइट कैंपस, भोग (भगवान को चढ़ावा), रेस्तरां की स्वच्छता रेटिंग और स्वच्छ स्ट्रीट फूड हब में साझेदारी  शामिल है।
      • केरल और मध्य प्रदेश के बाद तमिलनाडु शीर्ष प्रदर्शनकर्ता के रूप में उभरा।
    • कुल मिलाकर वर्ष 2022-2023 में औसत स्कोर 19 में से 8 अंक है, जबकि वर्ष 2019 में यह 20 में से 7.6 अंक था।
  • मानव संसाधन और संस्थागत डेटा स्कोर में गिरावट:
    • 'मानव संसाधन और संस्थागत डेटा' पैरामीटर प्रत्येक राज्य में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों, अन्य नामित अधिकारियों की संख्या और निर्णय तथा अपीलीय न्यायाधिकरणों की सुविधा सहित मानव संसाधनों की उपलब्धता को मापता है। 
      • इस पैरामीटर के लिये औसत स्कोर वर्ष 2019 में 20 में से 11 अंक से गिरकर 2022-2023 में 18 में से 7 अंक हो गया।
      • यहाँ तक कि वर्ष 2019 में तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों को भी वर्ष 2022-2023 में कम अंक मिले।
  • 'प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण' में सुधार:
    • औसत स्कोर वर्ष 2019 में 10 में से 3.5 से बढ़कर वर्ष 2022-2023 में 8 में से 5 हो गया।
  • SFSI रैंक में सुधार:
    • नए पैरामीटर 'SFSI की रैंक' में केवल पंजाब में ही उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
    • SFSI रैंक पैरामीटर में सुधार, जिसका वर्ष 2022-2023 में 10% वेटेज था, में 20 बड़े राज्यों में से 14 राज्यों को 0 अंक प्राप्त हुए।

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