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शासन व्यवस्था

असम समझौते का रोडमैप

  • 12 Oct 2024
  • 11 min read

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

असम समझौते की धारा 6, नागरिकता अधिनियम,1955 की धारा 6A, बांग्लादेश मुक्ति युद्ध 1971, बोडोलैंड प्रादेशिक स्वायत्त ज़िला, छठी अनुसूची के तहत असम की स्वायत्त परिषदें, इनर लाइन परमिट

मुख्य परीक्षा के लिये:

न्यायमूर्ति बिप्लब कुमार शर्मा समिति की 52 सिफारिशें, असम समझौते के खंड 6 का प्रभाव।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

असम सरकार, असम समझौते की धारा 6 के संबंध में न्यायमूर्ति बिप्लब कुमार शर्मा समिति द्वारा प्रस्तुत 52 सिफारिशों को लागू करने के क्रम में 25 अक्टूबर 2024 तक एक रोडमैप का मसौदा तैयार करने की योजना बना रही है।

असम समझौते की धारा 6 क्या है?

  • धारा 6:
    • इस समझौते की धारा 6 में असम के लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान एवं विरासत को संरक्षित करने एवं बढ़ावा देने के लिये संवैधानिक, विधायी तथा प्रशासनिक सुरक्षा का वादा किया गया है।
    • इसका मुख्य उद्देश्य असम के लोगों की स्वदेशी पहचान की रक्षा करना था।
  • असम समझौता:
    • वर्ष 1985 में हस्ताक्षरित असम समझौता केंद्र सरकार, असम राज्य सरकार और असम आंदोलन के नेताओं के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता था जिसका उद्देश्य बांग्लादेश में अवैध प्रवासियों के प्रवेश को रोकना था।
    • इसके परिणामस्वरूप नागरिकता अधिनियम,1955 की धारा 6A को विशेष रूप से असम के संदर्भ में शामिल किया गया।

बिप्लब शर्मा समिति की रिपोर्ट क्या है?

पृष्ठभूमि:

  • जुलाई 2019 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने समझौते की धारा 6 को लागू करने के तरीके सुझाने हेतु एक 14 सदस्यीय समिति का गठन किया।
    • इस समिति की अध्यक्षता असम उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बिप्लब कुमार शर्मा ने की और इसमें न्यायाधीश, सेवानिवृत्त नौकरशाह, लेखक, AASU नेता तथा पत्रकार शामिल थे।

असम के लोगों की परिभाषा:

  • इस समिति ने फरवरी 2020 में अपनी रिपोर्ट पूरी की और सिफारिश की कि "असम के लोगों" की परिभाषा में निम्नलिखित शामिल होना चाहिये:
    • स्थानीय जनजाति
    • असम के अन्य स्थानीय समुदाय,
    • 1 जनवरी 1951 को या उससे पहले असम में रहने वाले भारतीय नागरिक तथा उनके वंशज,
    • असम के स्थानीय लोग

अनुशंसाएँ: 

  • इस समिति की 52 सिफारिशें मुख्य रूप से भाषा, भूमि और सांस्कृतिक विरासत से संबंधित सुरक्षा उपायों पर केंद्रित हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • भूमि:
    • ऐसे राजस्व मंडलों की स्थापना की जाए जहाँ केवल "असम के लोग" ही भूमि का स्वामित्व और हस्तांतरण कर सकें तथा उचित दस्तावेज के बिना भूमि पर कब्जा करने वालों को भूमि का स्वामित्व प्रदान करने के क्रम में तीन वर्षीय कार्यक्रम लागू किया जाए।
    • चार क्षेत्रों (ब्रह्मपुत्र के किनारे नदी क्षेत्र) का विशेष सर्वेक्षण किया जाए तथा भूमि आवंटन में कटाव प्रभावित लोगों को प्राथमिकता दी जाए।
  • भाषा:
    • असम की स्थानीय भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये एक स्वायत्त भाषा और साहित्य अकादमी/परिषद की स्थापना की जाए।
    • राज्य बोर्ड और सीबीएसई के अंतर्गत सभी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में कक्षा आठवीं या दसवीं तक असमिया को अनिवार्य विषय बनाया जाए।
  • सांस्कृतिक विरासत:
    • वित्तीय सहायता के साथ सत्र (नव-वैष्णव मठों) के विकास के लिये एक स्वायत्त प्राधिकरण की स्थापना की जाए।
      • सभी जातीय समूहों की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिये प्रत्येक ज़िले में बहुउद्देशीय सांस्कृतिक परिसर विकसित किये जाएँ।
    • असम में छठी अनुसूची की स्वायत्त परिषदों (बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद, उत्तरी कछार हिल्स स्वायत्त परिषद और कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद) द्वारा इन 52 सिफारिशों को लागू करने पर निर्णय लिया जाए।
      • छठी अनुसूची के क्षेत्रों के साथ-साथ मुख्यतः बंगाली भाषी बराक घाटी को इन सिफारिशों से छूट दी जाए।
    • संसद, राज्य विधानसभा, स्थानीय निकायों और नौकरियों में “असम के लोगों” के लिये आरक्षण दिया जाए।

शामिल न की गई सिफारिशें:

  • इस समिति की कुछ सबसे संवेदनशील सिफारिशें राज्य सरकार द्वारा सूचीबद्ध 52 बिंदुओं में शामिल नहीं हैं जैसे:
    • असम में प्रवेश के लिये नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मिज़ोरम की तरह इनर लाइन परमिट की शुरुआत।
    • “असम के लोगों” के लिये आरक्षण।
    • एक उच्च सदन (असम विधान परिषद) का निर्माण, जो पूरी तरह से “असम के लोगों” के लिये आरक्षित हो।

असम समझौते के कार्यान्वयन में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • असमिया पहचान को परिभाषित करने की जटिलता: "असमिया लोगों" को परिभाषित करने की समिति की सिफारिश से इस बात पर विवाद हो सकता है कि खंड 6 के तहत सुरक्षा के लिये कौन पात्र है और इससे विभिन्न जातीय समूहों के बीच असंतोष बढ़ सकता है।
  • भूमि स्वामित्व और अधिकार: "असमिया लोगों" द्वारा विशेष भूमि स्वामित्व के लिये राजस्व मंडलों की स्थापना से महत्त्वपूर्ण कानूनी और प्रशासनिक मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं। चर क्षेत्रों में भूमि आवंटन के लिये सर्वेक्षण करना तार्किक चुनौतियों को प्रस्तुत करता है
  • भाषा संबंधी नीतियाँ: असमिया को आधिकारिक भाषा बनाने तथा विद्यालयों में इसे अनिवार्य बनाने की आवश्यकता को, विशेष रूप से बराक घाटी जैसे  बंगाली-प्रधान क्षेत्रों में, विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
  • वित्तपोषण एवं प्रबंधन: सत्रों एवं सांस्कृतिक परिसरों के लिये स्वायत्त प्राधिकरण की स्थापना हेतु पर्याप्त वित्तपोषण एवं प्रभावी प्रबंधन संरचना की आवश्यकता हो सकती है।
  • राजनीतिक एवं नौकरशाही का विरोध: जिन सिफारिशों के लिये केंद्र सरकार की सहमति की आवश्यकता होती है, उसमें विलंब या विरोध की संभावना होती है, जिससे कार्यान्वयन प्रक्रिया जटिल हो सकती है। 
  • बराक घाटी के लिये छूट: बराक घाटी और छठी अनुसूची में सूचीबद्ध क्षेत्रों को इन सिफारिशों से छूट देने से राज्य के भीतर असमानता और विभाजन की धारणा उत्पन्न हो सकती है, जिससे मौज़ूदा क्षेत्रीय तनाव और भी बढ़ सकता है।

आगे की राह

  • हितधारकों की सहभागिता:
    • "असमिया लोगों" की परिभाषा पर आम सहमति बनाने और सिफारिशों का समावेशी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न जातीय समूहों, नागरिक समाज संगठनों और राजनीतिक संस्थाओं समेत सभी हितधारकों के साथ निरंतर संवाद को बढ़ावा देना शामिल है।
  • चरणबद्ध कार्यान्वयन:
    • कार्यान्वयन के लिये चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाना, उन सिफारिशों को प्राथमिकता देना जो कम विवादास्पद हों और त्वरित परिणाम देती हों, जैसे कि शिक्षा में भाषा संबंधी नीतियाँ, जबकि धीरे-धीरे भूमि स्वामित्व और पहचान जैसे अधिक जटिल मुद्दों का समाधान किया जाए।
  • क्षमता निर्माण:
    • स्थानीय अधिकारियों और सामुदायिक नेताओं के लिये भूमि सर्वेक्षण और शीर्षक वितरण को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की क्षमता निर्माण में निवेश करना। इससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और समुदायों के बीच विश्वास का निर्माण होगा।
  • संसाधनों का आवंटन:
    • सांस्कृतिक प्राधिकरणों और शिक्षा सुधारों की स्थापना का समर्थन करने के लिये पर्याप्त धन और संसाधन सुरक्षित करना, यह सुनिश्चित करना कि ये पहल सतत् और प्रभावी ढंग से प्रबंधित हों।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: असम समझौता समिति की प्रमुख सिफारिशों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये तथा उनके कार्यान्वयन में राजनीतिक, सांस्कृतिक और कानूनी जटिलताओं पर प्रकाश डालिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. भारत में केवल एक ही नागरिकता और एक ही अधिवास है।
  2. जो व्यक्ति जन्म से नागरिक हो, केवल वही राष्ट्रध्यक्ष बन सकता है।
  3. जिस विदेशी को एक बार नागरिकता दे दी गई है, किसी भी परिस्थिति में उसे इससे वंचित नहीं किया जा सकता।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3 
(d) 2 और 3

उत्तर: (a)

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