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भारतीय राजनीति

नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6A

  • 08 Dec 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संविधान पीठ, भारत का मुख्य न्यायाधीश, नागरिकता अधिनियम, 1955, असम समझौता, नागरिकता

मेन्स के लिये:

भारतीय नागरिकता की प्राप्ति और निर्धारण, नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के मुख्य न्यायधीश के नेतृत्व में एक संविधान पीठ द्वारा नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6A की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की गई।

  • संविधान पीठ ने स्पष्ट किया है कि वह मात्र धारा 6A की वैधता की जाँच करेगी, न कि असम राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) की।

नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6A:

  • पृष्ठभूमि:
    • वर्ष 1985 के असम समझौते के बाद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 1985 के हिस्से के रूप में धारा 6A को अधिनियमित किया गया था।
      • असम समझौता केंद्र सरकार, असम राज्य सरकार और असम आंदोलन के नेताओं के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता था, जिसका उद्देश्य बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों की घुसपैठ को रोकना करना था।
    • वर्ष 1985 में हस्ताक्षरित असम समझौते द्वारा विशेष रूप से असम के लिये वर्ष 1955 के नागरिकता अधिनियम में धारा 6A को शामिल किया गया था।
      • यह प्रावधान वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध से पूर्व बड़े पैमाने पर प्रवासन के मुद्दे का समाधान करता है। यह विशेष रूप से 25 मार्च, 1971 (बांग्लादेश का निर्माण) के बाद असम में प्रवेश करने वाले बाहरी लोगों का पता लगाने तथा उनका निर्वासन अनिवार्य करता है।
      • धारा 6A इस महत्त्वपूर्ण अवधि के दौरान असम के समक्ष विशिष्ट ऐतिहासिक और जनसांख्यिकीय चुनौतियों को संबोधित करती है।
  • प्रावधान एवं निहितार्थ:
    • धारा 6A ने असम के लिये एक विशेष प्रावधान किया जिसके द्वारा 1 जनवरी, 1966 से पहले बांग्लादेश से आए भारतीय मूल के व्यक्तियों को उस तिथि के अनुसार भारत का नागरिक माना जाता था।
    • भारतीय मूल के व्यक्ति जो 1 जनवरी, 1966 और 25 मार्च, 1971 के मध्य असम आए थे और जिनके विदेशी होने का पता चला था, उन्हें अपना पंजीकरण कराना आवश्यक था तथा कुछ शर्तों के अधीन 10 साल के निवास के बाद उन्हें नागरिकता प्रदान की गई थी।
    • 25 मार्च, 1971 के बाद असम में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों का पता लगाया जाना था और कानून के अनुसार उन्हें निर्वासित किया जाना था।
  • चुनौतियाँ:
    • संवैधानिक वैधता:
      • अनुच्छेद 6:
        • याचिकाकर्त्ताओं का तर्क है कि धारा 6A संविधान के अनुच्छेद 6 का उल्लंघन है।
        • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 6 विभाजन के दौरान पाकिस्तान से भारत आए लोगों की नागरिकता से संबंधित है।
        • इस अनुच्छेद में कहा गया है कि जो कोई भी 19 जुलाई, 1949 से पहले भारत आया, वह स्वतः ही भारतीय नागरिक बन जाएगा यदि उसके माता-पिता या दादा-दादी में से किसी एक का जन्म भारत में हुआ हो।
        • इससे प्रावधान की कानूनी और संवैधानिक वैधता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
      • अनुच्छेद 14:
        • आलोचकों का तर्क है कि धारा 6A संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन कर सकती है, जो समता के अधिकार की गारंटी देता है।
          • इस प्रावधान को भेदभावपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह विशिष्ट नागरिकता मानदंडों के चलते असम को अलग करता है।
        • यह प्रावधान केवल असम पर लागू है और यह चयनात्मक आवेदन प्रवासन के समान मुद्दों का सामना करने वाले अन्य राज्यों की तुलना में समान व्यवहार और निष्पक्षता के बारे में चिंता उत्पन्न करता है।
    • जनसांख्यिकीय प्रभाव:
      • कुछ याचिकाकर्त्ताओं द्वारा कथित तौर पर बांग्लादेश से असम में अवैध प्रवासियों की आमद बढ़ाने में योगदान देने के लिये धारा 6A के तहत नागरिकता देने की आलोचना की गई है।
      • चिंताएँ अवैध प्रवासन को प्रोत्साहित करने के अनपेक्षित परिणाम और राज्य की जनसांख्यिकीय संरचना पर इसके परिणामी प्रभाव पर केंद्रित हैं।
      • याचिकाकर्त्ताओं का तर्क है कि धारा 6A के तहत असम में प्रवासी आबादी को नागरिकता प्रदान करना "अवैधता को बढ़ावा देना" है।
        • उनका दावा है कि इन व्यक्तियों को नागरिक के रूप में मान्यता देने वाले इस प्रावधान का कई गुना प्रभाव देखा गया है, जिससे निरंतर वृद्धि ही हुई है।
    • सांस्कृतिक प्रभाव:
      • याचिकाकर्त्ताओं का तर्क है कि वर्ष 1966 और वर्ष 1971 के बीच सीमा पार प्रवासियों को दिये गए लाभों से असम की सांस्कृतिक पहचान को प्रभावित करने वाले आमूल-चूल जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुए।

नागरिकता क्या है?

  • परिचय:.
    • नागरिकता एक व्यक्ति और राज्य के बीच की कानूनी स्थिति एवं संबंध है जिसमें विशिष्ट अधिकार तथा कर्तव्य शामिल होते हैं।
  • संविधानिक उपबंध:
    • भारतीय संविधान के भाग II में अनुच्छेद 5 से 11 तक नागरिकता के पहलुओं से संबंधित हैं, जैसे- जन्म, वंश, समीकरण, रजिस्ट्रीकरण और त्यजन व पर्यवसान द्वारा नागरिकता का अर्जन।
    • नागरिकता संविधान के तहत संघ सूची में सूचीबद्ध है तथा इस प्रकार यह संसद की अनन्य विशेष अधिकारिता के अंतर्गत है।
  • नागरिकता अधिनियम:
    • भारत में नागरिकता के मामलों को विनियमित करने के लिये संसद ने नागरिकता अधिनियम, 1955 लागू किया है।
    • नागरिकता अधिनियम, 1955 को इसके अधिनियमित होने के बाद से छह बार संशोधित किया गया है। ये संशोधन वर्ष 1986, 1992, 2003, 2005, 2015 और 2019 में किये गए थे।
    • नवीनतम संशोधन वर्ष 2019 में किया गया था, जिसके तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश तथा पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाई समुदायों के कुछ अवैध प्रवासियों को नागरिकता प्रदान की गई, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 को अथवा उससे पूर्व भारत में प्रवेश किया था।

विधिक दृष्टिकोण

नागरिकता के बारे में विस्तार से पढ़ें

https://www.drishtijudiciary.com/

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. भारत में केवल एक ही नागरिकता और एक ही अधिवास है।
  2. जो व्यक्ति जन्म से नागरिक हो, केवल वही राष्ट्राध्यक्ष बन सकता है।
  3. जिस विदेशी को एक बार नागरिकता दे दी गई है, किसी भी परिस्थिति में उसे इससे वंचित नहीं किया जा सकता।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (a)

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