सामाजिक न्याय
ASER 2024 और प्रारंभिक शिक्षा
- 29 Jan 2025
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:गैर सरकारी संगठन, वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER), आँगनवाड़ी, डिजिटल साक्षरता, प्रारंभिक शिक्षा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, पीएम श्री स्कूल मेन्स के लिये:वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 के निष्कर्ष, प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित चिंताएँ और आगे की राह |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
गैर सरकारी संगठन प्रथम फाउंडेशन ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूली छात्रों के अधिगम के परिणामों पर वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 जारी की।
- यह रिपोर्ट वर्ष 2024 में 605 ग्रामीण ज़िलों के 17,997 गाँवों में किये गये सर्वेक्षण पर आधारित है।
- इसमें 3 से 16 वर्षीय आयु वर्ग के 649,491 बच्चों का डेटा है और 5 से 16 वर्षीय आयु वर्ग के 500,000 से अधिक बच्चों के पढ़ने और अंकगणित कौशल का परीक्षण किया गया।
ASER क्या है?
- परिचय: ASER एक राष्ट्रव्यापी, नागरिक-नेतृत्व वाला घरेलू सर्वेक्षण है जो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की स्कूली शिक्षा और उनके अधिगम की गहन जानकारी प्रदान करता है।
- वर्ष 2005 में शुरू किये गए ASER के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक प्रवृत्तियों और विद्यमान चुनौतियों की निगरानी की जाती है तथा इस रिपोर्ट के कवरेज, फोकस और आवृत्ति को आवश्यकतानुसार अनुकूलित किया जाता है।
- फोकस क्षेत्र:
- नामांकन: ASER के अंतर्गत स्कूल और प्रीस्कूल नामांकन प्रवृत्तियों को ट्रैक किया जाता है तथा राज्य तथा आयु वर्ग के अनुसार संबंधित सुधारों एवं चुनौतियों पर प्रकाश डाला जाता है।
- अधिगम के परिणाम: इसमें मूल रूप से पढ़ने और अंकगणित कौशल की क्षमता का आकलन किया जाता है तथा प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर पर बच्चों की प्रगति का विवरण दिया जाता है।
- डिजिटल साक्षरता: ASER 2024 में अपेक्षाकृत अधिक आयु के बच्चों के स्मार्टफोन कौशल का मूल्यांकन किया गया है, जिसमें अलार्म सेट करना, ब्राउज़िंग और संदेश भेजने जैसे कार्यों को शामिल किया गया है।
रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- प्री-प्राइमरी (3 से 5 वर्षीय आयु वर्ग):
- नामांकन: पूर्व-प्राथमिक संस्थानों (आँगनवाड़ी, सरकारी पूर्व-प्राथमिक कक्षा, या निजी एलकेजी/यूकेजी) में होने वाले नामांकन में वर्ष 2018 से निरंतर वृद्धि हो रही है।
- उदाहरण के लिये, 3 वर्ष के बच्चों का नामांकन वर्ष 2018 में 68.1% था जो वर्ष 2024 में बढ़कर 77.4% हो गया।
- पूर्व-प्राथमिक संस्थान: आँगनवाड़ी केंद्र पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के मुख्य प्रदाता हैं, जहाँ 3-4 वर्ष की आयु के आधे से अधिक बच्चे दाखिला लेते हैं, जबकि 5 वर्ष की आयु के एक तिहाई बच्चे निजी स्कूलों या प्रीस्कूलों में जाते हैं।
- नामांकन: पूर्व-प्राथमिक संस्थानों (आँगनवाड़ी, सरकारी पूर्व-प्राथमिक कक्षा, या निजी एलकेजी/यूकेजी) में होने वाले नामांकन में वर्ष 2018 से निरंतर वृद्धि हो रही है।
- प्राथमिक (आयु समूह 6-14 वर्ष):
- कुल नामांकन: नामांकन वर्ष 2022 में 98.4% से थोड़ा कम होकर वर्ष 2024 में 98.1% तथा सरकारी स्कूल में नामांकन 7.9 % से घटकर 66.8% हो गए हैं।
- पठन एवं अंकगणित कौशल: वर्ष 2024 में, सरकारी स्कूलों में कक्षा III के 23.4% बच्चे कक्षा II स्तर की पाठ्य सामग्री पढ़ सकेंगे, जो वर्ष 2022 में 16.3% से अधिक है।
- वर्ष 2024 में, कक्षा आठ के 45.8% विद्यार्थी बुनियादी अंकगणितीय समस्याओं को हल कर सकेंगे, जो कि मामूली सुधार दर्शाता है।
- पढ़ने के कौशल की तुलना में अंकगणितीय क्षमताओं में अधिक सुधार हुआ है तथा सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों की तुलना में अधिक तेज़ी से प्रगति हुई है।
- बड़े बच्चे (आयु समूह 15-16 वर्ष):
- नामांकन: 15-16 वर्ष के बच्चों के लिये स्कूल छोड़ने की दर वर्ष 2018 में 13.1% से घटकर वर्ष 2024 में 7.9% हो गई है, जिसमें लड़कियों की दर 8.1% अधिक है।
- स्मार्टफोन तक पहुँच और उपयोग ( डिजिटल साक्षरता ) :
- पहुँच: 14-16 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 90% बच्चों के पास स्मार्टफोन तक पहुँच है, तथा लड़के (85.5%), लड़कियों (79.4%) की तुलना में इसका अधिक उपयोग करते हैं।
- स्वामित्व: 14 वर्ष के 27% बच्चों और 16 वर्ष के 37.8% बच्चों के पास स्मार्टफोन हैं।
- उपयोग: 82.2% बच्चे स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं, जिनमें से 57% शिक्षा के लिये और 76% सोशल मीडिया के लिये उपयोग करते हैं।
- डिजिटल सुरक्षा: 62% बच्चे जानते हैं कि प्रोफाइल को कैसे ब्लॉक/रिपोर्ट करना है, और 55.2% जानते हैं कि प्रोफाइल को निज़ी उपयोग हेतु कैसे बनाना है।
- स्कूल अवलोकन:
- आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN): 80% से अधिक स्कूलों ने FLN गतिविधियों को क्रियान्वित किया, इनमें से 75% स्कूलों में कम-से-कम एक शिक्षक को FLN प्रशिक्षण प्राप्त हुआ।
- उपस्थिति: छात्र उपस्थिति वर्ष 2018 में 72.4% से बढ़कर वर्ष 2024 में 75.9% हो गई है और शिक्षकों की उपस्थिति 85.1% से बढ़कर 87.5% हो गई।
- स्कूल सुविधाएँ: बुनियादी स्कूल सुविधाओं की उपलब्धता में मामूली सुधार हुआ:
- बालिकाओं के लिये उपयोग योग्य शौचालयों की संख्या वर्ष 2018 में 66.4% से बढ़कर वर्ष 2024 में 72% हो जाएगी।
- पेयजल की उपलब्धता 74.8% से बढ़कर 77.7% हो गई है।
- छात्रों द्वारा गैर-पाठ्यपुस्तक पुस्तकों (जैसे, उपन्यास, लघु कथाएँ, लोक कथाएँ) का उपयोग 36.9% से बढ़कर 51.3% हो गया है।
- खेल के मैदान वाले स्कूलों का प्रतिशत लगभग 66% पर स्थिर रहा।
- परिणाम में अंतर: कोविड-19 महामारी के बाद से अधिगम के परिणामों और सुधार में राज्य-स्तरीय महत्त्वपूर्ण अंतर हैं।
- कक्षा III में, आधे से अधिक राज्यों में पढ़ने की क्षमता वर्ष 2018 के स्तर से पीछे रही, लेकिन छह को छोड़कर सभी में अंकगणित में सुधार हुआ।
- कक्षा V और VIII में, कई राज्य अंकगणित में भी पूर्व-महामारी के स्तर तक नहीं पहुँच पाए।
प्रारंभिक शिक्षा क्या है?
- परिचय: प्रारंभिक शिक्षा संपूर्ण शैक्षिक प्रणाली की नींव है, जो आमतौर पर छह वर्ष की आयु से शुरू होती है।
- यह औपचारिक शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक है, जो बच्चे के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक और सामाजिक विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- महत्त्व:
- भविष्य की शिक्षा के लिये आधार: यह उच्च शिक्षा और करियर के लिये आवश्यक मूल कौशल (पढ़ना, लिखना, गणित, समस्या समाधान) प्रदान करता है।
- सामाजिक कौशल का विकास: बच्चे सहपाठियों और शिक्षकों के साथ अंतः क्रिया के माध्यम से टीम वर्क, संचार और सहानुभूति सीखते हैं।
- व्यक्तिगत और भावनात्मक विकास: इससे आत्मविश्वास और प्रेरणा बढ़ती है, तथा बच्चों को अपनी क्षमता और रचनात्मकता का पता लगाने का अवसर मिलता है।
- मोटर कौशल का संवर्द्धन: खेल और रचनात्मक अभिव्यक्ति जैसी गतिविधियाँ सूक्ष्म और स्थूल मोटर कौशल का विकास करती हैं।
- सामाजिक जागरूकता का निर्माण: बच्चे स्वच्छता, सामाजिक ज़िम्मेदारियों और नागरिक कर्त्तव्यों के बारे में सीखते हैं, जिससे वे भविष्य के जागरूक नागरिक बनते हैं।
- दीर्घकालिक आर्थिक प्रभाव: प्रारंभिक शिक्षा में निवेश आर्थिक विकास, नवाचार और उत्पादकता को बढ़ाता है।
- चुनौतियाँ:
- निम्नस्तरीय स्कूल अवसंरचना: भारत में 14.71 लाख से अधिक स्कूलों में से 1.52 लाख में विद्युत् की सुविधा नहीं है, जिससे शिक्षण में कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी प्रौद्योगिकी के उपयोग में बाधा आ रही है।
- 67,000 स्कूलों में, जिनमें 46,000 सरकारी स्कूल शामिल हैं, कार्यात्मक शौचालयों का अभाव है। केवल 3.37 लाख सरकारी स्कूलों (33.2%) में दिव्यांगों के अनुकूल शौचालय हैं, जिनमें से एक तिहाई से भी कम क्रियाशील हैं।
- प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुँच: केवल 43.5% सरकारी स्कूलों में शिक्षण के लिये कंप्यूटर हैं, जबकि निजी, गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में यह संख्या 70.9% है।
- निम्नस्तरीय शिक्षक-छात्र अनुपात: भारत में लगभग एक लाख स्कूल ऐसे हैं जिनमें प्रत्येक में केवल एक शिक्षक है।
- सामाजिक विभाजन: जाति-वर्ग, ग्रामीण-शहरी, धार्मिक और लैंगिक असमानताएँ जैसी सामाजिक विभाजनकारी स्थितियाँ शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।
- भाषा संबंधी बाधाएँ: क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों और सामग्री की कमी के कारण हिंदी/अंग्रेज़ी माध्यम में दक्षता न रखने वालों के लिये शिक्षा तक पहुँच सीमित हो जाती है।
- निम्नस्तरीय स्कूल अवसंरचना: भारत में 14.71 लाख से अधिक स्कूलों में से 1.52 लाख में विद्युत् की सुविधा नहीं है, जिससे शिक्षण में कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी प्रौद्योगिकी के उपयोग में बाधा आ रही है।
शिक्षा से संबंधित सरकारी पहल क्या हैं?
- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संवर्धित शिक्षा कार्यक्रम
- सर्व शिक्षा अभियान
- प्रज्ञाता
- मध्याह्न भोजन योजना
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
- पीएम श्री स्कूल
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020
आगे की राह
- शीघ्र हस्तक्षेप: सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों पर ध्यान केंद्रित करके प्रतिधारण बढ़ाने के लिये तत्काल हस्तक्षेप किया जाना चाहिये।
- उन बच्चों के लिये अनुकूल, अंशकालिक शिक्षा शुरू करनी चाहिये जिन्हें कार्य करना पड़ता है या घर पर सहायता करनी पड़ती है।
- गैर-नामांकित बच्चों के लिये साक्षरता: उन बच्चों के लिये पूरक साक्षरता कार्यक्रम शुरू करना चाहिये जो स्कूल छोड़ चुके हैं या स्कूल नहीं जा पाए हैं।
- जवाबदेहिता में सुधार: स्थानीय शैक्षिक योजना और विकास के लिये ज़िला स्कूल बोर्ड की स्थापना करनी चाहिये। निरीक्षण एवं शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये स्कूल निरीक्षकों की संख्या बढ़ानी चाहिये।
- स्कूलों का प्रावधान: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में अधिक स्कूल स्थापित करके 1 किमी (पैदल दूरी) के अंदर स्कूल की पहुँच सुनिश्चित करनी चाहिये।
- अभिभावक शिक्षा: अभिभावकों को शिक्षा के महत्त्व (विशेष रूप से बालिकाओं के लिये) तथा शिक्षा किस प्रकार उनके बच्चों के भविष्य को बेहतर बना सकती है, के बारे में शिक्षित करने के लिये अभियान चलाने चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति पर चर्चा कीजिये? भारत में प्राथमिक शिक्षा को मज़बूत करने हेतु किन संरचनात्मक एवं नीतिगत बदलावों की आवश्यकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय संविधान के निम्नलिखित में कौन-से प्रावधान शिक्षा पर प्रभाव डालते हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर- (d) मेन्सप्रश्न 1. जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना करते हुए भारत में इन्हें प्राप्त करने के उपायों पर विस्तृत प्रकाश डालिये। (2021) प्रश्न 2. भारत में डिजिटल पहल ने किस प्रकार से देश की शिक्षा व्यवस्था के संचालन में योगदान किया है? विस्तृत उत्तर दीजिये। (2020) |