भारतीय अर्थव्यवस्था
E20 ईंधन को अपनाना और हरित हाइड्रोजन उत्पादन
- 16 Jun 2023
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:E20, इथेनॉल सम्मिश्रण, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, G20 अध्यक्षता, नाइट्रस ऑक्साइड, हरित हाइड्रोजन, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, नवीकरणीय ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन मेन्स के लिये:हरित हाइड्रोजन के अनुप्रयोग, इथेनॉल सम्मिश्रण के लाभ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री ने कहा कि 20% इथेनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल, जिसे E20 के रूप में जाना जाता है, जल्द ही देश भर में तेल विपणन कंपनियों (OMC) के 1,000 बिक्री केंद्रों पर उपलब्ध होगा।
- उन्होंने इस विषय पर भी प्रकाश डाला कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य वर्ष 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) प्रतिवर्ष की उत्पादन क्षमता हासिल करना है।
इथेनॉल सम्मिश्रण और E20 ईंधन:
- परिचय:
- इथेनॉल एक कृषि उप-उत्पाद है जो मुख्य रूप से गन्ने से चीनी के प्रसंस्करण से प्राप्त होता है, लेकिन यह चावल की भूसी या मक्का जैसे अन्य स्रोतों से भी प्राप्त होता है।
- वाहन चलाते समय कम जीवाश्म ईंधन जलाने के लिये पेट्रोल के साथ इथेनॉल का सम्मिश्रण इथेनॉल सम्मिश्रण कहलाता है।
- E20 ईंधन यानी 20% इथेनॉल और 80% पेट्रोल का मिश्रण। E20 को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा फरवरी 2023 में बंगलूरू में लॉन्च किया गया था। यह पायलट परियोजना कम-से-कम 15 शहरों को कवर करती है तथा इसे चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू किया जाएगा।
- भारत ने पेट्रोल में इथेनॉल सम्मिश्रण को वर्ष 2013-14 के 1.53% से बढ़ाकर वर्ष 2022 में 10.17% कर दिया है।
- सरकार ने वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल सम्मिश्रण के अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2030 कर दिया है।
- G20 अध्यक्षता के दौरान सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिये ब्राज़ील जैसे देशों के साथ एक वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन शुरू करने का भी प्रस्ताव दिया है।
- इथेनॉल एक कृषि उप-उत्पाद है जो मुख्य रूप से गन्ने से चीनी के प्रसंस्करण से प्राप्त होता है, लेकिन यह चावल की भूसी या मक्का जैसे अन्य स्रोतों से भी प्राप्त होता है।
- लाभ:
- पारंपरिक पेट्रोल की तुलना में E20 ईंधन के अनेक फायदे हैं, जैसे:
- यह कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर को कम करके वाहनों के टेलपाइप उत्सर्जन को कम करता है।
- यह इंजन की कार्यक्षमता में सुधार करता है और जंग एवं जमाव को रोककर रखरखाव की लागत को भी कम करता है।
- यह घरेलू इथेनॉल उत्पादन को प्रतिस्थापित करके कच्चे तेल के आयात बिल को कम करता है।
- आकलन किया गया है कि इथेनॉल का 5% सम्मिश्रण (105 करोड़ लीटर) लगभग 1.8 मिलियन बैरल कच्चे तेल का प्रतिस्थापन कर सकता है।
- भारत का शुद्ध पेट्रोलियम आयात वर्ष 2020-21 में 185 मिलियन टन था जिसकी लागत 551 बिलियन अमेरिकी डाॅलर थी। एक सफल E20 कार्यक्रम देश के लिये प्रतिवर्ष 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर या 30,000 करोड़ रुपये बचता कर सकता है।
- यह अधिशेष फसलों की मांग पैदा करके किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का समर्थन करता है।
- पारंपरिक पेट्रोल की तुलना में E20 ईंधन के अनेक फायदे हैं, जैसे:
- चुनौतियाँ:
- गन्ना उत्पादन की ओर बदलाव: 20% सम्मिश्रण दर प्राप्त करने के लिये मौजूदा शुद्ध बोए गए क्षेत्र का लगभग दसवाँ हिस्सा गन्ना उत्पादन के लिये सुनिश्चित करना होगा।
- ऐसी किसी भी भूमि की आवश्यकता से अन्य फसलों पर दबाव पड़ने और इससे खाद्य कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है।
- भंडारण की कमी: आवश्यक जैव-रिफाइनरियों की वार्षिक क्षमता 300-400 मिलियन लीटर निर्धारित की गई है, जो अभी भी 5% पेट्रोल-इथेनॉल मिश्रण की आवश्यकता को पूरा करने के लिये पर्याप्त नहीं है।
- भंडारण मुख्य चिंता का विषय है, क्योंकि अगर E10 आपूर्ति को E20 आपूर्ति के साथ जारी रखना है तो इन्हें अलग-अलग भंडारण करना होगा जो लागत को बढ़ाएगा।
- गन्ना उत्पादन की ओर बदलाव: 20% सम्मिश्रण दर प्राप्त करने के लिये मौजूदा शुद्ध बोए गए क्षेत्र का लगभग दसवाँ हिस्सा गन्ना उत्पादन के लिये सुनिश्चित करना होगा।
ग्रीन हाइड्रोजन:
- परिचय:
- ग्रीन हाइड्रोजन अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा निर्मित होता है।
- इसे ऊर्जा का सबसे स्वच्छ रूप माना जाता है, क्योंकि इसका उपयोग करने पर यह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, भारत में हरित हाइड्रोजन उत्पादन में अग्रणी और महाशक्ति बनने की क्षमता है।
- भारत के पास प्रचुर नवीकरणीय क्षमता है, विशेष रूप से सौर ऊर्जा, जिसका उपयोग कम लागत पर हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिये किया जा सकता है।
- भारत ने अपने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के तहत वर्ष 2025-26 तक प्रतिवर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने का लक्ष्य भी रखा है।
- निजी क्षेत्र भी हरित हाइड्रोजन उत्पादन को आगे बढ़ाने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है और इसने अंतर्राष्ट्रीय स्रोतों से महत्त्वपूर्ण निवेश आकर्षित किया है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, भारत में हरित हाइड्रोजन उत्पादन में अग्रणी और महाशक्ति बनने की क्षमता है।
- अनुप्रयोग:
- डीकार्बोनाइजिंग एनर्जी सिस्टम्स: ग्रीन हाइड्रोजन को स्वच्छ ऊर्जा वाहक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और बाद में उपयोग के लिये संग्रहीत किया जा सकता है।
- इसका उपयोग जीवाश्म ईंधन को बदलने के लिये बिजली उत्पादन, हीटिंग और परिवहन जैसे क्षेत्रों में किया जा सकता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम हो सकता है।
- हरित अमोनिया का उत्पादन: ग्रीन हाइड्रोजन में अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके अमोनिया के उत्पादन के माध्यम से कृषि में पारंपरिक उर्वरकों को प्रतिस्थापित करने की क्षमता है।
- हरित हाइड्रोजन की मदद से उत्पादित हरित अमोनिया कार्बन मुक्त होता है, इसमें पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में बेहतर दक्षता के साथ ही मृदा की अम्लता में कमी लाने की भी क्षमता है।
- ऑफ-ग्रिड और रिमोट पावर जेनरेशन: हरित हाइड्रोजन ऑफ-ग्रिड अथवा विद्युत की सीमित पहुँच वाले दूरस्थ स्थानों पर विश्वसनीय और स्वच्छ विद्युत प्रदान कर सकता है।
- इसका उपयोग समुदायों, उद्योगों और बुनियादी ढाँचे के लिये बिजली पैदा करने हेतु फ्यूल सेल अथवा दहन इंजनों में किया जा सकता है।
- डीकार्बोनाइजिंग एनर्जी सिस्टम्स: ग्रीन हाइड्रोजन को स्वच्छ ऊर्जा वाहक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और बाद में उपयोग के लिये संग्रहीत किया जा सकता है।
- चुनौतियाँ:
- लागत: वर्तमान में स्टीम मीथेन रिफाॅर्मिंग के माध्यम से जीवाश्म ईंधन से उत्पादित हाइड्रोजन की तुलना में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन अधिक महँगा है।
- उच्च लागत का मुख्य कारण नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना के लिये आवश्यक पूंजी निवेश है।
- स्तर और अवसंरचना: उत्पादन, भंडारण और परिवहन सहित एक व्यापक हरित हाइड्रोजन अवसंरचनात्मक व्यवस्था की स्थापना प्रमुख चुनौती है।
- हाइड्रोजन के लिये उत्पादन क्षमता बढ़ाने और वितरण नेटवर्क के निर्माण के लिये पर्याप्त निवेश की आवश्यकता है।
- इसके अतिरिक्त मौजूदा बुनियादी ढाँचे को फिर से तैयार करने अथवा नई पाइपलाइनों, भंडारण सुविधाओं और ईंधन भरने वाले स्टेशनों के निर्माण से कई जटिलताएँ और लागत में वृद्धि होती है।
- संसाधनों पर प्रभाव: प्रति किलो हाइड्रोजन के लिये लगभग 9 किलोग्राम जल की आवश्यकता होती है।
- हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिये बड़ी मात्रा में विभिन्न संसाधनों की आवश्यकता होती है, जैसे- भूमि, जल और नवीकरणीय ऊर्जा। यह भूमि-उपयोग, जल संबंधी विवाद और मानवाधिकारों के उल्लंघन, ऊर्जा की कमी तथा उत्पादक देशों में विद्युत ग्रिड के डी-कार्बनीकरण में विलंब को बढ़ावा दे सकता है।
- ऊर्जा दक्षता: इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया में जल को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करने के लिये बड़ी मात्रा में विद्युत की आवश्यकता होती है।
- यद्यपि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है, परंतु इस प्रक्रिया की कुल ऊर्जा दक्षता बहुत अधिक नहीं होती है।
आगे की राह
- नीति और नियामक ढाँचा: भारत को इथेनॉल उत्पादन, सम्मिश्रण और उपयोग के साथ-साथ हरित हाइड्रोजन के विकास को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करने वाली सहायक नीतियाँ बनाने तथा उन्हें लागू करने की आवश्यकता है।
- इसमें सम्मिश्रण संबंधी शासनादेश निर्धारित करना, एक अनुकूल मूल्य निर्धारण ढाँचा सुनिश्चित करना और E20 तथा ग्रीन हाइड्रोजन दोनों के लिये गुणवत्ता मानक स्थापित करना शामिल है।
- तकनीकी प्रगति: E20 के मामले में फ्लेक्स-ईंधन इंजन और संगत ईंधन प्रणाली जैसे उन्नत सम्मिश्रण तकनीकों को विकसित करने एवं व्यापक रूप से उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
- हरित हाइड्रोजन की लागत कम करने और दक्षता में सुधार करने के लिये इलेक्ट्रोलाइज़र प्रौद्योगिकियों, भंडारण प्रणालियों तथा कुशल रूपांतरण प्रक्रियाओं को उन्नत करना काफी महत्त्वपूर्ण है।
- सार्वजनिक जागरूकता और स्वीकार्यता: सार्वजनिक जागरूकता और स्वीकार्यता E20 एवं हरित हाइड्रोजन को सफलतापूर्वक अपनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- इसके लिये इन विकल्पों के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, ईंधन दक्षता, प्रदर्शन और अनुकूलता से संबंधित चिंताओं को दूर करना तथा पर्यावरणीय लाभों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
- इन समाधानों की क्षमता और डीकार्बोनाइज़ेशन में उनके योगदान के बारे में उपभोक्ताओं, उद्योग हितधारकों तथा नीति निर्माताओं को शिक्षित करने से इसकी स्वीकार्यता और मांग में वृद्धि हो सकती है
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. नीचे चार ऊर्जा फसलों के नाम दिये गए हैं। इनमें से किस एक की खेती इथेनॉल के लिये की जा सकती है? (2010) (a) जेट्रोफा उत्तर: (b) प्रश्न. भारत की जैव ईंधन की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किनका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित भारी उद्योगों पर विचार कीजिये: (2023)
हरित हाइड्रोजन की मदद से उपरोक्त कितने उद्योगों के डीकार्बोनाइज़्ड होने की उम्मीद है? (a) केवल एक उत्तर: (c) |