आधुनिक दासता पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट | 19 Oct 2020
प्रिलिम्स के लिये:आधुनिक दासता, देवदासी प्रथा मेन्स के लिये:महिला सशक्तीकरण से संबंधित मुद्दे और सरकार के प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में विश्व में लगभग 29 मिलियन महिलाएँ आधुनिक दासता (Modern Slavery) की शिकार हैं।
प्रमुख बिंदु:
- ‘स्टैक्ड ऑड्स’ (Stacked Odds) शीर्षक से प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 130 में 1 महिला आधुनिक दासता की शिकार है।
- मानव इतिहास में किसी अन्य समय की तुलना में वर्तमान में सबसे अधिक लोग किसी-न-किसी प्रकार की दासता के शिकार हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, यौन शोषण के सभी पीड़ितों में से 99% महिलाएँ हैं, इसी प्रकार ज़बरन विवाह और बंधुआ मज़दूरी के पीड़ितों में क्रमशः 84% व 58% महिलाएँ ही हैं ।
आधुनिक दासता (Modern Slavery):
- आधुनिक दासता का आशय किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को व्यवस्थित रूप से हटाने की उस प्रक्रिया से है, जहाँ एक व्यक्ति द्वारा अपने व्यक्तिगत या वित्तीय लाभ के लिये किसी दूसरे व्यक्ति का शोषण किया जाता है।
COVID-19 और आधुनिक दासता:
- COVID-19 महामारी ने विश्व भर में सबसे कमज़ोर वर्ग के लोगों को आधुनिक दासता की प्रथा की तरफ और अधिक धकेल दिया है।
- COVID-19 महामारी के दौरान विश्व भर में ज़बरन और बाल विवाह के मामलों के साथ श्रमिकों के शोषण के मामलों में भारी वृद्धि देखने को मिली है।
भारत की स्थिति:
- इस रिपोर्ट में भारत में आधुनिक दासता के मामलों में वृद्धि के लिये जातिगत भेदभाव को एक प्रमुख कारण बताया गया है।
- इसके साथ ही रिपोर्ट में भारत को वर्ष 2019 में लड़कों के जन्म के प्रति सबसे अधिक पूर्वाग्रह वाले विश्व के शीर्ष 10 देशों में 5वें स्थान पर रखा गया था।
- रिपोर्ट के अनुसार, लिंगानुपात में अप्राकृतिक विकृति के कारण भारत और चीन में विवाह के लिये लड़कियों की तस्करी के मामले देखने को मिले हैं।
- इस रिपोर्ट में भारत के कुछ हिस्सों में प्रचलित देवदासी प्रथा पर चिंता व्यक्त की गई है, रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रथा में शामिल 98% लड़कियाँ घरेलू हिंसा और लगभग 92% लड़कियाँ बाल मज़दूरी की शिकार रही हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, असम के चाय बागानों और दक्षिण भारत के कताई कारखानों में लड़कियों के बंधुआ मज़दूर के रूप में कार्य करने के मामले सामने आए हैं।
समाधान :
- रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं और लड़कियों के बीच आधुनिक दासता के खतरों को कम करने के लिये मुख्य रूप से निम्नलिखित तीन बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिये।
- महिलाओं की शिक्षा तक पहुँच में सुधार।
- लड़कियों को आर्थिक और व्यावसायिक अवसर प्रदान करना।
- लिंग-पक्षपात से जुड़े नज़रिये को बदलने के लिये समुदाय के साथ कार्य करना।
भारत सरकार के प्रयास:
- केंद्र सरकार द्वारा देश में कन्या भ्रूण हत्या के मामलों को रोकने, लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
- इसके साथ ही महिलाओं को प्रत्यक्ष बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने में ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण रही है।
- कार्यस्थलों पर महिलाओं के शोषण को रोकने के लिये विशाखा दिशा-निर्देशों (Vishaka Guidelines) के साथ ही कई अन्य महत्वपूर्ण प्रयास किये गए हैं।
- बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा प्रदान करने के लिये वर्ष 2019 में केंद्र सरकार द्वारा 'बाल यौन अपराध संरक्षण कानून 2012' (पोक्सो) में आवश्यक संशोधन को मंज़ूरी दी गई है।
- COVID महामारी के दौरान महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिये चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक, कानूनी, पुलिस और आश्रय सुविधाएँ प्रदान करने वाले वन स्टॉप सेंटर जैसे कई उपाय किये गए।
अन्य वैश्विक प्रयास:
- ‘वाॅक फ्री’ और संयुक्त राष्ट्र के ‘एवरी वुमन एवरी चाइल्ड’ द्वारा आधुनिक दासता को समाप्त करने के लिये एक वैश्विक कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है।
- यह अभियान बाल विवाह और ज़बरन विवाह की प्रथा को समाप्त करने की मांग करता है, गौरतलब है कि वर्तमान में विश्व के 136 देशों में इस प्रथा को गैर-कानूनी घोषित नहीं किया गया है।
- साथ ही यह शोषण की ‘कफाला’ जैसी कानूनी प्रणालियों के उन्मूलन की मांग करता है।