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प्रश्न :
आधुनिक दासता (Modern Slavery) क्या है? वैश्विक दासता सूचकांक में भारत की स्थिति को बताते हुए आधुनिक दासता के नियंत्रण हेतु प्रभावी उपायों की चर्चा करें।
23 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
आधुनिक दासता से संबंधित वैश्विक दासता सूचकांक जारी करने वाली संस्था ‘वाक फ्री फाउंडेशन’ के अनुसार आधुनिक गुलामी या दासता उन स्थितियों को संदर्भित करती है जहाँ किसी व्यक्ति ने अन्य व्यक्ति की स्वतंत्रता को हड़प लिया है। इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति की किसी कार्य को करने या न करने की स्वतंत्रता भी समाप्त हो जाती है, ताकि उसका शोषण किया जा सके। यहाँ धमकी,हिंसा, बलात्कार और धोखे से व्यक्ति की स्वतंत्रता पर चोट की जाती है। इसका विशुद्ध परिणाम यह होता है कि व्यक्ति परिस्थिति से न तो मना कर सकता है और न ही उसे छोड़ सकता है।
भारत में आधुनिक दासता कई रूपों में प्रचलित है, जैसे- बंधुआ मज़दूरी, घरेलू नौकर, आर्थिक उपार्जन के लिये वेश्यावृत्ति, बलात् भिक्षावृत्ति, जबरन विवाह के अतिरिक्त नक्सलवादी व उग्रवादी के रूप में सशस्त्र सेवाओं में जबरन भर्ती आदि।भारत की स्थिति
वाक फ्री फाउंडेशन द्वारा वर्ष 2016 में 167 देशों के लिये जारी सूचकांक में भारत को क्रमशः उत्तर कोरिया, उज़्बेकिस्तान और कम्बोडिया के बाद चौथा स्थान प्राप्त हुआ। आधुनिक दासता से ग्रसित कुल आबादी के दृष्टिकोण से 18 मिलियन से अधिक लोग भारत में रहते हैं। यह संख्या विश्व के अन्य देशों के मुकाबले सर्वाधिक है। इस पीड़ित आबादी में भी लगभग प्रत्येक 100 में से 51 ऐसे हैं जो अत्यधिक सुभेद्य हैं।
आधुनिक दासता को रोकने के उपाय
- भारत में आधुनिक दासता के कारणों में गरीबी सबसे प्रमुख है। आँकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 21 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रही है। इस तरह गरीबी निवारण कार्यक्रमों का सुदृढ़ संचालन हो तो इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- बंधुआ मज़दूरी व बाल मज़दूरी को रोकने के लिये बनाए गए कानूनों का सख्ती से पालन करना होगा।
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में विकास गतिविधियों को बढ़ावा देकर बच्चों व महिलाओं की सशस्त्र सेनाओं में जबरन भर्ती को रोका जा सकता है।
- गरीबी, गहरी सामाजिक विषमता जैसे- लिंग भेद, जातिगत भेदभाव, धार्मिक भेदभाव आदि के साथ मज़दूर आधारित अर्थव्यवस्था का अनौपचारिक होना सुभेद्यता और आधुनिक दासता की घटना को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इस तरह अनौपचारिक क्षेत्र को व्यवस्थित ढाँचे में लाकर आधुनिक गुलामी से मुक्ति की राह आसान हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि भारत ‘ट्रिपल ट्रांजिशन’ के दौर से गुजर रहा है, जहाँ राजनीतिक व सामाजिक बदलाव आर्थिक गतिविधियों से प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में लक्ष्य आधारित सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों, जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य, नागरिक सुरक्षा के साथ प्रतिषेधात्मक कानूनों को लागू कर आधुनिक गुलामी की ज़ंजीरों को तोड़ा जा सकता है।
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