19वाँ आसियान-भारत शिखर सम्मेलन | 14 Nov 2022
प्रिलिम्स के लिये:आसियान, एक्ट ईस्ट पॉलिसी, इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक मेन्स के लिये:भारत के लिये आसियान का महत्त्व, भारत-आसियान सहयोग के क्षेत्र |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के उपराष्ट्रपति ने नोम पेन्ह, कंबोडिया में 19वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
प्रमुख बिंदु
- एक्ट ईस्ट नीति:
- भारत ने प्राचीन काल से भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच मौजूद गहरे सांस्कृतिक, आर्थिक एवं सभ्यतागत संबंधों की सराहना की तथा कहा कि भारत-आसियान संबंध भारत की एक्ट- ईस्ट नीति का केंद्रीय स्तंभ है।
- भारत ने इंडो-पैसिफिक में आसियान (ASEAN) की केंद्रीयता के प्रति अपना समर्थन दोहराया है।
- व्यापक रणनीतिक साझेदारी:
- आसियान और भारत ने मौजूदा रणनीतिक साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदलने की घोषणा करते हुए एक संयुक्त बयान को अपनाया।
- इसने समुद्री गतिविधियों, आतंकवाद का मुकाबला, साइबर सुरक्षा, डिजिटल अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भारत-आसियान सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
- यह आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (AITIGA) की समीक्षा में तेज़ी लाने का प्रस्ताव करता है ताकि इसे अधिक उपयोगकर्त्ता-अनुकूल, सरल और व्यापार की दृष्टि से सुविधाजनक बनाया जा सके।
- शांति और सुरक्षा:
- दोनों पक्षों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता, समुद्री रक्षा और सुरक्षा, नेविगेशन की स्वतंत्रता को बनाए रखने व बढ़ावा देने के महत्त्व की पुष्टि की।
- संवाद और समन्वय को मज़बूत करना:
- "आसियान-केंद्रीयता" को बनाए रखने के हिस्से के रूप में दोनों पक्षों ने आसियान-भारत शिखर सम्मेलन, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, भारत के साथ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (PMC+1), आसियान क्षेत्रीय मंच (ARF), आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM-Plus), विस्तारित आसियान समुद्री मंच (EAMF) सहित आसियान के नेतृत्व वाले तंत्रों के माध्यम से बातचीत और समन्वय को मज़बूती प्रदान करने के महत्त्व की पुष्टि की।
दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ:
- परिचय:
- यह एक क्षेत्रीय समूह है जो आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।
- इसकी स्थापना अगस्त 1967 में बैंकॉक, थाईलैंड में आसियान के संस्थापकों अर्थात् इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर एवं थाईलैंड द्वारा आसियान घोषणा (बैंकॉक घोषणा) पर हस्ताक्षर के साथ की गई थी।
- इसके सदस्य राष्ट्रों द्वारा अंग्रेज़ी नामों के वर्णानुक्रम के आधार पर इसकी अध्यक्षता वार्षिक रूप से की जाती है।
- आसियान देशों की कुल आबादी 650 मिलियन है और इनका कुल संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- सदस्य:
- आसियान दस दक्षिण पूर्व एशियाई देशों- ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम को एक साथ लाता है।
आसियान-भारत संबंध:
- परिचय:
- आसियान को दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है।
- भारत और अमेरिका, चीन, जापान व ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं।
- आसियान-भारत संवाद संबंध 1992 में एक क्षेत्रीय साझेदारी की स्थापना के साथ शुरू हुए।
- यह दिसंबर 1995 में पूर्ण संवाद साझेदारी और 2002 में शिखर-स्तरीय साझेदारी की ओर अग्रसरा हुआ।
- परंपरागत रूप से भारत-आसियान संबंधों का आधार साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों के चलते व्यापार एवं लोगों से लोगों के बीच संबंध रहा है, हालिया क्षेत्रों का अभिसरण का एक और ज़रूरी क्षेत्र चीन के उदय को संतुलित कर रहा है।
- भारत और आसियान दोनों का लक्ष्य चीन की आक्रामक नीतियों के आलोक में इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण विकास के लिये एक नियम-आधारित सुरक्षा ढांँचा स्थापित करना है।
- सहयोग के क्षेत्र:
- आर्थिक सहयोग:
- आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- भारत ने आसियान के साथ वर्ष 2009 में वस्तु क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौता और वर्ष 2014 में सेवाओं व निवेश में मुक्त व्यापार समझौता पर हस्ताक्षर किये।
- FTA के लागू होने के बाद से इनके बीच व्यापार लगभग दोगुना होकर वर्ष 2019-20 में 87 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया और फिर वर्ष 2020-21 में महामारी से प्रेरित मंदी के कारण घटकर 79 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- भारत का आसियान क्षेत्र के विभिन्न देशों के साथ एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता है, जिसके परिणामस्वरूप रियायती व्यापार और निवेश में वृद्धि हुई है।
- अप्रैल 2021 से फरवरी 2022 की अवधि में भारत और आसियान क्षेत्र के बीच वस्तु व्यापार 98.39 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
- भारत के मुख्य व्यापारिक संबंध इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम और थाईलैंड के साथ हैं।
- राजनीतिक सहयोग:
- आसियान-भारत केंद्र (AIC) की स्थापना भारत और आसियान के बीच संगठनों एवं थिंक-टैंक के साथ नीति अनुसंधान तथा नेटवर्किंग गतिविधियों को करने के लिये की गई थी।
- वित्तीय सहायता:
- भारत, आसियान-भारत सहयोग कोष, आसियान-भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास कोष और आसियान-भारत ग्रीन फंड जैसे विभिन्न तंत्रों के माध्यम से आसियान देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- कनेक्टिविटी:
- भारत, भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय (IMT) राजमार्ग और कलादान मल्टीमॉडल परियोजना जैसी कई कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर काम कर रहा है।
- भारत, आसियान के साथ एक समुद्री परिवहन समझौता स्थापित करने का भी प्रयास कर रहा है और भारत में नई दिल्ली तथा वियतनाम में हनोई के बीच एक रेलवे लिंक स्थापित करने की भी योजना बना रहा है।
- सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग:
- आसियान द्वारा लोगों से लोगों के संपर्क को बढ़ावा देने के लिये कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, जैसे कि आसियान देश के छात्रों को भारत में आमंत्रित करना, आसियान राजनयिकों के लिये विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, सांसदों का आदान-प्रदान आदि।
- रक्षा सहयोग:
- संयुक्त नौसेना और सैन्य अभ्यास भारत और अधिकांश आसियान देशों के बीच आयोजित किये जाते हैं।
- पहला आसियान-भारत समुद्री अभ्यास वर्ष 2023 में आयोजित किया जाएगा।
- वाटरशेड 'सैन्य अभ्यास वर्ष 2016 में आयोजित किया गया।
- वियतनाम परंपरागत रूप से रक्षा मुद्दों पर घनिष्ठ मित्र रहा है, सिंगापुर भी इतना ही महत्त्वपूर्ण भागीदार है।
- संयुक्त नौसेना और सैन्य अभ्यास भारत और अधिकांश आसियान देशों के बीच आयोजित किये जाते हैं।
- आर्थिक सहयोग:
भारत के लिये आसियान का महत्त्व:
- आर्थिक और सुरक्षा कारणों से भारत को आसियान देशों के साथ घनिष्ठ राजनयिक संबंध की आवश्यकता है।
- आसियान देशों के साथ कनेक्टिविटी भारत को इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति में सुधार करने में मदद कर सकती है।
- ये कनेक्टिविटी परियोजनाएँ पूर्वोत्तर भारत को केंद्र में रखती हैं, जिससे पूर्वोत्तर राज्यों का आर्थिक विकास सुनिश्चित होता है।
- आसियान देशों के साथ बेहतर व्यापार संबंध का अर्थ इस क्षेत्र में चीन की उपस्थिति का मुकाबला करने के साथ-साथ भारत की आर्थिक वृद्धि और विकास है।
- चूँकि भारत का अधिकांश व्यापार समुद्री सुरक्षा पर निर्भर है, आसियान भारत-नियम-आधारित प्रशांत की सुरक्षा ढाँचे में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
- पूर्वोत्तर में उग्रवाद का सामना करने, आतंकवाद का मुकाबला करने, कर चोरी आदि जैसे मामलों के लिये आसियान देशों के साथ सहयोग आवश्यक है।
आगे की राह
- आसियान और भारत को व्पायार तथा निवेश संबंधों को सुदृढ़ करना चाहिये।
- आसियान के साथ भारत का व्यापार विश्व के साथ भारत के व्यापार की तुलना में तेज़ी से बढ़ा है। भारत, आसियान में महत्त्वपूर्ण गैर-टैरिफ बाधाओं का सामना कर रहा है जो आसियान के साथ इसके निर्यात को भी सीमित करता है।
- आसियान और भारत के बीच शृंखलाओंं में वर्तमान जुड़ाव पर्याप्त नहीं है। आसियान और भारत उभरते परिदृश्य का लाभ उठा सकते हैं तथा नई एवं लचीली आपूर्ति शृंखलाओंं के निर्माण के लिये एक-दूसरे का समर्थन कर सकते हैं। हालाँकि इस अवसर का पता लगाने के लिये आसियान व भारत को अपने कौशल को उन्नत करना होगा, रसद (Logistic) सेवाओं में सुधार करना होगा और परिवहन बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना होगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न.निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन से देश आसियान के 'मुक्त-व्यापार भागीदारों' में शामिल हैं? (a) केवल 1, 2, 4 और 5 उत्तर: C प्रश्न. 'क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी' शब्द अक्सर देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में समाचारों में दिखाई देने वाली वार्ता है जिसे निम्नलिखित में से किसके रूप में जाना जाता है (2016) (a) G-20 उत्तर: (B) व्याख्या: क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संघ (ASEAN) के दस सदस्य देशों और पाँच देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया तथा न्यूज़ीलैंड) के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है, जिसके साथ आसियान का मौजूदा एफटीए है।अत: विकल्प (b) सही उत्तर है। प्रश्न. मेकांग-गंगा सहयोग, छह देशों की एक पहल है, में निम्नलिखित में से कौन-सा भागीदार/प्रतिभागी नहीं है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिये: (a) केवल 1 उत्तर: (C) मेंस:प्रश्न: शीत युद्ध के बाद के अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में भारत की लुक ईस्ट नीति (पूर्व की ओर देखो नीति) के आर्थिक और रणनीतिक आयामों का मूल्यांकन कीजिये। (2016) |